दिल्ली में रुका खसरा व रूबेला टीकाकरण अभियान, AAP सरकार की वजह से पैदा हुआ विवाद

खसरा और रूबेला (एमआर) के टीकाकरण पर दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार को रोक लगा दी। अब मामले की अगली सुनवाई 21 जनवरी को होगी।

By Mangal YadavEdited By: Publish:Wed, 16 Jan 2019 12:13 PM (IST) Updated:Wed, 16 Jan 2019 12:44 PM (IST)
दिल्ली में रुका खसरा व रूबेला टीकाकरण अभियान, AAP सरकार की वजह से पैदा हुआ विवाद
दिल्ली में रुका खसरा व रूबेला टीकाकरण अभियान, AAP सरकार की वजह से पैदा हुआ विवाद

नई दिल्ली, जेएनएन। देश की राजधानी दिल्ली में बुधवार से शुरू होने वाले खसरा और रूबेला (एमआर) के टीकाकरण पर दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार को रोक लगा दी। कोर्ट ने स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, दिल्ली सरकार और शिक्षा निदेशालय से जवाब मांगा है। अब मामले की अगली सुनवाई 21 जनवरी को होगी। बताया जा रहा है कि दिल्ली सरकार ने इस अभियान में निजी स्कूलों के बच्चों को भी शामिल किया था जिसकी वजह से विवाद पैदा हुआ और मामला हाई कोर्ट गया। अब कोर्ट के अगले आदेश तक टीकाकरण के अभियान को रोक दिया गया है।

क्यों जरूरी है खसरा और रूबेला का टीकाकरण ?

सीजीएसएस वेलनेस सेंटर मयूर विहार फेस-1 के मेडिकल ऑफिसर डॉ. देश राज ने बताया कि मीजल्स (खसरा) और रूबेला (एमआर) का टीकाकरण बच्चों के लिए बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि मंप्स में दिमागी बुखार से बच्चों की मौत भी हो सकती है, जबकि रूबेल की वजह से गर्भवती महिलाओं का गर्भपात हो सकता है। डॉ. देश राज के अनुसार, रूबेला से पीड़ित महिलाओं से पैदा होने वाली संतान जन्म से विकृत पैदा हो सकती है और बच्चे दिमागी रुप से कमजोर पैदा होंगे। 

 दिल्ली के 11 जिलों में चलेगा टीकाकरण अभियान

टीकाकरण अभियान के तहत दिल्ली  के 11 जिलों में सभी प्री-स्कूल, सरकारी और निजी स्कूलों में नौ महीने से लेकर 15 साल तक के बच्चों को खसरा-रूबेला (एमआर)का टीका लगाया जाएगा। पांच सप्ताह तक चलने वाले इस अभियान में 55 लाख बच्चों को टीका लगाने का लक्ष्य रखा गया है। बताया जा रहा है कि खसरा-रूबेला(एमआर)का टीका स्कूलों से बाहर के बच्चों को भी लगाया जाएगा। सरकार के इस अभियान में स्वास्थ्य विभाग के विशेषज्ञों द्वारा अधिकारियों,प्राचार्यों और छात्रों के लिए ओरिएंशेटन शामिल होगा। 

क्या है खसरा और रूबेला?

खसरा को आम तौर पर लोग छोटी  माता के नाम से जानते हैं। खसरा अत्यधिक संक्रामक होता है। संक्रमित व्यक्ति के खांसने और छींकने से यह बीमारी फैलती है। इसमें निमोनिया,डायरिया और दिमागी बुखार होने की संभावना बढ़ जाती है। चेहरे पर गुलाबी-लाल चकत्ते, तेज बुखार, खांसी, नाक बहना व आंखें लाल होना मर्ज के लक्षण हैं। रूबेला गर्भावस्था के दौरान होने वाला संक्रमण है। यह नवजात शिशुओं के लिए जानलेवा साबित हो सकता है। संक्रमित माता से जन्मे शिशु को ग्लूकोमा, मोतियाबिंद, बहरापन, मंद बुद्धि, दिल की बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है। 

क्या होते हैं खसरे के शुरुआती लक्षण?

खसरे का असरकारी टीका देश में काफी वर्षों से उपलब्ध है। इसके बावजूद खसरा छोटे बच्चों की मृत्यु का एक प्रमुख कारण बना हुआ है। यह सबसे अधिक संक्रामक बीमारियों में से एक है। इसके वायरस के संपर्क में आने से कई गैर-प्रतिरक्षक बच्चे इस श्वसन संबंधी बीमारी का शिकार हो जाते हैं।  जर्मन खसरा किसी भी परिवार में फैल सकता है। कफ, काराईजा और कन्जक्टिवाइटिस मुख्‍य रूप से इसकी पहचान होते हैं। मुंह में तालू पर सफेद धब्बे भी नजर आते हैं। 

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