अस्पताल की लापरवाही ने ले ली बच्चों की जान!

निहाल सिंह, नई दिल्ली उत्तरी दिल्ली नगर निगम के महर्षि वाल्मीकि संक्रामक रोग अस्पताल में 13 दिनों

By JagranEdited By: Publish:Fri, 21 Sep 2018 10:55 PM (IST) Updated:Fri, 21 Sep 2018 10:55 PM (IST)
अस्पताल की लापरवाही ने ले ली बच्चों की जान!
अस्पताल की लापरवाही ने ले ली बच्चों की जान!

निहाल सिंह, नई दिल्ली

उत्तरी दिल्ली नगर निगम के महर्षि वाल्मीकि संक्रामक रोग अस्पताल में 13 दिनों में डिप्थीरिया (गलाघोंटू) से पीड़ित 11 बच्चों की हुई मौत के मामले में अस्पताल प्रशासन की लापरवाही सामने आई है। इस बीमारी के इलाज के लिए जिस इंजेक्शन की जरूरत होती है, वह हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले के कसौली स्थित केंद्रीय अनुसंधान संस्थान (सीआरआइ) में 15 दिनों से बनकर तैयार है, लेकिन अस्पताल प्रशासन उसे मंगवा ही नहीं सका।

सीआरआइ के निदेशक डॉ. अजय कुमार त्रेहन ने बताया कि संस्थान में डिप्थीरिया एंटीटॉक्सिन सीरम के 200 इंजेक्शन बनकर तैयार हैं और अस्पताल प्रशासन को इस बारे में 15 दिन पहले ही जानकारी दे दी गई थी। हम यह इंजेक्शन मांग के अनुसार तैयार करते हैं। विगत जनवरी में अस्पताल प्रशासन की ओर से कहा गया था कि उसे सितंबर-अक्टूबर में इसकी जरूरत होगी, लेकिन मार्च के बाद से अस्पताल प्रशासन ने इस संबंध में कोई संपर्क नहीं किया। अस्पताल प्रशासन से बात हुई है। उनका कोई व्यक्ति यह इंजेक्शन लेने शनिवार को कसौली आ रहा है, अगर वहां से कोई व्यक्ति नहीं आएगा तो हम खुद इसे अस्पताल पहुंचाएंगे। चिकित्सा अधीक्षक पर गिर सकती है गाज

कसौली स्थित केंद्रीय अनुसंधान संस्थान में डिप्थीरिया एंटीटॉक्सिन सीरम के इंजेक्शन तैयार होने के बाद भी अस्पताल प्रशासन वहां से इसे नहीं मंगा सका। ऐसे में अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. सुशील कुमार गुप्ता पर गाज गिर सकती है। अगर यह इंजेक्शन समय रहते मंगा लिया जाता तो शायद बच्चों की जान बच सकती थी।

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जब सीआरआइ से बात हुई थी तो उस समय उसके पास कम संख्या में इंजेक्शन थे। अब इसको लाने के लिए एक व्यक्ति हिमाचल भेज दिया गया है।

- डॉ. सुशील कुमार गुप्ता, चिकित्सा अधीक्षक, महर्षि वाल्मीकि संक्रामक रोक अस्पताल

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