'पैडमैन' की तरह इस कॉलेज की छात्राओं ने भी बनाई मशीन, जानें- क्या है 'रेड डॉट' कैंपेन

सेनेटरी नैपकिन का निर्माण कर उसे अन्य कॉलेजों व स्कूलों में मामूली दरों पर पहुंचाने का विचार किया जा रहा है।

By Amit MishraEdited By: Publish:Sun, 11 Feb 2018 08:50 PM (IST) Updated:Mon, 12 Feb 2018 05:58 PM (IST)
'पैडमैन' की तरह इस कॉलेज की छात्राओं ने भी बनाई मशीन, जानें- क्या है 'रेड डॉट' कैंपेन
'पैडमैन' की तरह इस कॉलेज की छात्राओं ने भी बनाई मशीन, जानें- क्या है 'रेड डॉट' कैंपेन

नई दिल्ली [जेएनएन]। उत्तरी दिल्ली के अशोक विहार फेज-3 स्थित लक्ष्मीबाई कॉलेज की छात्राओं ने पैडमैन की भांति आविष्कारी युवा की तरह सामाजिक जागरूकता और महिला सशक्तीकरण की दिशा में कार्य करते हुए पैड मशीन का निर्माण किया है। कॉलेज के अंदर ही छात्राओं ने प्रोजेक्ट के तहत सेनेटरी नैपकिन मशीन बनाकर उत्पादन कर रही हैं। कहने को तो इस हफ्ते रिलीज हुई फिल्म पैडमैन अभी चर्चा में आई है, लेकिन दिल्ली विश्वविद्यालय की ये छात्राएं वर्ष 2015 से ही इस कार्य में जुटी थीं।

'रेड डॉट' कैंपेन

कॉलेज में इसे 'रेड डॉट' कैंपेन के तहत बनाया गया है। इस कैंपेन का उद्देश्य झुग्गियों और जेजे कॉलोनियों में रहने वाली महिलाओं को पैड इस्तेमाल के लिए प्रेरित करना है। जहां उन्हें यह मामूली दरों पर या निशुल्क वितरित किया जाएगा।

नैपकिन को नष्ट करना भी एक बड़ी चुनौती

कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ. प्रत्युषा वत्सला ने बताया कि 'रेड डॉट' कैंपेन के तहत इस योजना को आगे बढ़ाया जा रहा है। बड़े पैमाने पर नैपकिन का निर्माण कर उसे अन्य कॉलेजों व स्कूलों में मामूली दरों पर पहुंचाने का विचार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कॉलेज की छात्राएं पिछले तीन साल से इस प्रोजेक्ट पर जुटी हैं। इसके लिए पूरा साइकल प्लान किया गया है, जिसके तहत इसके निर्माण से लेकर नष्ट करने तक की जानकारी दी गई है। डॉ. प्रत्युषा ने बयाता कि नैपकिन को नष्ट करना भी एक बड़ी चुनौती है जिसे देखते हुए कुछ मशीनें लगाई गई हैं, जो वेस्ट नैपकिन को राख में बदल देती हैं।

इनोवेशन प्रोजेक्ट के तहत शुरू किया काम 

प्रोजेक्ट की संयोजक डॉ. अमृता शिल्पी ने बताया कि वर्ष 2015-16 में दिल्ली विश्वविद्यालय में इनोवेशन प्रोजेक्ट के तहत इसे शुरू किया गया था। कॉलेज की तरफ से पैड बनाने की मशीन का यह प्रस्ताव गया था और रिसर्च काउंसिल को यह काफी पसंद आया था। उस दौरान मशीनें और कच्चा माल खरीदा गया था। प्रोजेक्ट के बाद मशीनों के प्रयोग पर विचार किया गया, फिर प्रिंसिपल की अध्यक्षता में इसे 'रेड डॉट' कैंपेन नाम से शुरू किया गया। 

मासिक धर्म हमारी पहचान, यह गर्व की बात

बता दें कि हाल ही में विश्व सुंदरी मानुषी छिल्लर ने नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (एनडीएमसी) की स्कूली छात्राओं संबोधित करते हुए कहा था कि किया। मासिक धर्म हमारी पहचान है और यह गर्व की बात है। यह प्राकृतिक है व सामान्य शारीरिक प्रक्रिया है। इसके लिए किसी भी तरह की शर्म महसूस करने की जरूरत नहीं है और न हि किसी को इसका अहसास कराने की। जरूरी यह है कि हम नियमित इससे जुड़ी स्वच्छता का ध्यान रखें। व्यक्तिगत, पारिवारिक व सामाजिक स्तर पर भी इसके लिए केवल सकारात्मक रुख ही अपनाने की जरूरत है।

स्वच्छ भारत की स्वस्थ नारी का निर्माण

मानुषी ने छात्राओं से सीधे मुखातिब होते हुए पैड से जुड़ी बातें साझा कीं व उनसे भी इस मामले में खुलकर बात रखने की अपील की। मानुषी ने कहा था कि सेनेटरी नैपकिन को लेकर युवतियां व महिलाएं जितना खुलकर बात करेंगी, उतना ही इस जानकारी का प्रसार होगा। उन्होंने यह लभी कहा था कि सेनेटरी नैपकिन उपयोग के जरिए ही हम स्वच्छ भारत की स्वस्थ नारी का निर्माण कर सकेंगे। 

यह भी पढ़ें: मुकाम हासिल करने में आड़े नहीं आएगा मासिक धर्म, जानें विश्व सुंदरी मानुषी के टिप्‍स

यह भी पढ़ें: सेनेटरी नैपकिन पर टूटी 'आप' सरकार की नींद, होर्डिंग लगा साधा निशाना

chat bot
आपका साथी