दिल्ली में कंप्यूटर की मदद से हुई मस्तिष्क की सर्जरी, डॉक्टरों ने किया हैरान करने वाला दावा

Fortis Hospital दुनिया भर में इस तरह के केवल पांच ही मामले सामने आए हैं। फॉर्टिस अस्पताल दिल्ली में मरीज का सफल उपचार डॉयरेक्टर व हेड न्यूरोसर्जरी डॉ. सोनल गुप्ता के नेतृत्व में पांच घंटे की सर्जरी से किया गया।

By JP YadavEdited By: Publish:Tue, 13 Oct 2020 08:58 AM (IST) Updated:Tue, 13 Oct 2020 08:58 AM (IST)
दिल्ली में कंप्यूटर की मदद से हुई मस्तिष्क की सर्जरी, डॉक्टरों ने किया हैरान करने वाला दावा
दिल्ली के शालीमार बाग स्थित फोर्टिस अस्पताल की फाइल फोटो।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। शालीमार बाग स्थित फोर्टिस अस्पताल के डॉक्टरों ने एक मरीज के मस्तिष्क की कंप्यूटर की मदद से सर्जरी की है। डॉक्टरों का दावा है कि मरीज के मस्तिष्क से अब तक का सबसे बड़ा मांस का टुकड़ा निकाला गया है। उनका यह भी कहना है कि दुनिया भर में इस तरह के केवल पांच ही मामले सामने आए हैं। मरीज का सफल उपचार डॉयरेक्टर व हेड, न्यूरोसर्जरी डॉ. सोनल गुप्ता के नेतृत्व में पांच घंटे की सर्जरी से किया गया।

डॉक्टरों के मुताबिक मरीज के शरीर के बाएं हिस्से में गतिशीलता कम थी। मरीज को बार-बार सिर दर्द हो रहा था। इसके साथ ही कमजोरी भी लगातार बढ़ रही थी। एमआरआइ (मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग) जांच में पता चला कि मरीज के मस्तिष्क के बीच वाले भाग में एक बड़ा घाव है। जांच में यह भी पता चला कि मरीज को होने वाले सिरदर्द का कारण रक्तस्नाव है। रक्तस्नाव के दौरान घाव का आकार भी बढ़ जाया करता है। इस वजह से मस्तिष्क पर दबाव बढ़ने के साथ-साथ ऊतकों को भी नुकसान पहुंच रहा था। डॉक्टरों ने बताया कि घाव मस्तिष्क के ऐसी जगह पर था जहां पर सर्जरी करना जोखिम भरा था। इस तरह की सर्जरी से मरीज को लकवाग्रस्त या फिर बोलने की क्षमता खोने जैसी गंभीर समस्या होने की संभावना बन सकती थी।

एडवांस न्यूरो नेवीगेशन तकनीक का लिया गया सहारा

डॉ. सोनल गुप्ता ने बताया कि सर्जरी करने के लिए हमने मिनीमल इंवेसिव सर्जरी का विकल्प चुना, जिससे कम जोखिम में सर्जरी हो सके। उन्होंने बताया कि कंप्यूटरी गाइडेड सर्जरी ने मस्तिष्क के घाव तक सीधे पहुंचने में मदद की और माइक्रोस्कोप की सहायता से मांस के टुकडे को निकालने में सफलता मिली। सर्जरी से पहले मरीज के मस्तिष्क का एमआरआइ तस्वीर कंप्यूटर पर अपलोड किया गया। फिर एडवांस न्यूरो नेवीगेशन तकनीक की मदद से मरीज के मस्तिष्क का कंप्यूटर एमआरआइ से मेल कराया गया। इस नेवीगेशन की मदद से मस्तिष्क में चीरा लगाने वाले बिंदु और घाव वाले स्थान को निर्धारित किया गया। उन्होंने बताया कि नेवीगेशनल तकनीक ने सर्जरी के दौरान जीपीएस की तरह काम किया और चीरा वाले स्थान से सीधे घाव तक पहुंचने में मदद मिली। जिसके बाद घाव वाले मांस के टुकड़े को चीरा वाले रास्ते से बाहर निकाला गया।

चिकित्सकों पर था पूरा भरोसा

मरीज पिंकी शर्मा ने बताया कि स्वजन और मैं सर्जरी से जुड़े तमाम जोखिमों को जानने के बावजूद सर्जरी के लिए तैयार थे। चिकित्सकों ने सर्जरी से जुड़े जोखिमों के बारे में पूरी जानकारी दी और काउंसलिंग भी कराई। इसके बाद हम सर्जरी के लिए तैयार हुए।

Coronavirus: निश्चिंत रहें पूरी तरह सुरक्षित है आपका अखबार, पढ़ें- विशेषज्ञों की राय व देखें- वीडियो

chat bot
आपका साथी