Kids Mobile Phones Addiction: बच्चों से मोबाइल फोन छुड़वाने का मिल गया उपाय, पढ़ें- स्टोरी
Kids Mobile Phones Addictionयहां आने वाले अभिभावकों का कहना है कि जब से उनके बच्चों ने वन अप लाइब्रेरी में जाना शुरू किया है वह फोन नहीं किताबें मांगते हैं।
नई दिल्ली [रितु राणा]। Kids Mobile Phones Addiction: आधुनिकता के इस दौर में गूगल पर जहां आपको देश-विदेश की जानकारी आसानी से मिल जाती है, ऐसे में लोगों ने किताबें पढ़ना कम कर दिया है। वहीं, छोटे-छोटे बच्चों के हाथ में अब किताबों की जगह मोबाइल फोन ही नजर आने लगे हैं, ऐसे में उनका नाता किताबों से टूटता नजर आ रहा है। वहीं, 'वन अप लाइब्रेरी' दिल्ली की एक ऐसी लाइब्रेरी है, जहां बच्चोें के हाथों में किताबें थमाकर पढ़ाई को रोचकता के साथ सौंपा जा रहा है। यहां आने वाले अभिभावकों का कहना है कि जब से उनके बच्चों ने वन अप लाइब्रेरी में जाना शुरू किया है, वह फोन नहीं, किताबें मांगते हैं। 'वन अप लाइब्रेरी' की संस्थापक व निदेशक दलबीर कौर मदान ने लाइब्रेरी को नई परिभाषा दी है। इस लाइब्रेरी से प्रेरणा लेकर दिल्ली के कई स्कूलों ने अपनी लाइब्रेरी में बच्चों के अनुकूल बना दिया है।
2 साल पहले शुरू हुई है लाइब्रेरी
'वन अप लाइब्रेरी' दिल्ली के वसंत विहार ए ब्लॉक ए-12 में दो वर्ष पहले शुरू हुई यह लाइब्रेरी बच्चों के लिए बहुत खास व उपयोगी है। लाइब्रेरी का वातवरण छोटे बच्चों के अनुकूल ही है। दलबीर ने बताया कि उनका उद्देश्य 'वन अप लाइब्रेरी' का विस्तार नहीं, बल्कि इसके माध्यम से स्कूलों की लाइब्रेरी को एडवांस व इनोवेटिव बनाना है, जिससे बच्चे रोचकता से मन लगाकर लाइब्रेरी में पढ़ाई कर सकें। लाइब्रेरी मात्र किताबों के आदान-प्रदान तक तक ही सीमित न रहे और उसमें बच्चों को स्नेहशील व अनुकूल वातावरण भी मिले जिससे उनका पढ़ाई में मन लगे और वह घंटों एक जगह बैठे मन लगाकर पढ़ सकें।
लाइब्रेरी का मकसद किताबों की ओर ध्यान खींचना
दलबीर का मानना है कि बच्चों का ध्यान मोबाइल फोन से हटाकर किताबों की ओर खींचना है तो हमें लाइब्रेरी को उनके अनुकूल बनाना चाहिए। अगर बचपन से ही बच्चों को मोबाइल फोन की आदत लग जाएगी तो वह आगे स्कूल व कॉलेज में जाकर कितबों को बोझ समझने लगेंगे। इसी उद्देश्य से वह वन अप लाइब्रेरी को दिल्ली के अलावा अन्य राज्यों के स्कूलों की लाइब्रेरी के लिए एक आदर्श लाइब्रेरी के रूप में प्रस्तुत कर रही हैं।
गुरुग्राम और नोएडा तक के बच्चे आते हैं लाइब्रेरी
वन अप लाइब्रेरी में दिल्ली ही नहीं बल्कि नोएडा व गुरुग्राम के लोग भी अपने बच्चों को पढ़ाने के लिए लाते हैं। यहां बच्चों के लिए 20 हजार किताबें उपलब्ध हैं। दलबीर ने बताया कि रोजाना यहां 40-50 बच्चे पढ़ने आते हैं और शनिवार व रविवार स्कूलों की छुट्टी का दिन होता है तो उस दिन बच्चों की संख्या 100-150 तक पहुंच जाती है। लाइब्रेरी खोलने का उनका उद्देश्य इससे छोटे बच्चों को जोड़ना है, इसलिए उन्होंने स्कूलों के साथ काम करना शुरु किया। वह वन अप लाइब्रेरी का उदाहरण पेश कर लाइब्रेरियन को अपने विद्यालय की लाइब्रेरी को बेहतर बनाने का प्रयार कर रहती हैं।
इस तरह हुई 'वन अप लाइब्रेरी' की शुरुआत
दलबीर कौर मदान ने अप्रैल 2011 में अमृतसर वन अप लाइब्रेरी की शुरुआत की थी, उसे बंद करके लाइब्रेरी को 2017 में दिल्ली के वसंत विहार में शुरु किया। यह लाइब्रेरी तीन से 14 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए है। जिसमें लाइब्रेरी के साथ लर्निंग लैब व एक बुक स्टूडियो जैसी सुविधा उपलब्ध हैं। यहां बेसमेंट में लाइब्रेरी है, भू-तल पर एक छोटा बुक स्टोर है जहां से बच्चे अपनी पसंद की किताबें खरीद भी सकते हैं। वहीं, प्रथम तल पर बच्चों के लिए एक हॉल है जहां उन्हें विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से पढ़ाया जाता है। लाइब्रेरी में बने बुक शेल्फ को कलरफुल और कार्टून वाले पोस्टर से सजाया गया है जिससे बच्चों को वह अपनी ओर आकर्षित करे।
मनोरंजन के साथ परोसा जा रहा ज्ञान
इस लाइब्रेरी में बच्चों के लिए 20 हजार किताबें उपलब्ध हैं जिनमें ज्ञान का भंडार है। किताबों में ज्ञानवर्धक, विषय संबंधित किताबों के अलावा पिक्टर बुक्स, कार्टून, वर्लड वॉर, कहानियां, फिक्शन, नॉन फिक्शन, ग्राफइिक नॉवल, विज्ञान आदि से संबंधित हजारों किताबें उपलब्ध हैं। यहां बच्चों को पढ़ाई कराने के लिए पांच शिक्षिकाएं भी हैं। जो बच्चों को पढ़ना, लिखना व कहानी और नाटक के माध्यम से विषयों की जानकारी देती हैं जिससे बच्चे किताब में लिखी जानकारियां भूल न पाएं। लाइब्रेरी में बच्चों के साथ साथ अभिभावकों का भी मार्गदर्शन किया जाता है कि वह किस तरह घर पर भी बच्चों को रोचकता से पढ़ा सकते हैं।
इसले अलावा समय-समय पर बच्चों की दिलचस्पी के लिए हैलोवीन इवनिंग, कैंडी साइंस, ब्रेन इज काइंड अॉफ अ बिग डील, ऑल यू नीड लव, डायनासॉर एक्सप्लोरेशन वीक, ड्रॉइंग डूडलिंग एंड कलरिंग डे आदि विषयों पर विभिन्न कार्यशालाएं व प्रतियोगिताएं आयोजित कराई जाती हैं जिससे कि बच्चों को किताबों के बारे में और अधिक जानकारी मिल जाए और वह उन्हें बोझ नहीं रोचकता के साथ पढ़े। बच्चे खुशी-खुशी से इन गतिविधियों में भाग लेते हैं।
दलबीर नोएडा के पाथवेज स्कूल्स ग्रुप में लाइब्रेरियन के रूप में कार्यरत थीं उन्होंने वहां बच्चों के लिए लाइब्रेरी में काफी सुधार किए जिससे प्रेरणा लेकर दलबीर ने वन अप लाइब्रेरी की शुरुआत की। दलबीर के लिए बंदना सेन एक गुरु समान थी। हाल में वन अप लाइब्रेरी ने लोधी रोड स्थित इंडियन इंटरनेशल सेंटर में बंदना सेन की स्मृति में बंदना सेन लाइब्रेरी अवॉर्ड (बीएलएसए) का आयोजन किया। इस मौके पर दिल्ली के वसंत विहार स्थित द श्रीराम स्कूल को जूनियर लाइब्रेरी के लिए पुरस्कृत किया गया। इसके अलावा ब्लूबेल्स इंटरनेशनल स्कूल, वैंकटेश्वर स्कूल, वैंकटेश्वर इंटरनेशनल स्कूल आदि स्कूलों को सम्मानित किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य लाइब्रेरी व स्कूल लाइब्रेरियन का प्रोत्साहन करना है। दिल्ली समेत कई राज्यों के स्कूलों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया। इस अवसर पर उन स्कूलों को पुरस्कृत किया गया जो अपनी लाइब्रेरी में बच्चों को नयेपन व रोचकता के साथ पढ़ाई का वातावरण दे रहे हैं।
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