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...तो ठप हो गई है AAP सरकार, दिल्ली हाईकोर्ट ने क्यों की ये टिप्पणी

Delhi Government News कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन की अध्यक्षता वाली पीठ ने माना एमसीडी आयुक्त की वित्तीय शक्ति में किसी भी वृद्धि के लिए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की मंजूरी की आवश्यकता होने संबंधी कि दिल्ली सरकार के मंत्री सौरभ भारद्वाज की यह स्वीकारोक्ति इस स्वीकारोक्ति के समान है कि केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद दिल्ली सरकार ठप हो गई है।

By Vineet Tripathi Edited By: Geetarjun Published: Mon, 29 Apr 2024 04:18 PM (IST)Updated: Mon, 29 Apr 2024 04:18 PM (IST)
...तो ठप हो गई है दिल्ली सरकार, दिल्ली हाईकोर्ट ने ऐसी क्यों की टिप्पणी

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली नगर निगम (Delhi Municipal Corporation) के स्कूलों में ड्रेस और शैक्षिक सामग्री अब तक छात्रों को नहीं उपलब्ध कराने के मामले से जुड़ी जनहित याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने अपना निर्णय सुनाया है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन की अध्यक्षता वाली पीठ ने माना एमसीडी आयुक्त की वित्तीय शक्ति में किसी भी वृद्धि के लिए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की मंजूरी की आवश्यकता होने संबंधी कि दिल्ली सरकार के मंत्री सौरभ भारद्वाज की यह स्वीकारोक्ति इस स्वीकारोक्ति के समान है कि केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद दिल्ली सरकार ठप हो गई है।

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अदालत ने कहा कि दिल्ली जैसी व्यस्त राजधानी में मुख्यमंत्री का पद कोई औपचारिक नहीं है और यह ऐसा पद है, जहां पदाधिकारी को चौबीस घंटे उपलब्ध रहना होता है। अदालत ने कहा कि राष्ट्रीय हित और सार्वजनिक हित की मांग है कि इस पद पर रहने वाला कोई भी व्यक्ति लंबे समय तक या अनिश्चित अवधि के लिए संपर्क में न रहे या अनुपस्थित रहे।

सीएम बने रहने का निजी फैसला, लेकिन इसका मतलब यह नहीं...

अदालत ने कहा कि गिरफ्तारी के बावजूद सीएम बने रहने का केजरीवाल का फैसला उनका निजी फैसला है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि सीएम के उपलब्ध नहीं होने के कारण छोटे बच्चों के मौलिक अधिकारों का हनन होगा और वे स्कूल का पहला सत्र पाठ्यपुस्तकों, लेखन सामग्री व वर्दी के बिना गुजारेंगे।

दिल्ली सरकारी की आलोचना की

अदालत ने दिल्ली सरकार की भी आलोचना करते हुए कहा कि मौजूदा स्थिति से निपटने के लिए तत्परता से काम करने में असमर्थता एमसीडी स्कूलों में नामांकित छात्रों की दुर्दशा के प्रति उसकी उदासीनता को दर्शाती है। अदालत ने कहा कि यह एमसीडी छात्रों के मौलिक अधिकारों का जानबूझकर किया गया उल्लंघन है।

उक्त तल्ख टिप्पणियों के साथ ही अदालत ने एमसीडी आयुक्त को पांच करोड़ की व्यय सीमा से मुक्त करते हुए छात्रों को पाठ्यपुस्तकें और अन्य सामग्री उपलब्ध कराने का आदेश दिया।


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