नगर निगम चुनाव ने सियासी दलों को दी नसीहत, भाजपा के लिए आसान नहीं राह

चुनाव नतीजे आने के बाद पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और नवनिर्वाचित पार्षदों की बातचीत व तेवरों से साफ झलका कि भ्रष्टाचार के खिलाफ नई टीम निर्णायक लड़ाई लड़ेगी

By Amit MishraEdited By: Publish:Sat, 29 Apr 2017 03:02 PM (IST) Updated:Sat, 29 Apr 2017 09:25 PM (IST)
नगर निगम चुनाव ने सियासी दलों को दी नसीहत, भाजपा के लिए आसान नहीं राह
नगर निगम चुनाव ने सियासी दलों को दी नसीहत, भाजपा के लिए आसान नहीं राह

नई दिल्ली [जेएनएन]। दिल्ली नगर निगम के चुनाव इस बार अपने आप में बेहद खास थे। कांग्रेस और भाजपा के अलावा चुनाव मैदान में ताल ठोंक कर आम आदमी पार्टी ने भी जीत का दावा पेश किया लेकिन नतीजों ने 'आप' की हवा निकाल दी। ये हालात उस वक्त थे जब दिल्ली में 'आप' की ही सरकार थी और 2015 में हुए विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने दिल्ली की 70 में से 67 सीटें जीतकर इतिहास रच दिया था। 

सियासी मायनों से इतर यह चुनाव इसलिए भी बेहद खास थे क्योंकि पौने दो करोड़ आबादी को जन सुविधाएं उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी दिल्ली नगर निगम के पास है और इसी वजह से दिल्ली नगर निगम चुनाव पर पूरे देश की नजर टिकी थी। 

एक दशक से दिल्ली नगर निगम में भाजपा का कब्जा था। चुनाव हुए तो विपक्ष ने भाजपा पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया। डेंगू व चिगनगुनिया जैसी बीमारियों को मुद्दा बनाया गया। लेकिन इन सबके बीच भाजपा की जीत ने विरोधियों के हौसलों को पस्त कर दिया और ठीकरा EVM पर फोड़ा गया।  

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निगम चुनाव से कुछ दिन पहले भाजपा ने पुराने पार्षदों का पत्ता काटते हुए नए चेहरे को उतारने का फैसला लिया। यही फैसला भाजपा के लिए संजीवनी बन गया। अब 181 सीटों के साथ सत्ता में तीसरी बार लौटी भाजपा के सामने नगर निगम को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने की चुनौती है।

चुनाव नतीजे आने के बाद पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और नवनिर्वाचित पार्षदों की बातचीत व तेवरों से साफ झलका कि भ्रष्टाचार के खिलाफ नई टीम निर्णायक लड़ाई लड़ेगी। नगर निगम में नई टीम के सामने शहर को कचरा मुक्त बनाने, अवैध निर्माण के खिलाफ सख्ती के कार्रवाई शायद सबसे बड़ी चुनौती है।

वर्षों से व्यवस्था में बने रहने के बाद भी चुनौतियां जिस प्रकार कायम है, ऐसे में पार्षदों का दायित्व कई गुणा बढ़ गया है। गत कुछ वर्षों के दौरान दिल्ली में जिस तरह अवैध निर्माण हुए हैं, इसे पार्षदों व निगम अधिकारियों की मिलीभगत का नतीजा करार दिया जा रहा है।

मकानों का नक्शा पास करने की प्रक्रिया ऑनलाइन होने के बावजूद बिना चढ़ावे के स्वीकृति नहीं मिलती है। इसी प्रकार पार्किंग व टोल टैक्स आदि के लिए जो ठेके दिए जाते हैं उसमें भी करोड़ों का घपला, सब मिलीभगत का ही नतीजा है। स्कूली शिक्षा को चुस्त-दुरुस्त बनाना, तहबाजारी के लाइसेंस देने सहित ऐसे कई ऐसे मसले हैं जिन पर अब नई टीम को फैसला लेना है।

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तीनों नगर निगम के समक्ष चुनौतियां
- हजारों टन कूड़े से दिल्ली को मुक्त करना 
- अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई करना
- अवैध बूचड़खानों के खिलाफ कार्रवाई
- निगम के अधीन आने वाले पार्कों की बदहाल स्थिति को ठीक करना
- सड़क, फुटपाथ की गंदगी की निरंतर सफाई
- आवारा पशुओं पर लगाम लगाना
- ट्रेड लाइसेंस जारी करना
- एमसीडी के अंतर्गत आने वाली 27 हजार किलोमीटर लंबी सड़कों को दुरुस्त बनाए रखना
- वृद्ध, दिव्यांग व विधवाओं को समय पर पेंशन देना 

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