75th Independence Day: सदी पहले भारत के राष्ट्रीय ध्वज में थे दो रंग, 1931 में बना तिरंगा; जानिए पूरा इतिहास

पहला राष्ट्रीय ध्वज 7 अगस्त 1906 को कोलकाता के पारसी बागान स्क्वायर पर फहराया गया था। ध्वज के तीन प्रमुख रंग थे। लाल पीला और हरा। वर्तमान भारतीय तिरंगे के पहले संस्करण को करीब 1921 में पिंगली वेंकय्या द्वारा डिजाइन किया गया था।

By Umesh KumarEdited By: Publish:Sun, 14 Aug 2022 01:59 PM (IST) Updated:Sun, 14 Aug 2022 01:59 PM (IST)
75th Independence Day: सदी पहले भारत के राष्ट्रीय ध्वज में थे दो रंग, 1931 में बना तिरंगा; जानिए पूरा इतिहास
जानें क्या है तिरंगा का इतिहास (फोटो एएनआई)

नई दिल्ली, डिजिटल डेस्क। स्वतंत्रता दिवस (75th Independence Day) के उपलक्ष्य में हर घर तिरंगा अभियान के तहत देश की सड़कों और गलियों में तिरंगे लगाए गए हैं। लोगों में उत्साह और जोश भर गया है। दिवारों पर देश भक्ति के स्लोगन लिख दिए गए हैं। देश भक्ति गाने हर गली-कूचे में बज रहे हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं देश का पहला झंडा कैसा था, कब बना और कहां फहराया गया। आइए जानते हैं भारतीय राष्ट्रीय ध्वज के बारे में कुछ रोचक तथ्य। 

पहला राष्ट्रीय ध्वज 7 अगस्त, 1906 को कोलकाता के पारसी बागान स्क्वायर पर फहराया गया था। ध्वज के तीन प्रमुख रंग थे। लाल, पीला और हरा। वर्तमान भारतीय तिरंगे के पहले संस्करण को करीब 1921 में पिंगली वेंकय्या द्वारा डिजाइन किया गया था। इसके दो प्रमुख रंग थे- लाल और हरा।

1931 में तीन रंगों से बनाया झंडा

दस साल बाद 1931 में तिरंगे झंडे को हमारे राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाते हुए एक ऐतिहासिक प्रस्ताव पारित किया गया था। तब इसे तीन रंगों से बनाया गया। केसरिया, सफेद और हरा। बीच में महात्मा गांधी के चरखे को दर्शाया गया। 

चरखे को हटाकर लगाया गया अशोक चक्र

आगे चल कर कुछ संशोधन के बाद इसमें फिर बदलाव किया गया। महात्मा गांधी के चरखे को हटाकर अशोक चक्र को तिरंगे के बीच में बनाया गया। 22 जुलाई 1947 को इसे भारतीय तिरंगा के रूप आधिकारिक तौर पर अपनाया गया। इसे पहली बार 15 अगस्त 1947 को फहराया गया था। 

तिरंगे का पहला रंग केसरिया जो देश की ताकत और साहस का प्रतीक है। वहीं सफेद शांति और सच्चाई का और हरा रंग समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। बीच में लगे नीले रंग के आशोक चक्र की 24 तीलियां ये बताती हैं कि जीवन गतिशील है।  

झंडा फहराने को लेकर नवीन जिंदल ने लड़ी लड़ाई

पहले पहल चुनिंदा अवसरों (15 अगस्त, 26 जनवरी) को छोड़कर राष्ट्रीय ध्वज को फहराने की अनुमित नहीं थी। इसके खिलाफ उद्योगपति नवीन जिंदल ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की। लगभग एक दशक की लंबी लड़ाई के बाद 23 जनवरी 2004 को सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया। 

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राष्ट्रीय ध्वज को सम्मान और गरिमा के साथ स्वतंत्र रूप से फहराने का अधिकार एक भारतयी नागरिक का मौलिक अधिकार है। इसके बाद हर किसी को तिरंगा फहराने का अधिकार मिल गया। 

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