कोरोना महामारी में 72 हजार से ज्यादा सर्जरी कर एम्स ने हासिल की बड़ी उपलब्धि, वार्षिक रिपोर्ट जानने के लिए पढ़िए पूरी खबर

कोरोना की महामारी में दिल न्यूरो किडनी लिवर की बीमारियों कैंसर सहित तमाम दूसरे रोगों से पीड़ित मरीजों का इलाज प्रभावित हुआ है। दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में लंबे समय तक रुटीन सर्जरी भी प्रभावित रही। फिर भी एम्स में 72 हजार से अधिक मरीजों की सर्जरी व प्रोसिजर हुआ।

By Pradeep ChauhanEdited By: Publish:Sat, 22 Jan 2022 09:56 AM (IST) Updated:Sat, 22 Jan 2022 09:58 AM (IST)
कोरोना महामारी में 72 हजार से ज्यादा सर्जरी कर एम्स ने हासिल की बड़ी उपलब्धि, वार्षिक रिपोर्ट जानने के लिए पढ़िए पूरी खबर
ओपीडी में 65 प्रतिशत मरीज कम देखे गए हैं और सर्जरी भी 64 प्रतिशत कम हुई है।

नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। कोरोना की महामारी में दिल, न्यूरो, किडनी, लिवर की बीमारियों, कैंसर सहित तमाम दूसरे रोगों से पीड़ित मरीजों का इलाज प्रभावित हुआ है। दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में लंबे समय तक रुटीन सर्जरी भी प्रभावित रही। फिर भी एम्स में कोरोना की महामारी में 72 हजार से अधिक मरीजों की सर्जरी व प्रोसिजर हुआ। कोरोना के मरीजों के इलाज के बीच इतने अधिक मरीजों की सर्जरी को एम्स के डाक्टर बड़ी उपलब्धि के रूप में देख रहे हैं।

हालांकि, पहले की तुलना में ओपीडी में 65 प्रतिशत मरीज कम देखे गए हैं और सर्जरी भी 64 प्रतिशत कम हुई है। वहीं कोरोना का असर दूसरी बीमारियों से पीड़ित मरीजों की सेहत में सुधार पर भी पड़ा। इस वजह से एम्स में मरीजों की मृत्यु दर बढ़ गई। यह बात एम्स की वर्ष 2020-21 की वार्षिक रिपोर्ट में सामने आई है।

इस रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2020-21 में एम्स के मुख्य अस्पताल, आरपी सेंटर, कैंसर सेंटर, कार्डियक न्यूरो सेंटर सहित सभी केंद्रों को मिलाकर कुल 15 लाख 42 हजार 854 मरीज देखे गए। इसमें से एक लाख 40 हजार 962 मरीज भर्ती किए गए। वहीं 72,737 मरीजों की सर्जरी व प्रोसिजर किया गया। इसके पिछले साल एम्स के मुख्य अस्पताल व सभी सेंटर की ओपीडी में 44 लाख से अधिक मरीज इलाज के लिए पहुंचे थे और दो लाख से अधिक मरीजों की सर्जरी हुई थी।

इस लिहाज से एम्स में इलाज के लिए पहुंचने वाले मरीजों की संख्या काफी कम रही। इसका कारण यह है कि मार्च 2020 में कोरोना का संक्रमण शुरू होने पर कुछ समय तक दूसरी बीमारियों से पीड़ित मरीजों का इलाज प्रभावित रहा था। डाक्टरों ने पीपीई किट पहनकर बचाव के उपायों के साथ जरूरतमंद मरीजों की सर्जरी की। एम्स के मुख्य अस्पताल में मृत्यु दर 1.7 प्रतिशत से बढ़कर 3 प्रतिशत हो गई।

इस लिहाज से मृत्यु दर पौने दोगुना बढ़ गई। कार्डियक व न्यूरो सेंटर में दिल व न्यूरो की बीमारियों से पीड़ित मरीजों में मृत्यु दर करीब ढाई गुना अधिक रही। इसका कारण कोरोना माना जा रहा है। यही वजह है कि अस्पताल में संक्रमण भी बढ़ा।

दिल्ली के 46.85 प्रतिशत मरीज: एम्स में कुल 61,619 मरीज भर्ती हुए। जिसमें दिल्ली सहित 13 से अधिक राज्यों के मरीज शामिल थे। सबसे अधिक 46.85 प्रतिशत मरीज दिल्ली के रहने वाले थे। 25.49 प्रतिशत उत्तर प्रदेश, 10.59 प्रतिशत मरीज बिहार के व 7.58 प्रतिशत मरीज हरियाणा के रहने वाले थे।

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