दैनिक जागरण हिंदी बेस्टसेलर की सूची जारी, कविता विधा को भी जोड़ा गया

प्रो. बल्देव भाई शर्मा ने कहा कि हिंदी को समृद्ध करने का जागरण का प्रयास बेहद सराहनीय और अद्भुत है। इससे हिंदी जगत में एक नये युग की शुरुआत हुई है।

By Edited By: Publish:Fri, 02 Nov 2018 06:52 PM (IST) Updated:Sat, 03 Nov 2018 09:29 PM (IST)
दैनिक जागरण हिंदी बेस्टसेलर की सूची जारी, कविता विधा को भी जोड़ा गया
दैनिक जागरण हिंदी बेस्टसेलर की सूची जारी, कविता विधा को भी जोड़ा गया

नई दिल्ली, जेएनएन। हिंदी को समृद्ध और मजबूत बनाने की अपनी मुहिम 'हिंदी हैं हम' को आगे बढ़ाते हुए दैनिक जागरण के कार्यक्रम 'जागरण सान्निध्य' का आयोजन किया गया। साहित्य अकादमी सभागार में हुए इस कार्यक्रम में 'दैनिक जागरण हिंदी बेस्टसेलर' की सूची जारी की गई।

कविता विधा को भी जोड़ा गया
सूची की खास बात यह रही कि कथा, कथेतर और अनुवाद से आगे बढ़ते हुए इस बार इसमें कविता विधा को भी जोड़ा गया। इसका अनावरण राष्ट्रीय पुस्तक न्यास (एनबीटी) के अध्यक्ष प्रो. बल्देव भाई शर्मा, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आइजीएनसीए) के सदस्य सचिव सच्चिदानंद जोशी, केंद्रीय हिंदी संस्थान के निदेशक प्रो. नंद किशोर पांडेय और केंद्रीय हिंदी निदेशालय के पूर्व निदेशक डॉ. रवि प्रकाश टेकचंदानी ने किया। इस पूरे कार्यक्रम का 'हिंदी हैं हम' फेसबुक पेज पर लाइव प्रसारण भी किया गया। दैनिक जागरण हिंदी बेस्ट सेलर की विस्तार से जानकारी सोमवार के अंक में दी जाएगी।

जागरण का यह प्रयास सराहनीय
सूची अनावरण के बाद 'जागरण हिंदी बेस्टसेलर का हिंदी जगत पर प्रभाव' विषय पर अतिथियों ने अपने विचार रखे। इसमें प्रो. बल्देव भाई शर्मा ने कहा कि हिंदी को समृद्ध करने का जागरण का यह प्रयास बेहद सराहनीय और अद्भुत है। इससे हिंदी जगत में एक नये युग की शुरुआत हुई है। यदि यह काम जागरण नहीं करता तो कौन करता। पत्रकारिता जगत में जागरण ने जो जिम्मेदारी अपने कंधों पर उठाई है और हिंदी पत्रकारिता की जो भूमिका तय की है। उसमें यह दायित्व जागरण का ही था और इस संस्थान ने उसे बखूबी पूरा भी किया है। इसके साथ ही आंकड़ों के माध्यम से जागरण संस्थान ने यह मिथक तोड़ने का भी प्रयास किया है कि हिंदी में पुस्तकें बिकती नहीं हैं।

समृद्ध है हिंदी पाठकों की रुचि
नंद किशोर पांडे ने बेस्ट सेलर की सूची की तरफ इशारा करते हुए कहा कि इसमें एपीजे अब्दुल कलाम आजाद, नरेंद्र मोदी, सीता, सचिन तेंदुलकर, अटल बिहारी वाजपेयी और बनारस टॉकीज जैसी पुस्तकें शामिल हैं, जो बताती हैं कि हिंदी पाठकों की रुचि कितनी समृद्ध है।

कठोर हकीकत भी रखी गई सामने
वहीं, सच्चिदानंद जोशी ने कठोर हकीकत भी सामने रखी। उन्होंने कहा कि हिंदी के पाठकों के साथ दिक्कत यह है कि वह खरीद कर पढ़ना ही नहीं चाहता है। वह हिंदी के साहित्य को हीनभावना से देखता है। मातृ भाषा को लेकर जब तक पाठकों में अस्मिता बोध जागृत नहीं होता तब तक वह पुस्तकों में छपे शब्दों का सम्मान नहीं करेगा।

इस मौके पर दैनिक जागरण के एसोसिएट एडिटर अनंत विजय ने साहित्य प्रेमियों को लखनऊ में 30 नवंबर से 2 दिसंबर तक आयोजित होने वाले अभिव्यक्ति के उत्सव 'संवादी' कार्यक्रम के सत्रों और वक्ताओं के बारे में जानकारी दी।

chat bot
आपका साथी