कोरोना के दौरान खेल खेलने या देखने से बढ़ती है सकारात्मक सोच, बढ़ाने का करना चाहिए उपाय
इस महामारी ने भारत को प्रभावित किया था इस साल इसने जितने ज्यादा लोगों को प्रभावित किया है उसकी कल्पना किसी ने नहीं की थी। बुरी बात यह है कि यह आपके दिमाग को शांत ही नहीं रहने देता घबराहट और नकारात्मकता की स्थिति को पैदा करता है।
नई दिल्ली, डॉ. कनिष्क पांडे। कोविड-19 की महामारी ने आज दुनिया को अपने घुटनों पर ला दिया है। हालांकि पिछले साल भी इस महामारी ने भारत को प्रभावित किया था, लेकिन इस साल इसने जितने ज्यादा लोगों को प्रभावित किया है उसकी कल्पना किसी ने नहीं की थी। सबसे बुरी बात यह है कि यह आपके दिमाग को शांत ही नहीं रहने देता, बल्कि यह घबराहट और नकारात्मकता की स्थिति को पैदा करता है।
इस अभूतपूर्व स्थिति में चिंता, भय, तनाव, नकारात्मकता आदि के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। एक बड़ी समस्या ओर जो उभरी है वह यह कि जो लोग इस बीमारी से उबर चुके हैं, वे अवसाद का सामना कर रहे हैं। अमेरिका में 2,30,000 लोगों पर किये गये अध्ययन के मुताबिक जो लोग कोविड-19 से बच गये हैं उनमें से प्रत्येक तीन व्यक्तियों में से एक व्यक्ति आज मानसिक रोग का शिकार है। ऐसे में खुद को इस इस बात के लिए मानसिक रूप से तैयार करना है कि यह भी एक आम महामारी है।
जिस प्रश्न का उत्तर हमें चाहिए वह यह है कि आखिर इसका समाधान क्या है? समस्या की पहचान करने के बाद, क्या तरीका है? इस मुश्किल समय में भी हम सकारात्मक कैसे रहें? इसके बारे में सोचना पड़ेगा। कहा जाता है कि सभी समस्याओं का समाधान खेल है। खेल एक ऐसा माध्यम है जिसके द्वारा हम सकारात्मक भावनाओं का निर्माण कर सकते हैं। खेल के द्वारा हम ऐसे मुद्दों को दूर रख सकते हैं, जिनसे दिमागी तौर से विचलन होता है। साथ ही, इसके माध्यम से हम सकारात्मक हो सकते है।
शोधों ने इस अवधारणा को स्थापित किया है कि खेल एक अनूठा उपकरण है जिसके द्वारा इस महामारी से हम लड़ सकते है। अमेरिका में किये गये सेटन हॉल स्पोर्ट्स पोल से यह बात सामने आई है कि 33 फीसद लोगों ने इस बात को माना है कि खेल के द्वारा मानसिक रोगों से लड़ने में सहायता मिलती है इसके साथ ही 73 प्रतिशत खेल प्रेमियों ने माना है कि टीवी पर खेल प्रसार देखने से मानसिक स्वास्थ्य पर अनुकूल प्रभाव पड़ता है। अध्ययनों से यह भी निष्कर्ष निकला कि जब आप अपने प्रिय टीम को खेलते देखते हैं तो आपके शरीर में अच्छे हार्मोन का निर्माण होता है जिससे आदमी की सोच सकारात्मक हो जाती है।
केवल यही नहीं, गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश के विभिन्न अस्पतालों में किए गये एक अध्ययन से यह बात प्रमाणित हुई है कि खेल चैनल देखना भय, चिंता, तनाव को दूर करने में मदद करता है और महामारी द्वारा लाई गई नकारात्मकता से बहुत राहत देता है। जैसे यूरोप में फुटबॉल ने कोरोना संकट के दौरान एक राहत दी है। जब आप खेल देखते हैं तो आपका ध्यान खेल और खिलाड़ी पर केंद्रित हो जाता है और डर व तनाव से हट जाता है। ऐसे समय में जब लोग महामारी के दबाव में जी रहे हैं तो यह वह समय है जब उनमें सकारात्मक सोच को बढ़ाने का हरसंभव उपाय करना चाहिए। यह खेल खेलने या देखने से संभव हो सकता है। खेल इसके लिए प्रभावी उपकरण हो सकता है। अध्ययनों से इस बात का पता चल चुका है कि जब आप अपनी प्रिय टीम या खिलाड़ी को खेलते देखते हैं तो आपके मस्तिष्क में एंडोर्फिन नाम के एक हार्मोन का उत्सर्जन होता है, जिससे आप खुशी की अनुभूति करते हैं।
कोविड-19 बीमारी के कारण मानसिक थकान तथा निराशा भाव से लोगों को जल्द से जल्द मुक्ति दिलानी चाहिए। अगर ऐसा नहीं किया गया तो यह मनुष्य के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डाल सकता है। इसलिए अब समय आ चुका है कि लोग स्पोर्ट्स चैनल के प्रसारण को देखें। आगे चलकर इस बात पर जोर दिया जाये कि लोग मैदान में जाकर किसी न किसी खेल को अवश्य खेलें। इससे न सिर्फ वे तनावमुक्त और अवसादमुक्त होंगे, बल्कि इससे मानसिक स्वास्थ्य सुधरने के साथ-साथ उनके व्यक्तित्व विकास में भी मदद मिलेगी। खेल न सिर्फ लोगों को शारीरिक रूप से स्वस्थ रखेगा बल्कि उन्हें मानसिक तौर पर मजबूत भी बनायेगा, जिससे हमें नकारात्मकता से निपटने में मदद मिलेगी।
(हेड-स्पोर्ट्स रिसर्च सेंटर) इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट टेक्नोलॉजी, गाजियाबाद