ऑनलाइन कैलेंडर देखकर इस रमजान खाेला जाएगा रोजा, यहां जानिए कैसे देखेंगे इफ्तार और सहरी की टाइमिंग

Ramadan Moon Sighting 2020 उम्मीद जताई जा रही है कि शुक्रवार को रमजान का चांद नजर आ सकता है और शनिवार को पहला रोजा होगा।

By Prateek KumarEdited By: Publish:Thu, 23 Apr 2020 10:28 PM (IST) Updated:Fri, 24 Apr 2020 08:38 AM (IST)
ऑनलाइन कैलेंडर देखकर इस रमजान खाेला जाएगा रोजा, यहां जानिए कैसे देखेंगे इफ्तार और सहरी की टाइमिंग
ऑनलाइन कैलेंडर देखकर इस रमजान खाेला जाएगा रोजा, यहां जानिए कैसे देखेंगे इफ्तार और सहरी की टाइमिंग

नई दिल्ली (शुजाउद्दीन)। Ramadan Moon Sighting 2020: राजधानी दिल्ली में रमजान के महीने में इस बार रोजेदार ऑनलाइन कैलेंडर देखकर रोजा खोलेंगे। लॉकडाउन की वजह से प्रिंटिंग प्रेस बंद हैं, ऐसे में रमजान का कैलेंडर छप नहीं पाया है। मस्जिदें भी बंद पड़ी हैं। ऐसे में रोजेदारों को सुबह की सहरी और शाम को इफ्तार के लिए ऑनलाइन कैलेंडर का सहारा लेना पड़ेगा।

शुक्रवार को नजर आ सकता है रमजान का चांद

उम्मीद जताई जा रही है कि शुक्रवार को रमजान का चांद नजर आ सकता है और शनिवार को पहला रोजा होगा। हर वर्ष रमजान से चंद दिनों पहले मुस्लिम संस्थाओं व मस्जिद कमेटियों की ओर से रमजान का कैलेंडर लोगों को बांटा जाता है, जिसमें सहरी और इफ्तार का समय लिखा होता है। लेकिन इस वर्ष स्थिति ऐसी है कि किसी के पास छपा हुआ कैलेंडर नहीं है, मस्जिदें भी बंद हैं तो रोजा इफ्तार और सहरी का समय कैसे पता चले।

डिजिटल इंडिया की ओर बढ़ा रोजा

ऐसे में इस बार रोजेदार डिजिटल इंडिया की ओर कदम बढ़ाते हुए ऑनलाइन कैलेंडर का सहारा लेंगे। ब्रह्मपुरी स्थित इस्लामिया मस्जिद के इमाम मौलाना सईद ने बताया कि रोजे में समय का पाबंद होना जरूरी है। जिस मौलाना के पास इल्म ज्यादा होता है, वह ही रमजान का कैलेंडर तैयार करते हैं। उन्होंने कहा कि उसी कैलेंडर के अनुसार रोजा रखने वाले शख्स को सूरज निकलने से पहले सहरी करनी होती है और सूरज डूबने के बाद रोजा इफ्तार करना होता है।

ऐसे समझे टाइमिंग का महत्‍व
उदाहरण के तौर पर सुबह सहरी 4:00 बजे खत्म होती है और कोई व्यक्ति 4:20 तक खाना खाता रहता है तो उसका रोजा नहीं माना जाएगा, यही स्थिति रोजा इफ्तार में होती है रोजा अगर शाम को 7:00 बजे खुलेगा और किसी ने 6:52 पर पानी पी लिया या कुछ और खा लिया तो उसका रोजा नहीं होगा। पूरे दिन उसका भूखा रहना बेकार रहेगा।

स्‍मार्टफोन बनेगा सहारा

सईद ने कहा कि लॉकडाउन में मस्जिदें बंद हैं, लेकिन उसमें इमाम तो रह रहे हैं। वह सायरन बजाकर इफ्तार और सहरी का समय बताएंगे, लेकिन बहुत सी जगह यह सुविधा नहीं है। ऐसे में जिन लोगों के पास स्मार्ट फोन है वह इंटरनेट से इस वर्ष का कैलेंडर निकाल सकते हैं और उसके अनुसार इफ्तार और रोजा खोलें। बहुत सी मस्लिम संस्थाएं व मदरसे इंटरनेट पर कैलेंडर अपलोड करते हैं।

लाखों रुपये की होगी बचत

गत वर्षों में देखने में आया है कि लोग लाखों रुपये खर्च करके कैलेंडर बंटवाते हैं, लॉकडाउन की वजह वह पैसा बच गया है। साथ ही पेपर भी बचा है। मुस्लिम समुदाय के लोगों का कहना है कि इस लॉकडाउन ने सभी को हाइटेक होना सिखा दिया है, जो जानकारी उन्हें छपे हुए कैलेंडर पर मिलती थी वह उन्हें इंटरनेट पर भी अासानी से मिल जाएगी। बहुत से लोगों ने तो कैलेंडर डाउनलोड करके वाट्सएप पर एक दूसरे को भेज दिया है।

प्रतिक्रिया

एक महीने से लॉकडाउन की वजह से प्रिंटिंग प्रेस बंद हैं, हर वर्ष रमजान से पहले कैलेंडर छपने के लिए बहुत सारे ऑडर आ जाते थे। इस बार लोगों को कैलेंडर के लिए इंटरनेट का सहारा लेना पड़ेगा।

नवीन चौधरी, प्रिंटिंग प्रेस संचालक।

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