Juvenile Homes: घर जैसा माहौल मिलने से सुधर जाएंगे बच्चे, समझनी होगी मनोदशा

Juvenile Homes हमें यह समझना होगा कि अगर हम उसके प्रति गलत व्यवहार जारी रखेंगे तो वह फिर किसी दूसरे अपराध में संलिप्त हो सकता है। हम उसे अच्छे कार्य के लिए प्रोत्साहित करेंगे तो वह समाज की मुख्यधारा में जुड़कर एक अच्छा नागरिक बन सकता है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Wed, 10 Feb 2021 12:17 PM (IST) Updated:Wed, 10 Feb 2021 12:17 PM (IST)
Juvenile Homes: घर जैसा माहौल मिलने से सुधर जाएंगे बच्चे, समझनी होगी मनोदशा
सामाजिक रूप से सशक्त बनाने की है जरूर

डा. प्रिया बीर। Juvenile Homes बाल सुधार गृह का नाम लेते ही हमारे दिमाग में एक नकारात्मक छवि आकार लेने लगती है। आमतौर पर हम यह सोचने लगते हैं कि वहां अपराध जगत से जुड़े व नशा करने वाले बच्चे रहते हैं और वे कभी सुधर नहीं सकते। इसके पीछे का कारण है वहां फैली अव्यवस्था, आधारभूत ढांचा व कर्मचारियों की कमी तो है ही संबंधित विभाग में व्यवस्था को दुरुस्त करने की इच्छाशक्ति का अभाव भी जिम्मेदार है। इसे बदलना बहुत जरूरी है।

समझनी होगी मनोदशा : सबसे पहले सभी बाल सुधार गृहों में बच्चों की संख्या सीमित करने की जरूरत है। ताकि उनकी देखरेख सही तरीके से हो सके। अभी ज्यादातर सुधार गृहों में क्षमता से अधिक बच्चे रखे जा रहे हैं यही वजह है उनकी देखभाल ठीक से नहीं हो पाती है। उचित सुविधा नहीं मिलने पर बच्चों में नकारात्मकता घर कर जाती है और वे कभी वहां से भाग जाते हैं तो कभी किसी हिंसक वारदात को अंजाम दे देते हैं। लेकिन इस स्थिति में सुधार किया जा सकता है।

हमें यह स्वीकार करने की जरूरत है कि जो बच्चे बाल सुधार गृह में भेजे जाते हैं वह किसी न किसी विपरीत परिस्थिति के कारण ही किसी घटना को अंजाम देते हैं या फिर वे किसी विपदा के कारण ही यहां हैं। कर्मचारियों को चाहिए कि वे बच्चों को घर जैसा माहौल दें। इससे बच्चों में आत्मविश्वास की वृद्धि होगी और वे धीरे-धीरे कर्मचारियों की बातों को सुनने लगेंगे। साथ ही बच्चों को लगेगा कि वे सुरक्षित स्थान पर हैं। और वे जीवन की मुख्यधारा में लौटने की कोशिश करेंगे।

शिक्षा के साथ मिले व्यावसायिक कोर्स का ज्ञान : शिक्षा से जोड़ने के साथ साथ उन्हें व्यावसायिक कोर्स भी कराना चाहिए ताकि उनमें उत्साह जगे। जब यह सब बाल सुधार गृह में होगा और बच्चे यहां से निकलेंगे तो वे अपने पैरों पर खड़ा होकर अच्र्छी जिंदगी की शुरुआत कर पाएंगे। पहले तिहाड़ जेल के बारे में भी सिर्फ नकारात्मक बातें लोगों के जेहन में थीं, लेकिन जब किरण बेदी ने जेल महानिदेशक का पद संभाला तो उन्होंने कई ऐसे कार्य किए जिससे कैदियों के बारे में धीरे-धीरे लोगों की धारणा बदलने लगी। आज कई कैदी जेल से बाहर आने के बाद बेहतर जीवनयापन कर रहे हैं। इसी तरह के कदम बाल सुधार गृह में उठाने होंगे।

[एसोसिएट प्रोफेसर, डिपार्टमेंट आफ साइकोलाजी, अदिति महाविद्यालय, दिल्ली]

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