फर्जी कोरोना जांच रिपोर्ट मामला: हाई कोर्ट ने आरोपित को अग्रिम जमानत देने से किया इन्कार

बेटे को अंतरिम जमानत पर रिहा कराने के लिए अदालत में फर्जी कोरोना जांच रिपोर्ट देने के आरोपित पिता को राहत देने से दिल्ली हाई कोर्ट ने ने इन्कार कर दिया है। याचिकाकर्ता पर धोखाधड़ी समेत अन्य धाराओं में स्पेशल सेल ने मुकदमा दर्ज किया गया था।

By Mangal YadavEdited By: Publish:Thu, 23 Sep 2021 06:02 AM (IST) Updated:Thu, 23 Sep 2021 09:01 AM (IST)
फर्जी कोरोना जांच रिपोर्ट मामला: हाई कोर्ट ने आरोपित को अग्रिम जमानत देने से किया इन्कार
बेटे को रिहा कराने के लिए दी थी फर्जी कोरोना रिपोर्ट

नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। बेटे को अंतरिम जमानत पर रिहा कराने के लिए अदालत में फर्जी कोरोना जांच रिपोर्ट देने के आरोपित पिता को राहत देने से दिल्ली हाई कोर्ट ने ने इन्कार कर दिया है। न्यायमूर्त अनु मल्होत्रा की पीठ ने कहा कि फर्जी रिपोर्ट बनाने के साजिशकर्ताओं की कड़ी का पता लगाने के लिए आरोपित राजेंद्र सिंह को हिरासत में लेकर पूछताछ करने की जरूरत है। पीठ ने उक्त टिप्पणी के साथ याचिकाकर्ता राजेंद्र की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी।

याचिकाकर्ता पर आपराधिक साजिश, झूठे प्रमाण पत्र के उपयोग करना, धोखाधड़ी समेत अन्य धाराओं में स्पेशल सेल ने मुकदमा दर्ज किया गया था। याचिकाकर्ता ने अपने बेटे योगेश को अंतरिम जमानत दिलाने के लिए कोरोना जांच की फर्जी रिपोर्ट दाखिल की थी। योगेश पर अलीपुर थाने में महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण कानून (मकोका) के तहत मामला दर्ज है। निचली अदालत के निर्देश पर हुए सत्यापन में कोरोना जांच रिपोर्ट फर्जी पाई गई थी और आरोपित कोरोना संक्रमित नहीं था।

सुनवाई के दौरान याची के बेटे की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता ने निचली अदालत में बताया था कि गौरव नाम के एक व्यक्ति ने उसे योगेश की अंतरिम जमानत के लिए उनसे मुलाकात की थी और कोराेना संक्रमण की पुष्टि वाला प्रमाण पत्र भेजा था। हालांकि, बाद में गौरव ने कहा था कि फर्जी रिपोर्ट का स्रोत याचिकाकर्ता ही था। अभियोजन पक्ष ने दलील दी कि झूठे प्रमाण पत्र बनाने के लिए दर्ज मामले की जांच के लिए याचिकार्ता को हिरासत में लेने की जरूरत है। पीठ ने इससे सहमति जताते हुए याचिकाकर्ता की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी।

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