बसई दारापुर से निकला एनआरसी मुद्दा, भिड़े भाजपा-आप

NRC के मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी और आम आदमी पार्टी आपस में भिड़ते नजर आ रहे हैं।

By Monika MinalEdited By: Publish:Mon, 20 May 2019 11:06 AM (IST) Updated:Mon, 20 May 2019 11:06 AM (IST)
बसई दारापुर से निकला एनआरसी मुद्दा, भिड़े भाजपा-आप
बसई दारापुर से निकला एनआरसी मुद्दा, भिड़े भाजपा-आप

नई दिल्ली, जेएनएन। एक ओर जहां बसई दारापुर की घटना से क्षेत्र में उबाल है वहीं इसपर राजनीति का गेम भी चल रहा है। अब इसमें एक नया मुद्दा भारतीय राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) गरमाया हुआ है। इसपर एक ओर जहां भाजपा के मनोज तिवारी ने दिल्‍ली में एनआरसी लागू करने की मांग की वहीं इसका विरोध करते हुए आप के संजय सिंह ने कहा कि यदि दिल्‍ली में एनआरसी लागू होता है तो मुझे क्‍या मनोज तिवारी को भी यहां से बाहर जाना होगा।

...तो खाली हो जाएगी आधी दिल्‍ली

दिल्ली में एनआरसी लागू करने की चर्चा पर आम आदमी पार्टी (आप) के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने कहा कि इस मुद्दे पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। ऐसे तो आधी दिल्ली खाली हो जाएगी। सिंह ने रविवार को कहा कि एनआरसी असम में उन पर लागू होता है, जो वहां के मूल निवासी नहीं हैं। यदि कोई भारतीय भी है, लेकिन देश के दूसरे हिस्से से है और निश्चित समय सीमा से असम में नहीं रहता है तो उसे भी बाहर करने की बात हो रही है। यदि एनआरसी लागू होता है तो फिर हमें और मनोज तिवारी दोनों को दिल्ली से बाहर होना पड़ेगा। इसलिए उन्हें ऐसी बातें नहीं करनी चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि बसई दारापुर घटना में हिंदू-मुस्‍लिम खोजने के बजाय संवेदनशीलता का परिचय देना चाहिए।

दिल्‍ली में एनआरसी के पक्ष में मनोज तिवारी

बता दें कि मोती नगर के बसई दारापुर में बेटी के साथ छेड़छाड़ का विरोध करने पर ध्रुव त्यागी की हत्या कर दी गई थी। शनिवार को ध्रुव के परिजनों से मिलते हुए मनोज तिवारी ने कहा था कि उन्हें पता चला है कि हमला करने वाले रोहिंग्‍या की तरह बांग्ला बोल रहे थे। इसे आधार बनाकर मनोज तिवारी ने कहा था कि रोहिंग्‍या घुसपैठियों के हमले से दिल्ली में लोग लगातार डर के साये में जीने को मजबूर हैं। इसलिए यहां भी एनआरसी लागू होनी चाहिए ताकि लोग चैन से रह सकें।

मात्र असम में लागू है सिटिजनशिप रजिस्‍टर

देश में असम इकलौता राज्य है जहां सिटिजनशिप रजिस्टर की व्यवस्था लागू है। असम में सिटिजनशिप रजिस्टर देश में लागू नागरिकता कानून से अलग है। यहां असम समझौता 1985 से लागू है और इस समझौते के मुताबिक, 24 मार्च 1971 की आधी रात तक राज्‍य में प्रवेश करने वाले लोगों को भारतीय नागरिक माना जाएगा।

रजिस्‍टर में नाम नहीं तो अवैध नागरिक

एनआरसी की रिपोर्ट से ही पता चलता है कि कौन भारतीय नागरिक है और कौन नहीं है। इसके अनुसार, जिस व्यक्ति का सिटिजनशिप रजिस्टर में नहीं होता है उसे अवैध नागरिक माना जाता है्। इसे 1951 की जनगणना के बाद तैयार किया गया था। इसमें यहां के हर गांव के हर घर में रहने वाले लोगों के नाम और संख्या दर्ज की गई है।

वर्ष 1947 में भारत-पाकिस्‍तान के बंटवारे के बाद कुछ लोग असम से पूर्वी पाकिस्तान चले गए, लेकिन उनकी जमीन असम में थी और लोगों का दोनों और से आना-जाना बंटवारे के बाद भी जारी रहा। इसके बाद 1951 में पहली बार एनआरसी के डाटा को अपटेड किया गया। इसके बाद भी भारत में घुसपैठ होता रहा।

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