सुविधाओं की कमी से जूझ रहा मोहल्ला क्लीनिक

मोहल्ला क्लीनिक प्रोजेक्ट को लेकर केजरीवाल सरकार अपनी पीठ थपथपाती नजर आती है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है। मोहल्ला क्लीनिक खोलने के पीछे सरकार का मकसद था कि अस्पताल में लगने वाली लंबी कतार में कुछ कमी लाई जा सके, लेकिन ऐसा तब संभव है जब मोहल्ला क्लीनिक में सुविधाएं उपलब्ध हो। क्षेत्र के विभिन्न मोहल्ला क्लीनिक का जायजा लेने पर पता चला कि यहां मरीजों की संख्या के मुताबिक मोहल्ला क्लीनिक में कर्मचारियों की भारी कम है। इसके अलावा अधिकांश मोहल्ला क्लीनिक में जांच की सुविधा ही नहीं है। कई जगह तो स्थिति यह है कि स्थानीय लोगों को पता ही नहीं है कि क्षेत्र में मोहल्ला क्लीनिक कहां और कब खुला है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 07 Sep 2018 10:03 PM (IST) Updated:Fri, 07 Sep 2018 10:03 PM (IST)
सुविधाओं की कमी से जूझ रहा मोहल्ला क्लीनिक
सुविधाओं की कमी से जूझ रहा मोहल्ला क्लीनिक

जागरण संवाददाता, पश्चिमी दिल्ली : मोहल्ला क्लीनिक प्रोजेक्ट को लेकर केजरीवाल सरकार अपनी पीठ थपथपाती नजर आती है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है। क्षेत्र के विभिन्न मोहल्ला क्लीनिकों का जायजा लेने पर पता चला कि यहां मरीजों की संख्या के अनुसार मोहल्ला क्लीनिक में कर्मचारियों की भारी कमी है। ज्यादातर मोहल्ला क्लीनिकों में जांच की सुविधा ही नहीं है। कई जगह तो स्थानीय लोगों को पता ही नहीं है कि क्षेत्र में मोहल्ला क्लीनिक कहां और कब खुला है। उनका कहना है कि घरों में किराये के कमरे में मोहल्ला क्लीनिक चल रहे हैं और कोई बोर्ड आदि नहीं लगा है। ऐसे में लोगों को कैसे पता चलेगा कि यहां कोई मोहल्ला क्लीनिक भी है।

द्वारका सेक्टर-10 स्थित मोहल्ला क्लीनिक में मरीजों की संख्या न के बराबर है, वहीं सेक्टर-3 में रोजाना 150 से ऊपर मरीज आते हैं। हालांकि दोनों ही जगह सुविधाएं बराबर हैं। सरकार को चाहिए जहां मरीजों की संख्या अधिक है, वहां कर्मचारियों की संख्या को बढ़ाया जाए। छावला स्थित पंडवाला कलां गांव में बने मोहल्ला क्लीनिक में हफ्तेभर पहले एसी व एक इलेक्ट्रॉनिक यंत्र की चोरी हो गई। पालम, राजनगर में स्थानीय लोगों को नहीं पता कि कहां है मोहल्ला क्लीनिक।

द्वारका सेक्टर-3 :

इस मोहल्ला क्लीनिक को खुले दो साल होने वाला है, लेकिन यहां आज तक जांच की सुविधा शुरू नहीं की गई है। हालांकि यहां जांच के लिए अलग से कमरा बना हुआ है। सूत्रों के मुताबिक मोहल्ला क्लीनिक में जांच की सुविधा के लिए सरकार ने किसी निजी लैब से अनुबंध किया हुआ है, लेकिन उस लैब की ओर से आज तक मोहल्ला क्लीनिक में सुविधा उपलब्ध नहीं कराई गई है। ऐसे में मरीजों को जांच के लिए रेफर करना चिकित्सकों की मजबूरी बन गई है। कई सक्षम मरीज निजी लैब में जाकर जांच करा लेते हैं तो वहीं कुछ अस्पतालों का रुख करते है। इन दिनों मलेरिया के काफी मरीज आ रहे हैं और बिना जांच के मलेरिया का पता करना काफी मुश्किल होता है। यहां फार्मासिस्ट भी नहीं हैं। ऐसे में चिकित्सक को जांच के साथ मरीजों को दवा भी स्वयं देनी पड़ती है। यहां रोजाना 160-170 मरीज आते हैं। ऐसे में दो-दो स्तर पर जिम्मेदारियों का निर्वाह करना पड़ रहा है। यहां सफाई व दवाओं का स्टॉक बनाए रखना, मरीजों की रजिस्टर में एंट्री करना आदि जिम्मेदारियों के लिए एक एएनएम और एक कर्मचारी नियुक्त है।

बेरी वाला बाग, सुभाष नगर :

इस मोहल्ला क्लीनिक को हाल ही में दो माह पूर्व ही शुरू किया गया है। ऐसे में यहां मरीजों की संख्या काफी कम है। यहां नजदीक ही निगम की डिस्पेंसरी है। मरीजों का कहना है कि डिस्पेंसरी में मोहल्ला क्लीनिक से अधिक सुविधा है। ऐसे में मोहल्ला क्लीनिक जाकर समय बर्बाद करने की क्या जरूरत है। यहां आसपास के लोगों को मोहल्ला क्लीनिक होने की भी कोई जानकारी नहीं है। स्कूल परिसर में बने इस मोहल्ला क्लीनिक का अधिकांश लाभ स्कूली बच्चों को मिलता है।

मोहन गार्डन एल 2बी ब्लॉक व डाबड़ी एक्सटेंशन :

इस मोहल्ला क्लीनिक में लंबे समय से लैब टेक्नीशियन नहीं होने के कारण मरीजों को खून की जांच के लिए निजी लैब का रुख करना पड़ रहा है। अभी मरीजों को कॉलोनी के दूसरे मोहल्ला क्लीनिक में रेफर किया जा रहा है। हालांकि कर्मचारी की जल्द नियुक्ति के लिए प्रशासन को खत लिखा गया है। दूसरे मोहल्ला क्लीनिक में रेफर करने से वहां भी काफी भार बढ़ गया है।

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