Lockdown 4.0 Delhi Metro Service: आखिर क्यों चलनी चाहिए दिल्ली मेट्रो, नामी विशेषज्ञ ने बताई वजह

Lockdown 4.0 Delhi Metro Service दिल्ली मेट्रो के क्षमता है और सारी व्यवस्था भी है तो मेट्रो का चलाया जाना चाहिए।

By JP YadavEdited By: Publish:Tue, 19 May 2020 09:23 AM (IST) Updated:Tue, 19 May 2020 12:08 PM (IST)
Lockdown 4.0 Delhi Metro Service: आखिर क्यों चलनी चाहिए दिल्ली मेट्रो, नामी विशेषज्ञ ने बताई वजह
Lockdown 4.0 Delhi Metro Service: आखिर क्यों चलनी चाहिए दिल्ली मेट्रो, नामी विशेषज्ञ ने बताई वजह

नई दिल्ली [संजीव कुमार मिश्र]। Lockdown 4.0 Delhi Metro Service: लॉकडाउन का चौथा चरण चालू हो चुका है। दिल्ली सरकार ने कुछ रियायत देनी शुरू कर दी है। मेरी राय है कि मेट्रो को जितनी जल्दी हो सके, शुरू कर देना चाहिए। क्यों कि मेट्रो बंद रखना समस्या का समाधान नहीं है। मेट्रो चलती तो यात्रियों की भीड़ ही शेयर करती। मेट्रो में तो फिर भी पहले से एक सिस्टम है। मेट्रो में चेंकिंग का काम पहले से होता है और बड़े स्तर पर साफ-सफाई होती है। वो लोगों को प्लेटफॉर्म पर जाने से रोक सकते हैं। मेट्रो पर चढ़ने से रोक सकते हैं। कम्यूनिकेशन सिस्टम बहुत अच्छा है। लेकिन अगर मेट्रो परिचालन शुरू होता है तो शारीरिक दूरी के पालन का सवाल उठता है? 2018-19 के आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक दिल्ली मेट्रो में 25 लाख लोग रोजाना सफर किए। जो मार्च 2020 तक 46.53 लाख के करीब हो गई थी।

बस संचालन में खास सावधानी बरती जाए

वहीं, बसों का परिचालन होगा। हांलाकि यात्रियों की संख्या बहुत सीमित रखी गई है। लेकिन क्या इसे लागू कराना आसान होगा? डीटीसी की बसें अपनी भीड़ के लिए प्रसिद्ध है लेकिन क्या कोरोना काल में परिचालन अनुशासन के दायरे में होगा। यात्री एक बस में 20 सवारी सरीखे नियमों का पालन करेंगे? मेट्रो और बसों में तो कहा गया है कि जितनी क्षमता है उससे कम लोग ले जाएंगे। लेकिन, उसे कैसे नियंत्रित करना है ये बड़ी चुनौती होगी। क्यों कि बसों और मेट्रो में भीड़ बहुत ज्यादा होती है। मेरा मानना है कि फिलहाल एकाध हफ्ते तो लोग बड़ी संख्या में घरों से बाहर निकलेंगे ही नहीं। क्यों कि लोग भी काफी डरे सहमे हैं। दूसरी बात यह भी है कि बसों के साथ ऑटो, ग्रामीण सेवा भी शुरू की गई है। डीटीसी परिचालन के अलावा और कोई विकल्प भी तो नहीं है। मैं भी मानता हूं कि नियमों का पालन कराना चुनौती भरा काम है लेकिन इन परिस्थितियों में और किया भी क्या जा सकता है? बसों में यात्रियों को ठूंसकर सफर करने तो दिया जा नहीं सकता। और बसों का परिचालन भी अत्यावश्यक है। यहां पर होम गार्ड और मार्शल का काम बढ़ जाता है। बस स्टॉप पर इनकी मदद ली जा सकती है। इनके जरिए यात्रियों से नियमों का पालन कराया जा सकता है। बिना मास्क लगाए लोगों को चढ़ने की इजाजत न दी जाए। बसों के एक चक्कर के बाद टर्मिनल पर उन्हें सेनिटाइज किया जाए।

सरकार ने संस्थानों को भी खोलने का आदेश दिया है। मैं मानता हूं कि संस्थानों का दायित्व बढ़ गया है। संस्थानों को चाहिए कि अपने यहां 50 फीसद स्टॉफ ही बुलाए। क्यों कि आफिस को भी सुरक्षित रखना है। अगर दफ्तर खोलने का आदेश आ भी गया तो यह न समझा जाए कि परिस्थितियां पहले की तरह सामान्य हो गई है। हम सभी को गंभीरता और मौके की नजाकत को समझना होगा। दिल्ली में अभी स्कूल कालेज समेत किसी भी तरह की गैदरिंग बंद है। इसलिए भीड़ नहीं होगी। दिल्ली में बड़ी संख्या में स्टॉफ बसें है जो प्रतिदिन नेहरू प्लेस, केंद्रीय सचिवालय समेत बड़े दफ्तरों के कर्मचारियों को आफिस से दफ्तर लेकर आती-जाती है। इनकी संख्या 12000 है। इनको भी चलाना चाहिए। स्कूलों के बसों का भी उपयोग करना चाहिए।

मैं तो इतना ही कहूंगा कि सिस्टम से बड़ा शक्तिशाली कोई नहीं होता। यदि सिस्टम चाहे तो शारीरिक दूरी का पालन मुमकिन होगा। यदि सिस्टम नहीं चाहेगा तो कुछ भी नहीं हो सकता। खड़े होकर सफर को अनुमति नहीं दे, सिर्फ सिटिंग की इजाजत दी जाए। देखिए, कोरोना को पैनिक बनने से रोकना है। ऐसा ना कर दें कि लोग बुरी तरह डर सहम जाए। कोरोना से ज्यादा मौतें तो अपने यहां मलेरिया, सड़क हादसों से होती है। तो क्या पूरे देश में परिवहन बंद कर देना चाहिए क्या? नहीं न। इसलिए कोरोना के साथ जीने की आदत डालनी पड़ेगी। लोगों को मास्क पहनकर ही बाहर निकलना चाहिए। हाथों को धोते रहे।

सरकार द्वारा दी जा रही ढील का लाभ उठाना चाहिए। 31 मई तक लॉकडाउन का चौथा चरण है। तब तक हमें इन सहुलियतों के विश्लेषण का भी पर्याप्त समय मिल जाएगा। यह तो तय है कि हम पूरे भारत को जेल नहीं बना सकते। अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंच रहा है, सवाल रोजी रोटी का भी तो है। लॉकडाउन में ढील दी जाएगी तो लोगों को रोजगार भी मिलेगा। लॉकडाउन में सख्ती कराकर तो हमने देख लिया, किस कदर लोग परेशान हुए।

(इंडियन फाउंडेशन आफ ट्रांसपोर्ट रिसर्च एंड ट्रेनिंग के संयोजक व परिवहन विशेषज्ञ एसपी सिंह से बातचीत पर आधारित आलेख। )

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