Muzaffarpur Shelter Home Case: मुजफ्फरपुर बालिका गृह दुष्‍कर्म मामले में जवाब दाखिल करने के लिए सीबीआइ ने मांगा समय

सीबीआइ की अपील को स्वीकार करते हुए न्यायमूर्ति विपिन सांघी एवं न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर की पीठ ने दो सप्ताह का समय दिया है। याचिका पर अगली सुनवाई एक अक्टूबर को होगी।

By Prateek KumarEdited By: Publish:Tue, 15 Sep 2020 11:23 PM (IST) Updated:Wed, 16 Sep 2020 02:00 PM (IST)
Muzaffarpur Shelter Home Case: मुजफ्फरपुर बालिका गृह दुष्‍कर्म मामले में जवाब दाखिल करने के लिए सीबीआइ ने मांगा समय
Muzaffarpur Shelter Home Case: मुजफ्फरपुर बालिका गृह दुष्‍कर्म मामले में जवाब दाखिल करने के लिए सीबीआइ ने मांगा समय

नई दिल्ली, विनीत त्रिपाठी। बिहार के मुजफ्फरपुर बालिका गृह में दुष्कर्म व यौन उत्पीड़न के चर्चित मामले में निचली अदालत के फैसले को चुनौती देने वाले मुख्य दोषी ब्रजेश ठाकुर की याचिका पर केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआइ) ने जवाब दाखिल करने के लिए और समय देने की मांग की है। सीबीआइ की अपील को स्वीकार करते हुए न्यायमूर्ति विपिन सांघी एवं न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर की पीठ ने दो सप्ताह का समय दिया है। याचिका पर अगली सुनवाई एक अक्टूबर को होगी।

हाई कोर्ट ने सीबीआइ से निचली अदालत द्वारा लगाए गए 32.20 लाख रुपये के जुर्माने को निलंबित करने की मांग पर भी जवाब मांगा है। दोषी ब्रजेश ठाकुर ने उसे दोषी ठहराने एवं अंतिम सांस तक के लिए उम्रकैद की सजा सुनाने के 20 जनवरी 2020 के दिल्ली की साकेत कोर्ट के फैसले को रद करने की मांग की है।

ब्रजेश ठाकुर ने कहा याचिका में कहा है कि साकेत कोर्ट ने उनके मामले में जल्दबाजी में सुनवाई की और यह उनके निष्पक्ष सुनवाई के अधिकार का उल्लंघन है। उसने यह भी दावा किया कि उसके खिलाफ निचली अदालत ने पक्षपात पूर्ण तरीके से सजा का फैसला सुनाया। उसने कहा है कि दुष्कर्म के मामले में पाेटेंसी टेस्ट मूलभूत तथ्यों में से एक है, लेकिन बिहार पुलिस से लेकर केंद्रीय जांच एजेंसी तक ने ब्रजेश का पोटेंसी टेस्ट नहीं कराया। उसने निचली अदालत के फैसले को रद करने की मांग की है।

सात महीने की नियमित सुनवाई के बाद दिल्ली की साकेत कोर्ट ने 20 जनवरी 2020 को ब्रजेश ठाकुर को पोक्सो की धारा-6, दुष्कर्म और सामूहिक दुष्कर्म की धारा में दोषी करार दिया था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर यह मामला बिहार के मुजफ्फरपुर की जिला अदालत से दिल्ली की साकेत कोर्ट में स्थानांतरित किया गया था। पूरा मामला तब सामने आया था जब टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेस ने बिहार सरकार को एक रिपोर्ट सौंपी थी, जिसमें उसने आरोप लगाया था कि बालिका गृह में लड़कियों का यौन उत्पीड़न किया जा रहा है।

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