'Local ke liye Vocal': ‘लोकल’ से होगा सौंदर्य प्रसाधन उद्योग का श्रृंगार, ‘वोकल’ होगा कारोबार

Local Ke Liye Vocal 80 फीसद सौंदर्य उत्पाद के लिए चीन कोरिया और ताइवान पर है निर्भरता स्थानीय कंपनियों के प्रबंधन का कहना- सरकार से मिले सहयोग तो बने बात।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Fri, 12 Jun 2020 01:10 PM (IST) Updated:Fri, 12 Jun 2020 01:20 PM (IST)
'Local ke liye Vocal': ‘लोकल’ से होगा सौंदर्य प्रसाधन उद्योग का श्रृंगार, ‘वोकल’ होगा कारोबार
'Local ke liye Vocal': ‘लोकल’ से होगा सौंदर्य प्रसाधन उद्योग का श्रृंगार, ‘वोकल’ होगा कारोबार

नई दिल्ली/गुरुग्राम, प्रियंका दुबे मेहता। Local Ke Liye Vocal: लोकल के लिए वोकल हो जाओ, देश में एक नई उम्मीद जगाओ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को एक नई दिशा देने की बात यूं ही नहीं की थी। इसके पीछे अपार अवसर छिपे हैं। तभी तो ‘लोकल के लिए वोकल’ की प्रतिध्वनि गूंजने लगी है। सौंदर्य प्रसाधन उद्योग को ही लें तो यहां 80 फीसद चीन, कोरिया, इजरायल और ताइवान के उत्पादों का दबदबा रहा है। स्वदेशी कंपनियां गुणवत्ता में बेहतर होकर भी पिछड़ जाती हैं। अब कोरोना काल में हालात बदले हैं। लोगों में घरेलू सौंदर्य उत्पादों के प्रति विश्वास दिखने लगा है और इन स्थनीय कंपनियों में आस जगी है।

चीन के उत्पादों से तौबा : लोग मानते हैं कि प्रधानमंत्री के नारे को आत्मसात करके ही सार्थक बदलाव दिखेगा। अब कुछ कंपनियां अपने उत्पादों की लेबलिंग के लिए चीन पर निर्भरता छोड़ रही हैं। कलर एसेंस जैसी कंपनियों के उत्पाद की लेबलिंग चीन के पैकेजिंग मैटीरियल से होती थी। अब कंपनी ने स्वदेशी मैटीरियल और डाई से ही पैकेजिंग की तैयारी कर ली है। सौंदर्य उपकरण निर्माता कंपनी कियाना ने भी चीन से किसी तरह के उत्पाद न लेने का मन बना लिया है।

साधना होगा वैश्विक बाजार: भारतीय सौंदर्य प्रसाधन कंपनियां अपने शहर या देश के कुछ हिस्सों के ही बाजार तक सीमित हो जाती हैं। सरकार से भी इतना सहयोग नहीं मिलता कि बड़े स्तर पर उत्पादन और निर्यात कर सकें। चीन की तरह वैश्विक बाजार वाली सोच को अपनाना होगा।

सरकार से सहयोग की दरकार : सौंदर्य प्रसाधन कंपनियों के मालिकों की मानें तो देसी उत्पाद अपने ही देश में चीन से आए उत्पाद से महंगा पड़ता है। भारी-भरकम टैक्स से लेकर कच्चे माल की कम उपलब्धता की वजह से देसी कंपनियां या तो बंद हो जाती हैं या किसी क्षेत्र-विशेष तक सिमट कर रह जाती हैं।

यह स्वर्णिम अवसर है कि भारतीय सौंदर्य प्रसाधन कंपनियों को आगे बढ़ाया जा सकता है। जरा सा सहयोग मिलने से हम इस उद्योग के ढाई सौ करोड़ के टर्नओवर को ढाई हजार करोड़ कर सकते हैं। हमारे पास बेहतर जानकारी है, भारतीयों की जरूरत के हिसाब से बेहतर उत्पाद हैं और बेहतर कौशल है।

-आरके नंदा, निदेशक, कलर एसेंस (कॉस्मेटिक ब्रांड)

हम अपने कुछ उत्पाद इजरायल और कोरिया से आयात करते हैं। मेरा ब्रांड भारतीय है और मैं चीन से बिल्कुल आयात नहीं करूंगी। सरकार सहयोग करे तो हमारे उत्पाद देश की अर्थव्यवस्था को आगे ले जाने में मदद कर सकते हैं।

- पूजा, वाइस प्रेसिडेंट, कियाना (कॉस्मेटिक ब्रांड)

तकरीबन 80 फीसद सौंदर्य प्रसाधन विदेश से से आते हैं। लोगों को पता ही नहीं है कि देश में भी इनकी कंपनियां हैं। अगर उन्हें बढ़ावा मिले तो विदेश पर निर्भरता खत्म हो जाएगी और भारतीय सौंदर्य प्रसाधन उद्योग सफलता के मुकाम पर पहुंचेगा।

-नमिता, निदेशक, कुडोज कलर एक्सपर्ट

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