Computed Tomography, Cancer: आखिर क्या सीटी स्कैन? एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने क्यों कहा- लोग न कराएं यह जांच

दिल्ली स्थित एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने कहा कि कोरोना वायरस संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं और आजकल बहुत ज़्यादा लोग सीटी स्कैन करा रहे हैं। जब सीटी स्कैन की जरूरत नहीं है तो उसे कराकर आप खुद को नुकसान ज़्यादा पहुंचा रहे हैं

By Jp YadavEdited By: Publish:Mon, 03 May 2021 08:09 PM (IST) Updated:Tue, 04 May 2021 07:27 AM (IST)
Computed Tomography, Cancer: आखिर क्या सीटी स्कैन? एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने क्यों कहा- लोग न कराएं यह जांच
आखिर क्या सीटी स्कैन? एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने क्यों कहा- लोग न कराएं यह जांच

नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। दिल्ली में कोरोना वायरस संक्रमण के बढ़ते मामलों ने लोगों में घबरा पैदा कर दी है। लोग जरा सा लक्षण सामने आते ही जांच कराने या फिर अस्पताल भागने की जद्दोजहद में लग जाते हैं। यही वजह है कि निजी और सरकारी दोनों लैब पर जबरदस्त तरीके से दबाव है। इस बीच दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के निदेश डॉ. रणदीप गुलेरिया (Dr. Randeep Guleria, Director of All India Institute of Medical Sciences, Delhi) ने कहा है कि कोरोना वायरस संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं और आजकल बहुत ज़्यादा लोग सीटी स्कैन करा रहे हैं। जब सीटी स्कैन की जरूरत नहीं है तो उसे कराकर आप खुद को नुकसान ज़्यादा पहुंचा रहे हैं, क्योंकि आप खुद को रेडिएशन के संपर्क में ला रहे हैं। इससे बाद में कैंसर होने की संभावना बढ़ सकती है। उन्होंने लोगों को एक्सरे कराने की सलाह दी है, लेकिन कहा है कि लोग सीटी स्कैन कराने में जल्दबाजी नहीं करें। इससे लोगों को कैंसर हो सकता है।

एम्स के डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कोरोना के हल्के संक्रमण के मामलों में सीटी स्कैन कराए जाने को लेकर आगाह किया है। उन्होंने कहा कि एक सीटी स्कैन 300 से 400 एक्स-रे कराने जैसा है। ऐसे में अकारण सीटी स्कैन कराने से फायदे की जगह नुकसान उठाना पड़ सकता है। हल्के संक्रमण के मामलों में सीटी स्कैन नहीं कराने पर जोर देते हुए डॉ. रणदीप गुलेरिया ने प्रेसवार्ता के दौरान कहा कि कई लोग कोरोना संक्रमित पाए जाने के बाद सीटी स्कैन करा रहे हैं। सीटी स्कैन और बायोमार्कर्स का दुरुपयोग हो रहा है। इससे नुकसान हो सकता है। उन्होंने कहा, 'आंकड़े बताते हैं कि युवावस्था में बार-बार सीटी स्कैन कराने से आगे चलकर कैंसर का खतरा बढ़ सकता है। खुद को बार-बार रेडिएशन के संपर्क में लाने से नुकसान हो सकता है। इसलिए आक्सीजन का स्तर सामान्य होने और हल्के संक्रमण की स्थिति में सीटी स्कैन कराने का कोई औचित्य नहीं है।' उन्होंने कहा कि अध्ययनों के मुताबिक सामान्य बुखार में और बिना लक्षण वाले संक्रमितों में भी सीटी स्कैन पर कुछ धब्बे दिख सकते हैं, जो बिना इलाज के ठीक हो जाते हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि अस्पताल में भर्ती होने और सामान्य से गंभीर संक्रमण की स्थिति में ही सीटी स्कैन का विकल्प चुनना चाहिए। सामान्यत: कोई संदेह होने पर एक्स-रे का विकल्प अपनाना चाहिए।

अनावश्यक जांच भी न कराएं

डॉ. गुलेरिया ने कहा कि हल्के बुखार में या होम आइसोलेशन की स्थिति में विभिन्न बायोमार्कर्स के लिए बहुत सारी खून की जांच कराना भी जरूरी नहीं है। अगर आक्सीजन का स्तर सामान्य है, बुखार तेज नहीं और कोई अन्य लक्षण नहीं है, तो इनसे बचना चाहिए। कुछ बायोमार्कर तो हल्की सी चोट और दांत में दर्द से भी बढ़ जाते हैं। इनका यह अर्थ नहीं है कि कोरोना का संक्रमण गंभीर हो गया है। ऐसी जांच से घबराहट बढ़ती है। इन पर निर्भर रहकर कई बार जरूरत से ज्यादा दवा का इस्तेमाल कर लिया जाता है, जिससे नुकसान होता है।

दवाओं के इस्तेमाल में भी सावधानी बरतें

डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा कि क्लीनिकल मैनेजमेंट गाइडलाइंस में स्पष्ट किया गया है कि हल्के बुखार वालों को किसी दवा की जरूरत नहीं होती। इवरमेक्टीन या हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन ले सकते हैं, लेकिन बहुत ज्यादा दवा लेने से बचना चाहिए। उन्होंने कहा कि आक्सीजन का स्तर 93 से नीचे जाने, बहुत थकान या सीने में दर्द जैसे लक्षण होने पर ही होम आइसोलेशन के मरीज को अस्पताल ले जाना पड़ सकता है। इसलिए मरीजों को लगातार डॉक्टर के संपर्क में रहना चाहिए। पहले से किसी बीमारी के शिकार लोगों को विशेष देखभाल की जरूरत होती है।

AIIMS के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया की अहम बातें

सीटी स्कैन का रेडिएशन खतरनाक होता है। साथ ही कोरोना के माइल्ड केसेज में CRP और D-Dimer जैसे बायोमार्कर्स भी चेक करवाने की जरूरत नहीं है। माइल्ड केसेज में सीटी स्कैन करवाने की जरूरत नहीं है। आपमें लक्षण ना हों फिर भी सीटी स्कैन में पैच दिख सकते हैं। 1 सीटी स्कैन से 300-400 एक्स-रेज के बराबर रेडिएशन निकलता है। यंग एज में बार-बार सीटी स्कैन करवाने से आगे चलकर कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। सीटी स्कैन का ज्यादा इस्तेमाल आगे चलकर कैंसर का खतरा बढ़ा सकता है। कई लोग सीटी स्कैन के लिए भाग रहे हैं। सीटी स्कैन में 30 से 40 फीसदी पैच दिख सकते हैं जो कि अपने आप ही ठीक हो जाते हैं।

सीटी स्कैन किसी भी चीज को छोटे-छोटे सेक्शन में काटकर उसका अध्ययन करना होता है। कोविड के मामले में डॉक्टर जो सीटी स्कैन कराते हैं, वो है एचआरसीटी चेस्ट यानी सीने का हाई रिजोल्यूशन कंप्यूटराइज्ड टोमोग्राफी स्कैन। सीटी स्कोर से जानकारी मिलती है इंफेक्शन ने फेफड़ों को कितना नुकसान पहुंचाया है। 

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