2020 Delhi De-Sealing: एक हजार से अधिक संपत्तियों को डी-सील करने का रास्ता खुला

Delhi De-Sealing 2020 आम लोगों से अपनी संपत्तियां डी-सील कराने के लिए नगर निगम उपायुक्त को प्रार्थना पत्र देकर आवेदन जमा कराएं। क्षेत्रीय उपायुक्त जल्द ही इसकी जांच एवं जरूरी औपचारिकता पूरी कराकर डी-सील के आदेश जारी करेंगे।

By JP YadavEdited By: Publish:Tue, 22 Sep 2020 03:11 PM (IST) Updated:Tue, 22 Sep 2020 03:16 PM (IST)
2020 Delhi De-Sealing: एक हजार से अधिक संपत्तियों को डी-सील करने का रास्ता खुला
दिल्ली के सदर बाजार में सीलिंग की सांकेतिक फोटो।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित मानिटरिंग कमेटी द्वारा यमुनापार में सील की गईं हजार से ज्यादा संपत्तियों के डी-सील का रास्ता खुल गया है। बता दें कि मानिटरिंग कमेटी द्वारा व्यावसायिक गतिविधियों के अलावा अवैध निर्माण और पार्किंग की व्यवस्था न होने को लेकर भी सी¨लग की कार्रवाई की गई थी। पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि व्यवसायकि गतिविधियों को छोड़कर कमेटी द्वारा अन्य संपत्तियों पर कार्रवाई अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर की गई है। अब इसी को आधार बनाते हुए पूर्वी निगम के अतिरिक्त आयुक्त ने सोमवार को एक आदेश जारी कर दिया है। इसमें कहा गया है कि अवैध निर्माण को लेकर कार्रवाई डीएमसी (दिल्ली नगर निगम) एक्ट के अनुरूप नहीं की गई है, इसलिए लोग अपनी संपत्तियों को डी-सील करने के लिए आवेदन कर सकते हैं।

नगर निगम अधिकारियों ने बताया कि दोनों जोन में एक हजार से अधिक संपत्तियां ऐसी हैं जिन पर कमेटी ने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर कार्रवाई की। अब इनकी सील खुल सकती है।इसके बाद महापौर निर्मल जैन ने सभी पार्षदों को पत्र लिखकर अपने-अपने वार्ड में सील की गई संपत्तियों को खुलवाने में लोगों की मदद करने का आग्रह किया है। निर्मल जैन ने सुप्रीम कोर्ट के 14 अगस्त 2020 के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि जिन स्थानों पर व्यावसायिक गतिविधियां चल रही थीं, वहां सीलिंग का अधिकार मॉनिटरिंग कमेटी के पास था। इसके अतिरिक्त जहां पर भी अवैध निर्माण व पार्किंग न होने को लेकर सीलिंग की कार्रवाई की गई, वह मॉनिटरिंग कमेटी के अधिकार क्षेत्र में नहीं आती थी, बल्कि इन जगहों पर कार्रवाई डीएमसी एक्ट के प्रावधानों के तहत ही होनी चाहिए थी। ऐसी संपत्तियों को अब डीएमसी एक्ट के प्रावधानों के तहत ही डी-सील किया जाएगा। उन्होंने बताया कि डी-सील करने का मामला दोनों जोन के उपायुक्त देखेंगे। शाहदरा उत्तरी और दक्षिणी जोन में आवेदन के लिए एक-एक अलग काउंटर शुरू किया जाएगा। महापौर ने सभी पार्षदों से आग्रह किया है कि वे ऐसी संपत्तियों को डी-सील कराने के लिए अपने-अपने क्षेत्र में पीड़ित जनता की मदद करें। उन्हें डी-सील की प्रक्रिया के बारे में जागरूक करें। आम लोगों से अपनी संपत्तियां डी-सील कराने के लिए निगम उपायुक्त को प्रार्थना पत्र देकर आवेदन कराएं।

क्षेत्रीय उपायुक्त इसकी जांच एवं जरूरी औपचारिकता पूरी कराकर डी-सील के आदेश जारी करेंगे। महापौर ने कहा कि पूर्वी दिल्ली नगर निगम जनता के साथ सुख-दुख में भागीदार है। गलत सील की गई संपत्तियों को खुलवाने में पार्षद मदद करेंगे।बता दें कि बेसमेंट में पार्किंग न होने की वजह से आनंद विहार वार्ड में कई संपत्तियों को सील किया गया था। इसके खिलाफ यहां की पार्षद गुंजन गुप्ता लगातार आवाज उठा रही थीं। अन्य पार्षद भी सी¨लग को लेकर सवाल उठाते रहे हैं। 

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