कई बैंकों में पड़े हैं 6000 करोड़ रुपये, डीएमआरसी ने दिल्ली हाई कोर्ट को दी जानकारी

Delhi Metro News डीएएमईपीएल द्वारा दायर याचिका में एक अतिरिक्त हलफनामा दायर करके दिल्ली मेट्रो रेल निगम निगम (Delhi Metro Rail Corporation) ने दिल्ली हाई कोर्ट में कहा कि विभिन्न बैंकों में उसके 6208.03 करोड़ रुपये पड़े हैं।

By Jp YadavEdited By: Publish:Tue, 11 Jan 2022 09:22 AM (IST) Updated:Tue, 11 Jan 2022 09:26 AM (IST)
कई बैंकों में पड़े हैं 6000 करोड़ रुपये, डीएमआरसी ने दिल्ली हाई कोर्ट को दी जानकारी
कई बैंकों में पड़े हैं 6000 करोड़ रुपये, डीएमआरसी ने दिल्ली हाई कोर्ट को दी जानकारी

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। दिल्ली एयरपोर्ट मेट्रो एक्सप्रेस प्राइवेट लिमिटेड (डीएएमईपीएल) द्वारा दायर याचिका में एक अतिरिक्त हलफनामा दायर करके दिल्ली मेट्रो रेल निगम निगम (डीएमआरसी) ने दिल्ली हाई कोर्ट में कहा कि विभिन्न बैंकों में उसके 6208.03 करोड़ रुपये पड़े हैं।

डीएएमईपीएल ने याचिका दायर कर 11 मई 2017 को मध्यस्थता पुरस्कार को लागू करने की मांग की है। हाई कोर्ट ने पिछले महीने डीएमआरसी को निर्देश दिया था कि वह अपने बैंक खातों में पड़ी राशि का विवरण प्रस्तुत करे। अदालत ने डीएमआरसी की ओर से दायर पहले हलफनामे को संज्ञान लिया था। जिसमें डीएमआरसी ने कहा था कि उनके बैंक खाते में 1642.69 करोड़ रुपये जमा हैं।मध्यस्थता पंचाट ने डीएमआरसी को आदेश दिया था कि वह डीएएमईपीएल को 4,600 करोड़ रुपए का भुगतान करे।

इस बारे में डीएमआरसी की तरफ से दाखिल सभी याचिकाएं निरस्त हो चुकी हैं। सुप्रीम कोर्ट ने भी 23 नवंबर को अपने फैसले पर पुनर्विचार की मांग वाली याचिका खारिज कर दी थी। रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर की अनुषंगी इकाई डीएएमईपीएल डीएमआरसी की एयरपोर्ट मेट्रो लाइन के विकास से जुड़ी हुई थी, लेकिन बाद में वह संरचनात्मक खामियों का हवाला देते हुए अलग हो गई थी। इसी सौदे की विवादित रकम का भुगतान किया जाना है।

कोरोना के चलते तकरीबन दो साल से दिल्ली मेट्रो रेल निगम वित्तीय संकट का सामना कर रहा है। मार्च 2020 के बाद से अब तक दिल्ली मेट्रो लगभग कई  रजार रुपये का घाटा झेल चुकी है। मार्च 2021 में खत्म हुए वित्तीय साल में दिल्ली मेट्रो को 1785 करोड़ रुपये का आपरेशनल घाटा हुआ, जबकि उससे पिछले साल यानी 2020 में 758 करोड़ का आपरेशनल फायदा हुआ था। 2018-19 में भी उसे 1027 करोड़ रुपये का आपरेशनल फायदा हुआ था। यह घाटा लगातार जारी है, क्योंकि दिल्ली मेट्रो पूरी क्षमता के साथ अब भी रफ्तार नहीं भर पा रही है।

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