नरेला नहीं जाना चाहते पुरानी दिल्ली के ट्रांसपोर्टर्स, डीडीए के प्रस्ताव को किया नामंजूर

Delhi Transporters पुरानी दिल्ली कमला नगर सदर बाजार और खन्ना मार्केट समेत प्रमुख बाजारों में स्थित 1200 से अधिक ट्रांसपोर्ट का व्यवसाय करने वालों को नरेला में स्थानांतरित करने के डीडीए के प्रयास पर पेच फंस गया है।

By Jagran NewsEdited By: Publish:Sun, 19 Mar 2023 08:26 AM (IST) Updated:Sun, 19 Mar 2023 08:26 AM (IST)
नरेला नहीं जाना चाहते पुरानी दिल्ली के ट्रांसपोर्टर्स, डीडीए के प्रस्ताव को किया नामंजूर
नरेला नहीं जाना चाहते पुरानी दिल्ली के ट्रांसपोर्टर्स।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। दिल्ली के कमला नगर, सदर बाजार व खन्ना मार्केट समेत पुरानी दिल्ली के अन्य प्रमुख बाजारों में स्थित 1200 से अधिक ट्रांसपोर्टरों के व्यवसाय को नरेला में स्थानांतरित करने के प्रयास में पेच फंस गया है। दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) द्वारा इन्हें नरेला के होलंबी कला में मुहैया कराए जा रहे प्लाट को लेकर कई आपत्तियां उठाते हुए ट्रांसपोर्टरों ने हाथ खड़े कर दिए हैं। हाल ही सिविल लाइंस में एक बड़ी बैठक में एक मत से उन्होंने डीडीए के प्रस्ताव को नहीं मानने का निर्णय लिया है। साथ ही इसे लेकर आगे की गतिविधियों की रोकते हुए डीडीए अधिकारियों से बैठक का वक्त मांगा है।

इस मामले को लेकर जल्द ही डीडीए अधिकारियों की बैठक में विमर्श कर नया प्लान तैयार किया जा सकता है, क्योंकि उसे भी मौजूदा प्लान में विसंगतियां समझ आई है। फिलहाल डीडीए ने 125 ट्रांसपोर्टरों को प्लाट के लिए धन जमा करने के लिए पत्र भेजा है। पुरानी दिल्ली से थोक बाजारों को दिल्ली के बाहरी क्षेत्रों में स्थानांतरित करने के क्रम में यहां के ट्रांसपोर्टरों को भी नरेला में ट्रांसपोर्ट हब देने पर चर्चा वर्ष 2004 से चल रही है, तब हाई कोर्ट ने बाहरी दिल्ली इलाके में एक ट्रांसपोर्ट हब बनाने का आदेश दिया था। आदेश में ट्रांसपोर्टरों के गोदाम की जगह देने की बात थी, ताकि सामानों की लोडिंग-अनलोडिंग वहीं हो सके और इसके लिए ट्रकों को दिल्ली में नहीं आना पड़े। 2010 से यह प्रक्रिया कागजों में आई और डीडीए ने पुरानी दिल्ली के ट्रासंपोर्टरों का सर्वे किया था, तब एक हजार से अधिक ट्रांसपोर्टरों का पंजीकरण किया गया था।

मुख्य आपत्तियां

ट्रांसपोर्टरों की मुख्य आपत्ति यह है कि पुरानी दिल्ली में वर्तमान में मौजूद 1200 से अधिक ट्रांसपोर्टरों में से केवल 200 को ही वहां जगह मिल सकती है, क्योंकि उसका आकार छोटा है। उसमें भी पुरानी दिल्ली में मौजूदा व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के बदले उन्हें 50-50 मीटर के प्लाट दिए जा रहे हैं और उसके बदले 33-33 लाख रुपये राशि मांगी जा रही है, जो गलत है। जबकि ट्रासंपोर्टर होलंबी कला में गोदाम और पुरानी दिल्ली के बाजारों में बुकिंग आफिस रखना चाहते हैं। जबकि डीडीए चाहता है कि वे यहां से पूरी तरह से कारोबार बंद कर दें। इसी तरह ट्रांसपोर्ट हब के लिए आवंटित स्थान पर आधारभूत संरचनाओं का विकास नहीं हुआ है। साथ ही हब का जो नक्शा तैयार किया गया है। उसमें भी विसंगतियां है।

दिल्ली गुड्स ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष, परमीत सिंह गोल्डी ने कहा- हमें वहां मात्र 50-50 मीटर का प्लाट दिया जा रहा है, जो गोदाम व लोडिंग-अनलोडिंग के लिहाज से कम है। ऊपर से उसकी दर अधिक है। यह चावड़ी बाजार के पेपर व तिलक बाजार के रासायन कारोबारियों से दोगुनी है। इसलिए आपत्ति जताई है और डीडीए अधिकारियों से मिलने का वक्त मांगा है।

वहीं, दिल्ली गुड्स ट्रांसपोर्ट आर्गनाइजेशन के अध्यक्ष, राजेंद्र कपूर ने कहा- ट्रासंपोर्टर हब का जो लेआउट प्लान बनाया गया है, उसमें भी विसंगतियां है। दोनों तरफ गोदामों के बीच 18 मीटर की सड़क दी जा रही है, यह चौड़ाई काफी कम है। इसी तरह की अन्य विसंगतियां हैं। दूसरे, डीडीए का कहना है कि पुरानी दिल्ली में बुकिंग आफिस भी बंद करें। यह कैसे संभव है।

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