Digital Payment System: सैकड़ों साल से पुराने बाजारों में भी बदल गया लेन-लेन का तराका, दुकानदार बोले- No Cash

यह नोटबंदी के ठीक बाद की स्थिति है जब 500 और 1000 का नोट बंद होने के बाद भुगतान के लिए लोग बड़े पैमाने पर मोबाइल वालेट व कार्ड जैसे माध्यमों पर निर्भर हुए थे।

By JP YadavEdited By: Publish:Mon, 15 Jun 2020 08:40 PM (IST) Updated:Tue, 16 Jun 2020 07:13 AM (IST)
Digital Payment System: सैकड़ों साल से पुराने बाजारों में भी बदल गया लेन-लेन का तराका, दुकानदार बोले- No Cash
Digital Payment System: सैकड़ों साल से पुराने बाजारों में भी बदल गया लेन-लेन का तराका, दुकानदार बोले- No Cash

नई दिल्ली [नेमिष हेमंत]। केंद्र सरकार द्वारा नकद रहित भुगतान को बढ़ावा देने के प्रयासों के बीच कोरोना काल में बिना नकदी के बाजार चलने लगा है। हालत यह कि लॉकडाउन के बाद खुले खुदरा से लेकर सैकड़ों साल पुराने पुरानी दिल्ली के थोक बाजार में 70 फीसद से ज्यादा कारोबार नकद रहित हो रहा है। वहीं, खान मार्केट जैसे पॉश खुदरा मार्केटों में नकद रहित भुगतान तो 90 फीसद तक है।

खास बात कि इस दौर में फोन, मेल और वाट्सएप से कारोबारी डील हो रही है तो भुगतान में मोबाइल वालेट, चेक व नकद हस्तानांतरण जैसे माध्यमों का प्रयोग हो रहा है। यह नोटबंदी के ठीक बाद की स्थिति है जब 500 और 1000 का नोट बंद होने के बाद भुगतान के लिए लोग बड़े पैमाने पर मोबाइल वालेट व कार्ड जैसे माध्यमों पर निर्भर हुए थे।

दिल्ली को कारोबारी हब के तौर पर भी जाना जाता है। जहां से पूरे उत्तर भारत में कारोबार होता है। लॉकडाउन -4 में ऑड-इवन फार्मूले से और अनलॉक-1 में पूरी तरह से दिल्ली के बाजार खुलने लगे हैं। कारोबार भी धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा है। कई बाजारों का कारोबार आम दिनों की तुलना में 30 से 40 फीसद तक पहुंच गया है। चांदनी चौक, सदर बाजार, कनॉट प्लेस व करोलबाग जैसे बाजार खुलने लगे हैं।

वहीं, वैश्विक महामारी कोरोना के बीच खुलने लगे बाजारों ने कारोबार के तरीके में बड़ा बदलाव किया है। एक तो शारीरिक दूरी के नियम का पालन करना है। आवागमन सुगम नहीं होने से अभी भी दिल्ली के विभिन्न भागों से या एनसीआर के शहरों से दिल्ली के बाजारों में आना टेढ़ी खीर है। तीसरे नोट से भी कोरोना संक्रमण की अफवाह भी बाजारों में है। इसलिए लोग बाजार में आने या भुगतान में सीधे नोटों के इस्तेमाल से बचने की कोशिश कर रहे हैं।

आटोमोटिव पाट्र्स मर्चेंट एसाेसिएशन कश्मीरी गेट के महासचिव विनय नारंग ने बताया कि नकद रहित भुगतान और फोन, वाट्सएप व मेल से आर्डर लेने के मामले पूरे कारोबार का तकरीबन 70 फीसद है। पहले यह मुश्किल से 20 फीसद ही था। उन्होंने कहा कि कश्मीरी गेट से आटो पाट्र्स जम्मू व कश्मीरी और दक्षिणी के राज्यों तक जाते हैं। हरियाणा, उत्तर प्रदेश व पंजाब से कारोबार काफी है। ऐसे में वहां के कारोबारी आर्डर नोट करा देते हैं और बैंक, रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट (आरटीजीएस), तत्काल भुगतान सेवा (आइएमपीएस) व राष्ट्रीय इलेक्ट्रानिक्स एंड फंड ट्रांसफर (एनईएफटी) जैसे माध्यमों से भुगतान कर देते हैं। फिर सामानों को ट्रांसपोर्ट के माध्यम से भेज दिया जाता है।

भारतीय उद्योग व्यापार मंडल (बीयूवीएम) दिल्ली के महासचिव हेमंत गुप्ता ने बताया कि भुगतान में चेक और मोबाइल वालेट भुगतान का भी सहारा लिया जा रहा है। नया बाजार के खाद्य तेल का 70 फीसद कारोबार इन्हीं माध्यमों से चल रहा है।

खान मार्केट ट्रेडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष संजीव मेहरा ने कहा कि नोटबंदी से पहले जहां उनके बाजार में नकद रहित भुगतान 50 फीसद था, वहीं उसके बाद 80 फीसद वहीं अब 90 फीसद तक पहुंच गया है। यहां कार्ड से भुगतान का प्रचलन अधिक है। यहीं नहीं, फेडरेशन ऑफ सदर बाजार ट्रेडर्स एसोसिएशन के महासचिव राजेेंद्र शर्मा ने बताया कि सदर बाजार मेें 60 फीसद भुगतान नकद रहित है।

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