जहरीली हो रही दिल्ली की हवा : CPCB की सलाह, IT-कॉरपोरेट कर्मचारी घर से ही करें काम

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने बढ़ते प्रदूषण के चलते सरकारी और गैर सरकारी कर्मचारियों को कार पूल करने एवं सार्वजनिक वाहनों का प्रयोग करने के लिए कहा है।

By JP YadavEdited By: Publish:Sat, 19 Oct 2019 08:10 AM (IST) Updated:Sat, 19 Oct 2019 09:03 AM (IST)
जहरीली हो रही दिल्ली की हवा : CPCB की सलाह, IT-कॉरपोरेट कर्मचारी घर से ही करें काम
जहरीली हो रही दिल्ली की हवा : CPCB की सलाह, IT-कॉरपोरेट कर्मचारी घर से ही करें काम

नई दिल्ली, जेएनएन। Pollution in Delhi and NCR: दिल्ली-एनसीआर की बिगड़ती आबोहवा के मद्देनजर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Central Pollution Control Board) ने कॉरपोरेट और आइटी कंपनियों के कर्मचारियों को ‘वर्क फ्रॉम होम’ (घर से काम) की सलाह दी है। वहीं सरकारी और गैर सरकारी कर्मचारियों को कार पूल करने एवं सार्वजनिक वाहनों का प्रयोग करने के लिए कहा है। इसके अलावा स्कूलों को बच्चे घर से लाने और छोड़ने के लिए कहा गया है।

दरअसल, वायु प्रदूषण की स्थिति पर सीपीसीबी ने शुक्रवार सुबह टास्क फोर्स की बैठक रखी। इसमें मौजूदा स्थिति से बचाव और प्रदूषण की रोकथाम को लेकर तमाम मुददों पर चर्चा के बाद तीन बदुओं पर एडवाइजरी जारी करने का निर्णय हुआ। इसे स्वीकृति के लिए पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण एवं संरक्षण प्राधिकरण (ईपीसीए) को भेजा गया है। ईपीसीए इसे क्रियान्वयन के लिए दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान सरकार भेजेगा। बैठक के बाद सीपीसीबी के सदस्य सचिव डॉ. प्रशांत गार्गवा ने बताया कि सफर और मौसम विभाग का पूर्वानुमान है कि आने वाले दिनों में वायु प्रदूषण की स्थिति और खराब होगी। 23 अक्टूबर तक हवा की दिशा और गति पर्यावरण के अनुकूल नहीं है। इस दौरान हवा खराब या बहुत खराब श्रेणी में रहेगी।

उन्होंने बताया कि सर्दियों में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए 13 हॉट स्पॉट बनाए गए हैं, यहां लोकल प्लान के हिसाब से काम किया जा रहा है। इसके अलावा 15- 15 दिन के पुर्वानुमान के लिए आइआइटी दिल्ली से करार किया गया है। एडवाइजरी में कॉरपोरेट और आइटी सेक्टर की कंपनियों से अपील की गई हैं कि वह वर्क फ्रॉम होम को बढ़ावा दें और अपने कर्मचारियों को इसके लिए प्रोत्साहित करें। ताकि, सड़कों पर वाहनों की भीड़ कम की जा सके। सरकारी विभागों और निजी कंपनियां अपने कर्मचारियों को निजी गाड़ियों की बजाय सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल करने या कार पूल करने का सुझाव दिया है।

सीपीसीबी के अनुसार गाड़ियों से निकलने वाला धुआं सर्दियों में प्रदूषण की बड़ी वजह है। इसके अलावा स्कूलों को भी सलाह दी है कि वह बच्चों के लिए पर्याप्त बसों का इंतजाम करें ताकि उन्हें लाने और छोड़ने के लिए अभिभावक निजी गाड़ियों का इस्तेमाल न करें।

अभी तक 689 शिकायतें

सीपीसीबी की 46 टीमें अपने निरीक्षण में अभी तक विभिन्न एजेंसियों को कुल 689 शिकायतें भेज चुकी है। इनमें दिल्ली की बात करें तो सबसे ज्यादा शिकायतें उत्तर पूर्व, उत्तर पश्चिमी, पूर्वी और पश्चिमी दिल्ली की हैं। सबसे अधिक शिकायतें मलबा डालने, खुले में कूड़ा, सड़कों की धूल और गड्ढों से जुड़ी हैं।

 21 तक डीजल जेनरेटर पर जारी रहेगी रोक

एनसीआर के शहरों में डीजल जेनरेटर पर रोक 21 अक्टूबर तक जारी रहेगी। इन शहरों में जेनरेटर पर रोक हटाने या जारी रखने पर 22 अक्टूबर को फैसला होगा। पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण एवं संरक्षण प्राधिकरण (ईपीसीए) की शुक्रवार को इस बाबत हुई बैठक में राहत देने से साफ इन्कार कर दिया। ईपीसीए ने हरियाणा और उत्तर प्रदेश सरकार से चार दिनों में इस बाबत पूरा एक्शन प्लान देने को कहा है। इस बीच सीपीसीबी का कहना है कि दिल्ली-एनसीआर में पांच फीसद प्रदूषण की वजह डीजल जनरेटर हैं।

वायु प्रदूषण से निपटने के लिए ग्रेप लागू होने के साथ ही 15 अक्टूबर से दिल्ली-एनसीआर में डीजल जेनरेटर पर भी प्रतिबंध लग गया है। पिछले दो साल से एनसीआर के शहरों को छूट दे दी जाती थी लेकिन इस साल पहली बार उन्हें भी शामिल का लिया गया। समस्या यह है कि एनसीआर के शहरों में कहीं ग्रिड से बिजली का नेटवर्क नहीं होने तो कहीं अघोषित कटौती होने से परेशानी उत्पन्न हो रही है। इसीलिए हरियाणा सरकार और नोएडा प्रशासन की ओर से ईपीसीए अध्यक्ष भूरेलाल को पत्र लिखकर जेनरेटर पर प्रतिबंध से छूट देने की मांग की गई थी।

हरियाणा सरकार ने खासतौर पर इस प्रतिबंध को लागू करने में असमर्थता जताई थी। इसके बावजूद ईपीसीए ने किसी भी तरह की छूट देने से इन्कार कर दिया है। ईपीसीए के मुताबिक, दो साल तक एनसीआर को इस नियम से छूट दी गई है। अब तीसरे साल भी यह छूट नहीं दी जा सकती। इसलिए इन राज्यों से 22 अक्टूबर तक पूरा एक्शन प्लान मांगा है, जिसमें वह समय सीमा के साथ पूरा प्लान देंगे।

ईपीसीए को हरियाणा की तरफ से जानकारी दी गई कि राज्य के पास सरप्लस बिजली है। 11 हजार मेगावाट की मांग है और राज्य के पास 12500 मेगावाट बिजली है। इस बिजली से सभी कॉलोनियों और डीएलएफ साइबर सिटी में बिजली आपूर्ति की जा सकती है। गुरुग्राम में 100 किलोवाट की क्षमता वाले 5540, फरीदाबाद में 1833, सोनीपत में 753, पानीपत में 74 और बहादुरगढ़ में 17 डीजी सेट हैं। इनमें से 80 फीसद जेनरेटर उद्योगों में बैकअप के तौर पर इस्तेमाल होते हैं। ईपीसीए के अनुसार, उन्हें जानकारी मिली है कि हरियाणा में हजारों प्लांट प्रोसेसिंग और मैन्युफेक्चरिंग के लिए बिजली का नहीं बल्कि डीजल जेनरेटरों का इस्तेमाल कर रहे हैं। वहीं, उत्तर प्रदेश की तरफ से जानकारी दी गई कि उनके पास पर्याप्त बिजली है। अभी भी करीब 23 घंटे तक बिजली आपूर्ति की जा रही है। ईपीसीए ने इस पर कहा कि उसे जो रिपोर्ट मिल रही है, उसके मुताबिक बिजली कटौती की काफी शिकायतें आ रही हैं। 22 अक्टूबर को हरियाणा और उत्तर प्रदेश का एक्शन प्लान देखा जाएगा। उसके आधार पर ही निर्णय लिया जाएगा।

प्रदूषण से लड़ने के लिए बनीं 46 टीमें

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने भी दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण से लड़ने के लिए कमर कस ली है। निगरानी के लिए जहां 46 टीमें बनाई गई हैं, वहीं पहली बार मेरठ, सोनीपत व पानीपत जैसे शहरों में भी वायु गुणवत्ता मापने का निर्णय लिया गया है। यही नहीं, दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता की मौजूदा स्थिति के आकलन के लिए सीपीसीबी दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) और तीनों नगर निगमों के साथ जल्द ही बैठक करेगा।

सीपीसीबी के मुताबिक सभी नोडल एजेंसियों से आग्रह किया गया है कि वे अपने खुद के सोशल मीडिया हैंडल / अकाउंट बनाएं। इससे सीपीसीबी के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर जो शिकायतें मिलेंगी। उन्हें संबंधित एजेंसी के सोशल मीडिया अकाउंट पर अग्रसारित किया जा सकेगा। इसी तरह शिकायत पर हुई कार्रवाई की सूचना भी संबंधित एजेंसी से सीपीसीबी को मिल सकेगी। दिल्ली एनसीआर में वायु गुणवत्ता बिगड़ने के साथ-साथ सीपीसीबी ने प्रदूषण से निपटने के लिए ऑनलाइन सक्रियता बढ़ाने सहित अन्य प्रयासों को भी तेज किया है। इसी दिशा में सीपीसीबी का केंद्रीय नियंत्रण कक्ष भी सक्रिय हो गया है।

सीपीसीबी के मुताबिक दिल्ली एनसीआर के निवासी प्रदूषण से जुड़ी शिकायतें सोशल मीडिया (ट्विटर और फेसबुक ), वेबसाइट, ई-मेल और चिट्ठियों के जरिये दर्ज करा सकते हैं। सीपीसीबी के वरिष्ठ वैज्ञानिक वीके शुक्ला ने बताया कि शिकायत दर्ज कराने के लिए बहुत प्रभावी उपकरण समीर एप है, क्योंकि इस एप पर दर्ज शिकायत खुद ही क्षेत्र के जियो-लोकेशन के आधार पर संबंधित नोडल एजेंसियों तक पहुंच जाती है। ग्रेप-सीपीसीबी एप भी विशेष रूप से नोडल एजेंसियों के लिए ही डिजाइन किया गया है। केंद्रीय नियंत्रण कक्ष द्वारा शिकायतों को हर दिन निपटाया जा रहा है और इसकी निगरानी भी की जा रही है। शिकायत मिलने के 24 घंटे के भीतर नोडल एजेंसियों से उसके निपटारे की उम्मीद की जाती है।

उत्तरी व दक्षिणी निगम ने काटे 500 से ज्यादा चालान

उत्तरी व दक्षिणी निगम ने शुक्रवार को 500 से अधिक लोगों पर प्रदूषण फैलाने के मामले में कार्रवाई की है। उत्तरी निगम ने विभिन्न क्षेत्रों में 1279 स्थानों का निरीक्षण कर 377 चालान किए। इसमें खुले में कूड़ा जलाने के लिए 89 , निर्माण कार्य से उत्पन्न धूल के लिए 96, रोड से धूल के लिए 88, खुले में मलबा डालने के लिए 104 चालान किए हैं। इससे निगम को करीब 24 लाख रुपये का जुर्माना प्राप्त हुआ है। दक्षिणी निगम ने चारों जोनों में 189 चालान किए। इसमें धूल उड़ाने पर 112 चालान कर 40 हजार का जुर्माना लगाया। 120 साइटों का निरीक्षण किया। नजफगढ़ की टीम ने 42 चालान किए। पश्चिमी जोन की टीम ने 8 और दक्षिणी जोन की टीम ने 27 चालान किए। इनसे करीब दो लाख 12 हजार 400 का जुर्माना वसूला।

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