8th Theatre Olympics: बस्तर की कला से रूबरू करा गए कलाकार

नाटक दर्शकों के लिए एक उपहार की तरह है और भावनात्मक रूप से उत्प्रेरित करने वाला था।

By JP YadavEdited By: Publish:Mon, 02 Apr 2018 03:00 PM (IST) Updated:Mon, 02 Apr 2018 03:00 PM (IST)
8th Theatre Olympics: बस्तर की कला से रूबरू करा गए कलाकार
8th Theatre Olympics: बस्तर की कला से रूबरू करा गए कलाकार

नई दिल्ली (जेएनएन)। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में बस्तर से आए आदिवासी कलाकारों ने यहां दर्शकों का दिल जीत लिया। उन्होंने देवपाद नाटक की प्रस्तुति की जिसकी चर्चा डायरेक्टर्स मीट में भी हुई। ‘देव पाद’ नाटक पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए नाट्य समीक्षक संगम पांडेय ने कहा कि यह नाटक धाराप्रवाह था। इसमें एक भी ऐसा बिंदु मुङो नहीं मिला जिसपर अंगुली उठाई जा सके।

यह दर्शकों के लिए एक उपहार की तरह है और भावनात्मक रूप से उत्प्रेरित करने वाला था। अपने नाटक के बारे में बात करते हुए निर्देशक अनूप रंजन पांडेय ने कहा कि हमारी टीम में बस्तर के विभिन्न हिस्सों से संबंधित कलाकार शामिल हैं।

इनमें से कुछ तो एक-दूसरे से 200 किमी की दूरी पर भी रहते हैं, और उनके लिए एक जगह एकत्र होकर नाटक के लिए रिहर्सल कर पाना बड़ी चुनौती थी, फिर भी उन्होने यह किया क्योंकि उन्हें थिएटर आर्ट से बेहद लगाव है। अपने नाटक ‘द लास्ट वन’, के बारे में बात करते हुए निर्देशिका जीना जेलियाना ने कहा कि, इस नाटक की स्क्रिप्ट लिखने की प्रक्रिया बेहद सहयोगी रही है।

हमने टीम के अलग-अलग सदस्यों के विभिन्न विचारों को एकत्रित किया और इसमें कुछ निजी यादें और कुछ शोध किया। मैने इस स्क्रिप्ट में अपनी बहुत पहले लिखी हुई एक कविता को भी सम्मिलित किया। हमने इस विषय से संबंधित तमाम न्यूज आर्टिकल भी पढ़े और स्थानीय समुदायों के बीच प्रचलित कहानियों से भी प्रेरणा ली।

‘तखन बिकेली’ नाटक पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए समीक्षक दीवान सिंह बजेली ने कहा कि, स्क्रिप्ट, संगीत और प्रस्तुति के मामले में इस नाटक में बेहतरीन कार्य किया गया है। इस तरह के क्लासिक नाटक के साथ न्याय कर पाना बेहद चुनौती भरा काम होता है और मैं यह निश्चित तौर पर कह सकता हूं कि डायरेक्टर ने इसके साथ पूरा न्याय किया है।

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