यमुना डूब क्षेत्र में अतिक्रमण और मलबा डालने पर होगी कार्रवाई, अंकुश लगाने के लिए लगे 591 निशान

दिल्ली में यमुना के डूब क्षेत्र में अतिक्रमण और मलबा डालने पर अब कड़ी कार्रवाई होगी। पिछले 25 सालों में आई बाढ़ के आधार पर यह डूब क्षेत्र निर्धारित किया गया है। वजीराबाद से जैतपुर तक यमुना के दोनों तरफ 591 निशान चिह्न (बोलार्ड) भी लगाए गए हैं।

By Pradeep ChauhanEdited By: Publish:Sat, 29 Jan 2022 11:12 AM (IST) Updated:Sat, 29 Jan 2022 11:12 AM (IST)
यमुना डूब क्षेत्र में अतिक्रमण और मलबा डालने पर होगी कार्रवाई, अंकुश लगाने के लिए लगे 591 निशान
नदी के डूब क्षेत्र में भी जगह-जगह पर भवन सामग्री का मलबा डालने और अतिक्रमण की प्रवृत्ति रही है।

नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। दिल्ली में यमुना के डूब क्षेत्र में अतिक्रमण और मलबा डालने पर अब कड़ी कार्रवाई होगी। पिछले 25 सालों में आई बाढ़ के आधार पर यह डूब क्षेत्र निर्धारित किया गया है। वजीराबाद से जैतपुर तक यमुना के दोनों तरफ 591 निशान चिह्न (बोलार्ड) भी लगाए गए हैं। ऐसा इसीलिए है ताकि इस क्षेत्र में मलबा डालने या अतिक्रमण करने वालों पर अंकुश लगाया जा सके।

दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) से केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय को भेजी गई दिसंबर 2021 की एक रिपोर्ट में इस संबंध में जानकारी दी गई है। इस रिपोर्ट के मुताबिक यमुना का लगभग 54 किलोमीटर का हिस्सा दिल्ली से होकर गुजरता है। यहां से गुजरने के दौरान सीवरेज और खुले नालों के चलते नदी में प्रदूषण की मात्रा बहुत बढ़ जाती है। नदी के डूब क्षेत्र में भी जगह-जगह पर भवन सामग्री का मलबा डालने और अतिक्रमण की प्रवृत्ति रही है। किसी भी नदी के जलीय जीवन के लिए इसे बेहद घातक माना जाता है।

इसी को देखते हुए यमुना का डूब क्षेत्र निर्धारित किया गया है। डीपीसीसी की रिपोर्ट के मुताबिक वजीराबाद से लेकर जैतपुर तक नदी के दोनों किनारों पर सीमा निर्धारण का काम पूरा कर लिया गया है। इस सीमा निर्धारण को कहीं भी क्षति न पहुंचाई जा सके, इसके लिए 591 बोलार्ड लगाए गए हैं। इन बोलार्ड को जीपीएस मैप पर भी निर्धारित कर दिया गया है, जिससे डूब क्षेत्र में कोई भी बदलाव नहीं किया जा सकेगा। इसके अलावा, 375 फ्लैग पोस्ट और 27 साइन बोर्ड भी लगा दिए गए हैं।

निगरानी के लिए 125 सुरक्षाकर्मी नियुक्त : रिपोर्ट के मुताबिक यमुना के डूब क्षेत्र की निगरानी के लिए दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) की ओर से 125 सुरक्षाकर्मी नियुक्त किए गए हैं। तीन शिफ्टों में ड्यूटी करने वाले इन सुरक्षाकर्मियों को गश्त करने के लिए चार पेट्रोल वाहन भी उपलब्ध कराए गए हैं। इन सुरक्षाकर्मियों की टीमें वजीराबाद बैराज से लेकर ओखला बैराज तक गश्त करती हैं और खासतौर पर मलबा डंप करने वालों पर कार्रवाई करती हैं। डूब क्षेत्र में सीसीटीवी कैमरा लगाने का काम भी किया जा रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक वजीराबाद से ओखला तक कुल 27 जगहों पर 81 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं।

डूब क्षेत्र को नदी के जीवन के लिए बेहद जरूरी माना जाता है। यहां पर मलबा डालने से नदी का प्राकृतिक जीवन नष्ट होने लगता है। इससे नदी का प्रवाह भी बाधित होता है और इसमें रहने वाले जलीय जंतुओं का जीवन भी संकट में पड़़ जाता है। प्रो. सीआर बाबू, अध्यक्ष, स्टेट बाायोडायवर्सिटी काउंसिल, दिल्ली।
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