Delhi Budget 2021-2022: घट सकता है बजट सत्र का समय, कोरोना के बढ़ते केस के चलते लिया जा सकता है फैसला
Delhi Budget 2021-2022 इस बार बजट सत्र में प्रश्न काल को शामिल नहीं किया गया है। इस पर सदन में विपक्ष की भूमिका निभा रही भाजपा ने विरोध किया था। जिस पर विधानसभा अध्यक्ष गोयल ने स्पष्ट किया था कि प्रश्न पूछने से अधिक लोगों की जिंदगी बचाना जरूरी है।
नई दिल्ली [वीके शुक्ला]। Delhi Budget 2021-2022: दिल्ली विधानसभा का बजट सत्र मंगलवार की जगह अब शुक्रवार यानी आज ही समाप्त हो सकता है। दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल ने कहा है कि बजट सत्र का शुक्रवार को समापन हो सकता है। हालांकि इस बारे में अभी अंतिम फैसला नहीं लिया गया है। समय घटाने का कारण बढ़ रहा कोरोना संक्रमण को माना है। जिसके तहत शुक्रवार को बजट पर चर्चा संपन्न कर सत्र को समाप्त किया जा सकता है। बता दें कि इस बार बजट सत्र में प्रश्न काल को शामिल नहीं किया गया है। इस पर सदन में विपक्ष की भूमिका निभा रही भाजपा ने विरोध किया था। जिस पर विधानसभा अध्यक्ष गोयल ने स्पष्ट किया था कि प्रश्न पूछने से अधिक लोगों की जिंदगी बचाना जरूरी है। क्योंकि कोरोना अभी गया नहीं है। ऐसे में एक जगह पर कम से कम लोगों की भीड़ को, कम समय के लिए लोगों की भीड़ हो, इसके प्रयास किए जाने चाहिए। बता दें कि दिल्ली कैबिनेट द्वारा लिए गए फैसले के तहत बजट सत्र आठ मार्च से शुरू होकर 16 मार्च यानी मंगलवार तक निर्धारित किया गया था।
वहीं, बजट सत्र के चौथे दिन बृहस्पतिवार को दिल्ली विधानसभा में जोरदार हंगामा देखने को मिला। इस दौरान सत्तापक्ष और विपक्ष के सदस्यों के बीच जोरदार बहस हुई। दरअसल, ओखला से विधायक अमानतुल्लाह खान ने विधानसभा की अल्पसंख्यक कल्याण समिति की रिपोर्ट सदन में पेश करते हुए दिल्ली दगों के लिए भाजपा को जिम्मेदार बता दिया। इस पर भाजपा विधायकों ने विरोध करते हुए जोरदार हंगामा किया। अपना विरोध प्रकट करने के लिए विधायक अनिल वाजपेयी विधानसभा अध्यक्ष की आसंदी के सामने पहुंच गए। इसके चलते विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल ने अनिल वाजपेयी को सदन से मार्शल आउट करवा दिया और इस बात को सदन की कार्यवाही से बाहर रखने के निर्देश भी दिए। हंगामा शांत न होते देख विधानसभा अध्यक्ष ने 15 मिनट के लिए सदन की कार्यवाही को स्थगित भी कर दिया। विधायक अमानतुल्लाह खान ने दिल्ली विधानसभा की अल्पसंख्यक कल्याण समिति की पहली रिपोर्ट सदन में रखते हुए कहा कि आजादी के बाद से अब तक देश में 48 हजार फसाद हुए हैं लेकिन दिल्ली सरकार पहली ऐसी सरकार है जिसने एक-एक दंगा पीडि़त को खोजकर मुआवजा देने का काम किया। उन्होंने कहा कि ज्यादातर दंगे कांग्रेस शासन में हुए हैं।