'जश्न-ए-हिंद' कार्यक्रम का आगाज आज, ये प्रस्तुतियां होंगी मुख्य आकर्षण

शुक्रवार से शुरू हो रहे इस तीन दिवसीय उत्सव में आर्मी बैंड भी होगा और पंडित बिरजू महाराज शम्सुर्रहमान फारुकी सरीखे वरिष्ठ कलाकार भी।

By Neel RajputEdited By: Publish:Fri, 21 Feb 2020 10:34 AM (IST) Updated:Fri, 21 Feb 2020 10:34 AM (IST)
'जश्न-ए-हिंद' कार्यक्रम का आगाज आज, ये प्रस्तुतियां होंगी मुख्य आकर्षण
'जश्न-ए-हिंद' कार्यक्रम का आगाज आज, ये प्रस्तुतियां होंगी मुख्य आकर्षण

नई दिल्ली [संजीव कुमार मिश्र]। सुर...संगीत... गजल...गुरबाणी.. मुशायरा... कव्वाली...भजन...ओपन-माइक...यानी महफिल एक...रंग अनेक। आयोजन है जश्न-ए-हिंद...जहां देश भक्ति के तराने छिड़ने तो लाजमी हैं ही और जब साथ में शास्त्रीय-कला-संस्कृति के दिग्गज इस उत्सव में आएंगे तो इस जश्न की सांझ बेमिसाल होगी ही। शुक्रवार से शुरू हो रहे इस तीन दिवसीय उत्सव में आर्मी बैंड भी होगा और पंडित बिरजू महाराज, शम्सुर्रहमान फारुकी सरीखे वरिष्ठ कलाकार भी।

आयोजन करा रही संस्था साक्षी की अध्यक्ष मृदुला टंडन बताती हैं कि बरेली के इलियास अली दिल्ली में पहली बार प्रस्तुति देंगे। इलियास की रामायण पर आधारित नज्म बेमिसाल हैं। सुनकर रोम-रोम पुलकित हो जाता है। बताती हैं कि एक वीडियो फेसबुक पर देखी थी। कई दिनों तक तलाश के बाद पता चला कि इलियास बरेली के हैं। किसी तरह संपर्क हुआ। उन्हें दिल्ली में प्रस्तुति के बारे में बताया तो पहले पहल तो यह कहकर मना कर दिए कि मैं खाली नहीं हूं। लेकिन जब हम इनसे मिले तो इन्होंने बड़ी मासूमियत से कहा कि, दिल्ली बहुत बड़ी है, मैं गुम हो जाउंगा। यदि कोई साथ चले तभी मैं आउंगा। मुझे पैसा भी नहीं चाहिए। इस तरह उन्होंने आना स्वीकार किया।

पुरानी दिल्ली की रंगत

उत्सव में पुरानी दिल्ली की रंगत भी दिखेगी। दरअसल उर्दू के प्रसिद्ध लेखक शम्सुर्रहमान फारुकी इसमें शिरकत कर रहे हैं। उनकी किताब ‘कई चांद थे सरे आसमान में’ बड़ी खूबसूरती से पुरानी दिल्ली के इतिहास को पाठकों के सामने प्रस्तुत करती है। यही खुला आसमान, चांदनी, महल, पुरानी दिल्ली की कला एवं संस्कृति दिखेगी। तकरीबन 750 पृष्ठों में शम्सुर्रहमान फारुकी ने कमाल की किस्सागोई की है। मिटती बादशाहत के साए में समाज और उसके शायर एवं फनकार जीव के बदलते चेहरों को जिस करीने से शम्सुर्रहमान ने उकेरा है, वाकई लाजवाब है। ऐसे ही इंसान के मन में उगने वाले बीज आंखों को भी भाता है और सपनों में चढ़ दिल में भी उतरता है।

कलाकारों का कवि रूप

शायर, कहानीकार, थियेटर कलाकारों को उनकी कृतियों के अतिरिक्त हम उनके पेशे से पहचानते हैं। मसलन, शोभना नारायन नृत्यांगना है। रमा पांडेय थियेटर कलाकार हैं। लेकिन अपनी कला को समृद्ध करती इन शख्सियतों के दिल में कवि भी बसता है। जो इन्हें कविताएं लिखने को प्रेरित करता है। प्रसिद्ध शख्सियतों को मंच पर कविता पाठ करते देखना दिलचस्प होगा।

खास आकर्षण

आर्मी बैंड की प्रस्तुति शकील अहमद की गजल प्रस्तुति। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के छात्रों द्वारा दास्तानगोई की प्रस्तुति। दिव्यांग बच्चों की प्रस्तुति। प्रतिदिन भजन, सूफी एवं गुरबाणी की प्रस्तुति।

महत्वपूर्ण जानकारी आयोजन : जश्न-ए-हिंद कहां : आइजीएनसीए, जनपथ। कब : 21 से 23 फरवरी तक, शाम चार से रात साढ़े आठ बजे तक। बाकि 22 एवं 23 को सुबह दस बजे से। प्रवेश : निशु:ल्क नजदीकी मेट्रो स्टेशन : केंद्रीय सचिवालय।

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