जंगली घास से अस्तित्व खो रहा कुटियावाला जोहड़

प्राचीन काल से ही जोहड़ मुख्य जलस्त्रोत रहे हैं। वर्षो पहले यह जोहड़ स्वच्छ जल से लबालब भरे होते थे और इनका पानी सभी के लिए उपयोगी साबित होता था। जिन जलस्रोतों से मनुष्य और अन्य जीव लाभान्वित हुआ करते थे आज उसके प्रदूषण से सभी प्रभावित भी हो रहे हैं। तेजी से फैलती जंगली घास की वजह से इनका अस्तित्व भी मिटने को आया है। दिल्ली के लाडपुर गांव के कुटियावाला जोहड़ की हालत भी कुछ ऐसी ही है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 20 May 2022 07:57 PM (IST) Updated:Fri, 20 May 2022 07:57 PM (IST)
जंगली घास से अस्तित्व खो 
रहा कुटियावाला जोहड़
जंगली घास से अस्तित्व खो रहा कुटियावाला जोहड़

शिप्रा सुमन, बाहरी दिल्ली :

प्राचीन काल से ही जोहड़ मुख्य जलस्त्रोत रहे हैं। वर्षो पहले यह जोहड़ स्वच्छ जल से लबालब भरे होते थे और इनका पानी सभी के लिए उपयोगी साबित होता था। जिन जलस्रोतों से मनुष्य और अन्य जीव लाभान्वित हुआ करते थे आज उसके प्रदूषण से सभी प्रभावित भी हो रहे हैं। प्रदूषण के शिकार इन जोहड़ का न केवल पानी गंदा हो रहा है, बल्कि तेजी से फैलती जंगली घास की वजह से इनका अस्तित्व भी मिटने को आया है। दिल्ली के लाडपुर गांव के कुटियावाला जोहड़ की हालत भी कुछ ऐसी ही है। वर्षो से उपेक्षा के शिकार इस जोहड़ में अब पानी नजर नहीं आता क्योंकि इसमें करीब दस फीट तक ऊंची घास झाड़िया उग आई हैं। इन जंगली घास और झाड़ियों की वजह से जोहड़ गंदगी के ढेर में बदल गया है। जंगली घास और नालियों की गंदगी :

गांव के निवासी होशियार सिंह ने बताया कि गांव में लगभग सभी जोहड़ गंदगी से घिरे हैं। सैकड़ों वर्ष पुराने इस जोहड़ के बारे में ग्रामीण यह भी बताते हैं कि लोगों की आस्था का भी केंद्र हुआ करता था, लेकिन रखरखाव नहीं होने से इनकी दुर्दशा हो गई। ग्रामीण राजेंद्र का कहना है कि गांव के सभी नाले कच्चे हैं और इस वजह से गंदा पानी नालों में न जाकर जोहड़ों में ही गिर जाते हैं। जोहड़ के पानी से आती है बदबू :

गांव के बुजुर्ग ईश्वर सिंह का कहना है कि यदि जोहड़ की नियमित सफाई और संरक्षण पर ध्यान नहीं दिया गया तो हालात बदतर हो सकते हैं। गंदगी की वजह से इसकी ऐसी दुर्दशा हो चुकी है कि लोग इसके नजदीक भी नहीं जाना चाहते। गंदगी की वजह से इसके पानी से लोगों को बदबू आती है और उन्हें बीमारियों के फैलने का भय रहता है। राजसिंह का कहना है कि पूरे जोहड़ में दस फीट से ऊंची जंगली घास उग चुकी है जिससे इसके अंदर कुछ भी दिखना बंद हो चुका। इससे छोटे बच्चों और पशुओं को खतरा बना हुआ है। ऐसे में उच्च न्यायालय के निर्देशानुसार जोहड़, तालाबों के संरक्षण ध्यान देने की आवश्यकता है।

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