कैसे सुलझेगी आरुषि मिस्ट्रीः मां-बाप बरी तो फिर आरुषि-हेमराज को किसने मारा?

दुनिया में किसी भी हत्याकांड का पर्दाफाश तीन साक्ष्य पर ही निर्भर करता है। प्रत्यक्ष, फॉरेंसिक व परिस्थितिजन्य साक्ष्य।

By JP YadavEdited By: Publish:Fri, 13 Oct 2017 09:12 AM (IST) Updated:Fri, 13 Oct 2017 09:45 PM (IST)
कैसे सुलझेगी आरुषि मिस्ट्रीः मां-बाप बरी तो फिर आरुषि-हेमराज को किसने मारा?
कैसे सुलझेगी आरुषि मिस्ट्रीः मां-बाप बरी तो फिर आरुषि-हेमराज को किसने मारा?

नोएडा (ललित विजय)। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने संदेह लाभ देते हुए आरुषि के माता-पिता डॉ. नूपुर व डॉ. राजेश तलवार को हत्या के आरोप से भले ही बरी कर दिया, लेकिन इसके साथ ही उलझन और भी बढ़ गई। लोगों के जेहन में दो सवाल कौंध रहे हैं, पहला आरुषि- हेमराज को किसने मारा और दूसरा कि क्यों मारा? अदालत ने तो साक्ष्यों के आधार पर फैसला सुनाया, लेकिन इसने गौतमबुद्ध नगर पुलिस के साथ-साथ देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी सीबीआइ की साख पर सवाल खड़ा कर दिया।

फॉरेंसिक साक्ष्य जुटाने में लापरवाही

दुनिया में किसी भी हत्याकांड का पर्दाफाश तीन साक्ष्य पर ही निर्भर करता है। प्रत्यक्ष, फॉरेंसिक व
परिस्थितिजन्य साक्ष्य। आरुषि हत्याकांड में कोई प्रत्यक्ष साक्ष्य नहीं था। आरुषि और हेमराज के शव मिलने के बाद नोएडा पुलिस के पास फॉरेंसिक साक्ष्य जुटाने का मौका था, जिसे उन्होंने गंवा दिया।

नोएडा पुलिस ने थोड़ा खुद, थोड़ा मीडिया कर्मियों और शेष साक्ष्य अन्य लोगों को मिटाने का मौका दे दिया। आरुषि हत्याकांड के 15 दिनों बाद सीबीआइ जांच करने आई। उसने फॉरेंसिक साक्ष्य जुटाए, लेकिन तब तक बहुत कुछ धुल और घुल चुका था।

सर्विलांस के आगे फॉरेंसिक को नहीं मिली तवज्जो

दरअसल, 2008 तक नोएडा पुलिस पर पूरी तरह से सर्विलांस सिस्टम हावी हो चुका था। ज्यादातर केस सर्विलांस के सहारे सुलझ रहे थे। आरुषि हत्याकांड को भी नोएडा पुलिस सर्विलांस की मदद से खोल देने के गुमान में थी। उसने यही किया।

डॉ. राजेश तलवार का मोबाइल सर्विलांस पर लेकर उन्हें गिरफ्तार भी किया, लेकिन दुनिया के सामने सच नहीं रख सकी। नोएडा पुलिस की उस समय बरती गई लापरवाही का नतीजा था कि सीबीआइ भी सबसे बड़ी मर्डर मिस्ट्री का पर्दाफाश

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