Delhi Fire: बाजारों में आग से बचाव के नहीं हैं साधन, जिम्मेदार लोग कर रहे बडे़ हादसों का इंतजार

चांदनी चौक के भागीरथ पैलेस मार्केट में लगी आग चार दिन बाद भी पूरी तरह से बुझाई नहीं जा सकी है। हादसे में तीन इमारतों ढह गई हैं। इसमें से मलबा निकलने के दौरान प्लास्टिक सामानों में आग पकड़ रही है। ऐसे में बार-बार आग लग रही है। (सांकेतिक तस्वीर)

By Jagran NewsEdited By: Publish:Sun, 27 Nov 2022 08:26 PM (IST) Updated:Sun, 27 Nov 2022 08:26 PM (IST)
Delhi Fire: बाजारों में आग से बचाव के नहीं हैं साधन, जिम्मेदार लोग कर रहे बडे़ हादसों का इंतजार
पूरी तरह से आग पर काबू पाने के लिए कम से कम दो दिन और लग सकते हैं। (सांकेतिक तस्वीर)

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। चांदनी चौक के भागीरथ पैलेस मार्केट में लगी आग चार दिन बाद भी पूरी तरह से बुझाई नहीं जा सकी है। हादसे में तीन इमारतों ढह गई हैं। इसमें से मलबा निकलने के दौरान प्लास्टिक सामानों में आग पकड़ रही है। ऐसे में बार-बार आग लग रही है। रविवार देर शाम तक मौके पर दमकल की आठ गाड़ियां आग बुझाने के काम में लगी रही, इसके साथ ही मलबा भी उठाया जा रहा था ताकि भीतरी हिस्सों में जाने के लिए रास्ता बनाया जा सके।

दमकल अधिकारियों का कहना है कि पूरी तरह से आग पर काबू पाने के लिए कम से कम दो दिन और लग सकते हैं। कारोबारियों का कहना है कि आग की चपेट में आने से करीब 10 से 15 इमारते प्रभावित हुई है। इनमें 250 से अधिक दुकानें पूरी तरह से जलकर खाक हो चुकी हैं। दिल्ली अग्निशमन सेवा के निदेशक अतुल गर्ग का कहना है कि अभी फिलहाल यह बता पाना संभव नहीं है कि आग से कितनी इमारतें और दुकानें प्रभावित हुई हैं। राहत बचाव कार्य पूरा होने के बाद ही स्पष्ट पता चल सकेगा की कितनी इमारतें और दुकानें जली हैं।

संकरी गलियां, अवैध निर्माण और अतिक्रमण से बिगड़ी व्यवस्था

पुरानी दिल्ली के बाजारों में संकरी गलियां, अवैध निर्माण, अतिक्रमण और तारों के मकड़जाल फैला हुआ है। इससे यहां की व्यवस्था बिगड़ी हुई है। भागीरथ पैलेस मार्केट, कूचा महाजनी, कूचा नटवा, नई सड़क, जोगीवाड़ा, मालीवाड़ा, चावड़ी बाजार, कश्मीरी गेट व सदर बाजार समेत कई बाजारों में आग लगने और जर्जर इमारतों के गिरने का डर हमेशा बना रहता है। साथ ही इन बाजारों में आग से बचाव का साधन नहीं है। पुरानी दिल्ली में चूंकि ज्यादातर पुरानी इमारतें हैं। लिहाजा वहां अग्निशमन के उपाए नहीं किए गए हैं।

दिल्ली फायर सर्विस एक्ट 2010 में भवनों में आग से बचाव के लिए कई तरह के प्रविधान है। अवैध इलाके में भी 15 मीटर से ज्यादा ऊंचे आवासीय भवन में आग से बचाव किया जाना जरूरी है। वहीं व्यावसायिक तमाम परिसर में अलग-अलग मानक के मुताबिक आग से बचाव की व्यवस्था होनी चाहिए। लेकिन इन नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है।

जिम्मेदार नहीं हैं गंभीर

चांदनी चौक की मुख्य सड़क के दोनों तरफ हर 30 मीटर पर फायर हाइड्रेट लगाए गए हैं। इनमें पानी के लिए सात लाख लीटर की पानी की टंकी बनाने की योजना थी। योजना को वर्ष 2018 में शुरू किया गया था। इसे वर्ष 2020 में पूरा होना था, लेकिन कोरोना की वजह से पूरा नहीं हुआ। अब पानी की टंकी बना ली गई है। लेकिन अन्य तकनीकी कार्यों को पूरा नहीं किया गया। बताया जा रहा है कि ठेकेदार को पैसे नहीं दिए गए हैं। इससे यह योजना ठंडे बस्ते में है। दूसरी तरफ से क्षेत्र में अतिक्रमण भीषण है। इसको लेकर संबंधित एजेंसियां काम नहीं कर रही है। इस वजह से मार्केट की व्यवस्था बिगड़ी हुई है।-संजय भार्गव, अध्यक्ष, चांदनी चौक सर्व व्यापार मंडल

इस-इस तरह की समस्याएं हैं

दिल्ली विकास प्रधिकरण के रिटायर कमिश्नर (योजना) एके जैन का कहना है कि पुरानी दिल्ली इलाके में कई तरह की समस्या है।

1  इमारतों का डिजाइन

पुरानी दिल्ली में बनी इमारते कई वर्षों पुरानी है। इन इमारतों के मालिक बदलते गए हैं, लेकिन उनकी स्थिति जस के तस हैं। संबंधित एजेंसियों को यह नहीं पता कि ये इमारतें कितनी वर्ष पुरानी है और उनका देखभाल कैसे किया जा रहा है।-

2  अवैध निर्माण

पुरानी दिल्ली इलाके में अवैध निर्माण से सबसे ज्यादा दिक्कते हैं। बेतरतीब बनी जर्जर इमारतों पर कई मंजिला निर्माण किया गया है। भागीरथ पैलेस मार्केट की इमारतों में अवैध निर्माण किया गया है।इससे कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। -

3  अतिक्रमण भी है मुसीबत

पुरानी दिल्ली के बाजारों में अतिक्रमण भयंकर रूप ले चुका है। यह अतिक्रमण अस्थाई नहीं बल्कि स्थाई रूप से किए गए हैं। रास्तों पर पक्की दुकानें बना जी गई हैं। इससे रास्तें संकरे हो चुके हैं। बाजार में प्रवेश से लेकर अंदर संकरी गलियों में हर तरफ अतिक्रमण का बोलबाला है। इसमें रेहड़ी पटरी वालों के साथ दुकानदार भी पीछे नहीं है।-

4  तारों का मकड़जाल

चूकि बाजारों में बड़ी संख्या में बड़ी और छोटी दूकानें है। असंख्य शो रूम हैं। ऐसे में बिजली व अन्य एजेंसियों के तार संकरी गलियों में काफी ज्यादा है। जो आपस में टकरातें भी हैं। इससे आग लगने का बड़ा खतरा बना हुआ है। कई इलाके तो ऐसे हैं कि तारों के जाल के कारण आसमान तक ठीक से दिखाई नहीं देता है। व्यापारिक प्रतिष्ठानों के बढ़ते जाने से लटकते तार और मोटे होते जा रहे हैं।

सुझाव-

क्षेत्र को नोस्मोकिंग जोन घोषित किया जाए। 

अतिक्रमण पर लगातार कार्रवाई हो।

सड़कों की चौड़ाई कम से कम 12 फीट की जाए।

सभी दुकानों में आग बुझाने के उपकरण हो।

आग लगने की स्थिति में मार्केट में पर्याप्त पानी की व्यवस्था की जाए।

अवैध निर्माण हटाया जाए। 

जर्जर इमारतों काे चिन्हित कर दोबारा बनाई जाए या फिर ठीक से मरम्मत कराई जाए। 

तारों के मकड़जाल हटाया जाए।

आपात में स्थिति में बाजार की सड़कों की चौड़ाई इतनी हो कि दमकल की गाड़िया आसानी आ जा सके।

यह है स्थिति

बृहस्पतिवार रात सवा नौ बजे लगी आग

शुरुआत में 200 दमकल कर्मी और 40 दमकल की गाड़ियां भेजी गई।

देर रात तक आग कई इमारतों में फैली।

इमारतों के हिस्से सकरें गलियों में गिरने लगे।

दमकल की गड़ियों को मार्केट के भीरतरी हिस्सों में जाने में दिक्ततें हुई।

पाइप से अंदर के हिस्सों में पानी का छिड़काव किया गया।

प्लास्टिक के सामान होने कारण आग पर काबू पाने में काफी दिक्कत हुई।

तीन दिन बाद भी आग पूरी तरह से काबू नहीं आ पाई है।

अब तक 24 लाख लीटर से अधिक पानी से आग बुझाने में किया गया है प्रयोग

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