पश्चिमी देशों की मीडिया भारत की छवि को धूमिल करने का कर रही प्रयास
Coronavirus Outbreak धारणा परिवर्तन अपने आप में एक नीतिगत रणनीति है। दुर्भाग्य से भारत इसे मजबूत बनाने में धीमा रहा है। इस धारणा निर्माण परियोजना में यूरोपीय संघ अमेरिका चीन और अन्य देश बहुत आगे और आक्रामक हैं।
नई दिल्ली, निहाल सिंह। Coronavirus Outbreak भारत की तुलना में पश्चिमी देश अपनी छवि के लिए काफी नीतिगत और ढांचागत तरीके से काम करते हैं। एक देश अपनी छवि को बचाने में किस आक्रामक तरीके से कार्य करता है इसका सबसे ताजा उदाहरण सिंगापुर का प्रकरण है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सिंगापुर वैरियंट नाम के कोरोना वायरस को आधार बनाकर वहां की हवाई यात्रा बंद करने की बात कही तो दूतावास से लेकर सिंगापुर की पूरी सरकार सक्रियता से जुट गई। कुछ ही घंटों के अंदर उसका खंडन आया। साथ ही दूतावास ने भी विभिन्न माध्यमों से केजरीवाल के बयान का खंडन किया।
भारत को भी इस तरह के आक्रामक रुखों को रखने के लिए व्यवस्था को मजबूत करनी होगी। चूंकि भारत एक तेजी से उभरती हुई अर्थव्यवस्था है। कोई भी शक्तिशाली व्यक्ति अपने से ज्यादा शक्तिशाली व्यक्ति को उभरने नहीं देता है। पश्चिमी देश विकसित देशों में है वह कभी नहीं चाहेंगे कि भारत एक शक्तिशाली देश के रूप अपने आप को स्थापित करें। हालांकि हम हर क्षेत्र में अपने आप को शक्तिशाली बनाने के लिए प्रयास कर रहे हैं। परंतु पश्चिमी देशों की मीडिया भारत की छवि धूमिल कर उसके शक्तिशाली बनने के प्रयासों की रफ्तार में स्पीड ब्रेकर लगाना चाहती है।
यही वजह है कि पश्चिमी देशों में जब कोरोना से स्थिति बिगड़ती है तो उसे इतनी प्रमुखता से नहीं दिखाया जाता जबकि भारत में कोरोना को लेकर बीते दो माह में उत्पन्न हुए हालातों को दिखाकर यह साबित करने की कोशिश की जा रही है कि हम इस लड़ाई में मजबूती से नहीं लड़ रहे। जबकि सरकारें 2020 से ही जिस तरह जुटी हुई हैं, उससे कोरोना से लोगों को बचाने में हमने मजबूती हासिल की। इससे पश्चिमी देशों की मीडिया ने प्रमुखता से नहीं दिखाया। आज जबकि हालात विपरीत हुए तो इसे बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया जा रहा है।
[डॉ शक्ति प्रसाद श्रीचदंन, असिस्टेंट प्रोफेसर, सेंटर फार यूरोपियन स्टडीज, स्कूल आफ इंटरनेशनल स्टडीज, जेएनयू]