कोरोना प्रभावित बच्चों की सुरक्षा के लिए प्रत्येक देश में बने टास्क फोर्स: कैलाश सत्यार्थी

नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित बाल अधिकार कार्यकर्ता कैलाश सत्यार्थी ने बच्चों पर कोरोना महामारी से पड़ने वाले व्यापक असर को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र की सभी एजेंसियों को एक साथ मिलकर काम करने और इंटर एजेंसी हाई लेबल ग्रुप बनाने का सुझाव दिया।

By Nitin AroraEdited By: Publish:Mon, 24 May 2021 10:58 PM (IST) Updated:Tue, 25 May 2021 07:37 AM (IST)
कोरोना प्रभावित बच्चों की सुरक्षा के लिए प्रत्येक देश में बने टास्क फोर्स: कैलाश सत्यार्थी
कोरोना प्रभावित बच्चों की सुरक्षा के लिए प्रत्येक देश में बने टास्क फोर्स: कैलाश सत्यार्थी

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित बाल अधिकार कार्यकर्ता कैलाश सत्यार्थी ने सोमवार को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की ओर से आनलाइन आयोजित 74वीं व‌र्ल्ड हेल्थ असेंबली को बतौर मुख्य वक्ता संबोधित किया। उन्होंने कहा कि कोविड-19 से प्रभावित गरीब और वंचित बच्चों की सुरक्षा के लिए आर्थिक सहायता की व्यवस्था की जानी चाहिए। उन्होंने स्वास्थ्य मंत्रियों से अपने देश में बच्चों के लिए विशेष बजट आवंटित करने, कार्ययोजना व टास्क फोर्स बनाने की भी मांग की।

कैलाश सत्यार्थी ने बच्चों पर कोरोना महामारी से पड़ने वाले व्यापक असर को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र की सभी एजेंसियों को एक साथ मिलकर काम करने और इंटर एजेंसी हाई लेबल ग्रुप बनाने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि अब बच्चों के टीकाकरण के साथ ही कोरोना से प्रभावित बच्चों को बचाने के लिए अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय कार्ययोजनाएं बनाई जानी चाहिए। सत्यार्थी ने कहा कि कोरोना से पूरी दुनिया समान रूप से प्रभावित हुई है, लेकिन उससे निपटने के लिए संसाधनों का वितरण असमान रूप से किया गया। कोरोना के टीकों पर बौद्धिक संपदा प्रतिबंधों में छूट दी जानी चाहिए।

इस आनलाइन कार्यक्रम में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों, जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल व संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरस सहित दुनिया की नीतियों को प्रभावित करने वाले कई वैश्विक नेताओं ने भाग लिया। गौरतलब है कि व‌र्ल्ड हेल्थ असेंबली प्रत्येक साल स्विटजरलैंड के जिनेवा में आयोजित की जाती है। इसमें डब्ल्यूएचओ के 194 सदस्यीय देशों के स्वास्थ्य मंत्री और अन्य वैश्विक नेता भाग लेते हैं। इसमें दुनिया के स्वास्थ्य मुद्दों पर चर्चा होती है और उसके अनुरूप नीतियां बनाने पर विचार किया जाता है।

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