Lok Sabha Chunav: जयप्रकाश के उतरने से चांदनी चौक का रण हुआ दिलचस्प, भाजपा के प्रवीन खंडेलवाल से है मुकाबला

कांग्रेस ने चांदनी चौक लोकसभा सीट से जयप्रकाश अग्रवाल को प्रत्याशी बनाया है। इससे चांदनी चौक का रण दिलचस्प हो गया है। जयप्रकाश अग्रवाल का चांदनी चौक सीट से 40 वर्ष पुराना नाता है। उन्होंने वर्ष 1984 में लोकसभा चुनाव में पहली बार चांदनी चौक से ही जीत दर्ज की थी। वहीं बीजेपी ने इस बार प्रवीन खंडेलवाल पर भरोसा जताया है।

By Nimish Hemant Edited By: Abhishek Tiwari Publish:Tue, 16 Apr 2024 08:31 AM (IST) Updated:Tue, 16 Apr 2024 08:31 AM (IST)
Lok Sabha Chunav: जयप्रकाश के उतरने से चांदनी चौक का रण हुआ दिलचस्प, भाजपा के प्रवीन खंडेलवाल से है मुकाबला
Lok Sabha Chunav: जयप्रकाश के उतरने से चांदनी चौक का रण हुआ दिलचस्प

HighLights

  • राजनीति के पुराने खिलाड़ी हैं जयप्रकाश अग्रवाल, 40 वर्ष का राजनीतिक अनुभव है
  • प्रवीन खंडेलवाल राजनीति में नए हैं, लेकिन व्यापारियों के बीच लंबे समय से सक्रिय हैं
  • 14 प्रतिशत के साथ मुस्लिम समुदाय भी चांदनी चौक सीट पर हो सकता है निर्णायक साबित
  • 25 प्रतिशत के साथ चांदनी चौक सीट पर प्रभावी भूमिका में है वैश्य समाज और व्यापारी वर्ग

नेमिष हेमंत, नई दिल्ली। कांग्रेस पार्टी की ओर से दिल्ली में तीन लोकसभा सीटों के लिए प्रत्याशियों की घोषणा के साथ चुनावी दंगल के लिए राष्ट्रीय राजधानी का मैदान सज गया है।

कुल सात में से चार पर गठबंधन के तहत आम आदमी पार्टी पहले ही प्रत्याशी घोषित कर दिए थे, बाकी तीन पर प्रत्याशियों के नाम तय करने को लेकर कांग्रेस पार्टी में करीब एक माह तक उहापोह की स्थिति रही।

जिन तीन सीटों पर उसने प्रत्याशी उतारे हैं, उसमें उत्तर-पूर्वी दिल्ली से कन्हैया कुमार, उत्तर-पश्चिम दिल्ली से उदित राज और चांदनी चौक से जयप्रकाश अग्रवाल हैं। कन्हैया कुमार जहां दिल्ली की सियासत के लिए नए हैं।

वहीं, वर्ष 2014 के चुनाव में उदित राज भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ थे और जीते भी थे, लेकिन बाद में मनमुटाव बढ़ा तो कांग्रेस पार्टी का दामन थाम लिया। वहीं, जयप्रकाश अग्रवाल ऐसा नाम हैं, जो दिल्ली की सियासत के पुराने खिलाड़ी हैं।

खंडेलवाल का मुकाबला राजनीति के कद्दावर जयप्रकाश से

कांग्रेस के प्रत्याशी जयप्रकाश अग्रवाल का चांदनी चौक सीट से 40 वर्ष पुराना नाता है। उन्होंने वर्ष 1984 में लोकसभा चुनाव में पहली बार चांदनी चौक से ही जीत दर्ज की थी। उसके बाद वर्ष 1989 और 1996 का चुनाव भी चांदनी चौक से जीता, तो वर्ष 2009 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली से चौथी जीत हासिल की थी। हालांकि, वर्ष 1991 और 2019 में घरेलू मैदान के साथ वर्ष 2014 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली से हार का स्वाद भी चखा।

उनका मुकाबला इस बार व्यापारी नेता प्रवीन खंडेलवाल हैं, जिनपर पूर्व केंद्रीय मंत्री और मौजूदा सांसद डॉ. हर्षवर्धन की जगह भाजपा ने भरोसा जताया है। मोदी लहर पर सवार प्रवीन खंडेलवाल से पार पाना जयप्रकाश अग्रवाल के लिए भी आसान नहीं होगा, लेकिन उनके नाम की घोषणा ने चांदनी चौक के चुनावी घमासान को जरूर दिलचस्प बना दिया है।

राजनीति में नए हैं प्रवीन खंडेलवाल

एक तरफ उनके पास 40 वर्ष का राजनीतिक अनुभव है, तो क्षेत्र में उनका नाम है, जबकि प्रवीन खंडेलवाल राजनीति में नए हैं, लेकिन व्यापारियों के बीच वह भी लंबे समय से सक्रिय हैं। साथ ही राम मंदिर और अनुच्छेद-370 जैसे मोदी सरकार की वादों को पूरा करने की गारंटी है।

प्रवीन खंडेलवाल वर्ष 2008 में भाजपा के टिकट पर चांदनी चौक विधानसभा का चुनाव लड़ चुके हैं, लेकिन तब उन्हें आप के मौजूदा विधायक प्रह्लाह सिंह साहनी से हार का सामना करना पड़ा था। उसके बाद से वह व्यापारी सियासत में अधिक सक्रिय रहे हैं, जो उनके लिए अवसर के रूप में तब्दील हुआ और उन्हें टिकट मिला।

प्रभावी भूमिका में हैं वैश्य समाज व व्यापारी

चांदनी चौक में करीब 25 प्रतिशत के साथ वैश्य और व्यापारी समुदाय प्रभावी भूमिका में है, इसलिए दोनों दलों ने यहां से वैश्य समुदाय से प्रत्याशी उतारा है। जबकि 14 प्रतिशत के साथ मुस्लिम समुदाय का झुकाव गठबंधन की ओर देखा जा सकता है।

पिछले लोकसभा चुनाव में चांदनी चौक के 10 विधानसभा क्षेत्रों में से तीन चांदनी चौक, मटिया महल और बल्लीमारान में कांग्रेस पार्टी जीती थी, क्योंकि ये मुस्लिम बहुल है। हालांकि, वर्ष 2014 के चुनाव में केवल मटिया महल क्षेत्र से ही आप ने 5.57 प्रतिशत बढ़ोतरी से जीत दर्ज की थी, बाकी सभी नौ सीटें भाजपा के खाते में गई थीं।

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वर्ष 2014 का परिणाम दे रहा गठबंधन को उम्मीद

इस बार केंद्र से मोदी सरकार को हटाने के नाम पर मतों का बंटवारा रोकने के लिए आम आदमी पार्टी और कांग्रेस एक साथ आ गए हैं। हालांकि वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में दोनों राजनीतकि दलों को हुए मतदान से भाजपा को अकेले कहीं अधिक मत मिले थे।

तब भाजपा के उम्मीदवार डा. हर्षवर्धन को 52.94 प्रतिशत मत मिले थे, जबकि कांग्रेस प्रत्याशी को 29.67 और आप प्रत्याशी को 14.74 प्रतिशत मत मिले थे।

कांग्रेस और आप का कुल मत प्रतिशत 44.41 प्रतिशत ही बैठता है, लेकिन वर्ष 2014 के चुनाव में जहां भाजपा को 44.60 प्रतिशत मत मिले थे, वहीं आप को 30.72 और कांग्रेस पार्टी को 17.95 प्रतिशत मत मिले थे।

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