अलका से माफी मांगकर विवाद खत्म करेंं ओपी शर्मा: हाई कोर्टंं
भाजपा विधायक ओपी शर्मा को हाई कोर्ट ने निर्देश दिया है कि वो आप विधायक अलका लांंबा से माफी मांगकर विवाद खत्म करेंं।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। दिल्ली विधानसभा से दो सत्र के लिए निलंंबित भाजपा विधायक ओपी शर्मा को फिलहाल हाई कोर्ट से कोई राहत नहींं मिली है। न्यायमूर्ति मनमोहन सिंह की पीठ ने ओपी शर्मा को निर्देश दिया है कि वे इस विवाद को सौहार्दपूर्ण वातावरण मेंं आप विधायक अलका लांंबा से माफी मांगकर खत्म करेंं। अदालत ने विवाद को खत्म करने के लिए शर्मा व अलका लांंबा को बृहस्पतिवार सुबह साढ़े दस बजे कोर्ट रूम मेंं उपस्थित रहने का निर्देश दिया है।
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अदालत ने दोनोंं पक्षोंं से कहा कि इस विवाद को इतना लंंबा न खींंचा जाए। शर्मा को एक मौका दिया जाना चाहिए और उनके द्वारा माफी मांंगने के बाद मामले को खत्म किया जाए। सुनवाई के दौरान दोनोंं पक्षोंं के वकीलोंं मेंं हल्की नोकझोंंक भी हुई लेकिन अदालत ने दोनोंं पक्षोंं को बृहस्पतिवार को पेश होने का निर्देश दिया।अदालत ने दोनोंं पक्षोंं को यह भी कहा कि यदि उनके बीच कोई सुलह नहींं होती तो वे याचिका पर विचार कर यह तय करेगी कि याचिका विचार योग्य है या नहींं।
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सुनवाई के दौरान दिल्ली सचिवालय की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता सुधीर नदराजोग ने शर्मा की याचिका का विरोध किया। उन्होंंने कहा कि यह याचिका विचार योग्य नहींं है। विधानसभा मेंं की गई कार्रवाई मेंं अदालत हस्तक्षेप नहींं कर सकती। अधिवक्ता ने कहा कि शर्मा ने एक महिला के खिलाफ अभद्र टिप्पणी की थी और जांंच कमेटी ने उन्हेंं माफी मांंगने या अपने व्यवहार पर खेद प्रकट करने के कई मौके दिए लेकिन उनका व्यवहार नहींं बदला। शर्मा को तीन बार विधानसभा मेंं नियमोंं के उल्लंघन का दोषी ठहराया जा चुका है।
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अधिवक्ता ने कहा कि विधानसभा की आचरण समिति ने तो उन्हेंं स्थायी रूप से निलंंबित करने की सिफारिश की थी। लेकिन विधानसभा ने उन्हेंं केवल दो सत्र के लिए ही निलंंबित किया। विधानसभा की कार्रवाई मेंं कोर्ट को हस्तक्षेप नहींं करना चाहिए। वही, शर्मा के वकील ने इस तर्क पर आपत्ति जताते हुए कहा कि अदालत को मामले मेंं कार्रवाई करने का पूरा अधिकार है।
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पेश मामले मेंं शर्मा ने दिल्ली विधानसभा की आचरण समिति की रिपोर्ट के आधार पर उन्हेंं दो बार के विस सत्र से निलबित करने के निर्णय को हाईकोर्ट मेंं चुनौती दी है। शर्मा ने अपने निलंंबन को गलत बताया है। उनका कहना है कि आचरण समिति मेंं सभी सदस्य सत्ता पक्ष के हैं और उन्होंंने उनके द्वारा पेश सफाई को गलत तरीके से पेश कर उनकी सदस्यता को रद करने की सिफारिश कर दी। ये एकतरफा कार्रवाई है।