रोज फोलिक एसिड की एक गोली रोक सकती है बच्चों की दिव्यांगता

देश पोलियो मुक्त तो हो गया पर स्पाइना बाइफिडा नामक रीढ़ की जन्मजात बीमारी से हर साल हजारों बच्चे दिव्यांगता से पीड़ित हो रहे हैं। एम्स के डॉक्टर कहते हैं कि प्रतिदिन फोलिक एसिड की सिर्फ एक गोली बच्चों को इस बीमारी से बचा सकती है पर समाज में जागरूकता का अभाव आड़े आ रहा है। एम्स के डॉक्टरों ने सलाह दी है कि महिलाएं यदि गर्भधारण से पहले ही यह दवा शुरू कर दें तो 60-70 फीसद बच्चों को इस बीमारी से बचाया जा सकता है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 23 Oct 2018 11:15 PM (IST) Updated:Tue, 23 Oct 2018 11:15 PM (IST)
रोज फोलिक एसिड की एक गोली 
रोक सकती है बच्चों की दिव्यांगता
रोज फोलिक एसिड की एक गोली रोक सकती है बच्चों की दिव्यांगता

रणविजय सिंह, नई दिल्ली

देश पोलियो मुक्त तो हो गया पर स्पाइना बाइफिडा नामक रीढ़ की जन्मजात बीमारी से हर साल हजारों बच्चे दिव्यांगता से पीड़ित हो रहे हैं। एम्स के डॉक्टर कहते हैं कि प्रतिदिन फोलिक एसिड की सिर्फ एक गोली बच्चों को इस बीमारी से बचा सकती है पर समाज में जागरूकता का अभाव आड़े आ रहा है। एम्स के डॉक्टरों ने सलाह दी है कि महिलाएं यदि गर्भधारण से पहले ही यह दवा शुरू कर दें तो 60-70 फीसद बच्चों को इस बीमारी से बचाया जा सकता है।

एम्स के न्यूरो सर्जरी के विभागाध्यक्ष डॉ. एसएस काले ने कहा कि हर एक हजार में एक बच्चा इस घातक बीमारी के साथ दुनिया में कदम रखता है। देश में हर साल करीब 2.70 करोड़ बच्चे जन्म लेते हैं। इस तरह रीढ़ की जन्मजात बीमारी से पीड़ित बच्चों की संख्या बहुत अधिक है। इसका इलाज उपलब्ध है पर रोकथाम बेहतर विकल्प है। सभी गर्भवती महिलाओं तक समय से फोलिक एसिड की दवा नहीं पहुंच पा रही है।

न्यूरो सर्जरी के प्रोफेसर डॉ. दीपक गुप्ता ने कहा कि इस बीमारी की पहचान गर्भावस्था में की जा सकती है। इसके बाद 20वें सप्ताह तक कानूनन गर्भपात कराया जा सकता है। इस बीमारी के साथ जन्मे बच्चों के ब्रेन या रीढ़ का कुछ हिस्सा बाहर की तरफ निकला होता है। रीढ़ दो हिस्से में बंटी होती है। इसके अलावा बच्चों के पैरों में ताकत कम हो जाती है। ब्रेन में पानी भर जाता है और किडनी पर भी दुष्प्रभाव पड़ता है। कई बच्चों के पीठ पर जन्म से काले बाल होते हैं। लोग समझ नहीं पाते कि यह बाल भी इस गंभीर बीमारी का लक्षण है। कई शोधों में यह बात साबित हो चुकी है कि फोलिक एसिड की कमी इस बीमारी का बड़ा कारण है। इसलिए शादी के बाद गर्भधारण से तीन महीना पहले यह दवा शुरू कर देनी चाहिए।

एम्स के पीडियाट्रिक सर्जरी के विभागाध्यक्ष डॉ. मीनू बाजपेयी ने कहा कि स्पाइना बाइफिडा में बच्चों की पीठ पर फोड़ा बन जाता है। रीढ़ की हड्डी से गुजरने वाली नसें, जो चलने फिरने में मदद करती हैं और शौच को नियंत्रित करती हैं उनमें खामी होने के कारण शौच पर नियंत्रण नहीं रहता। चलने में दिक्कत होती है। सर्जरी के बाद करीब 95 फीसद बच्चों के ब्रेन में पानी भर जाता है। आजीवन फालोअप इलाज की जरूरत पड़ती है। इसलिए कई तरह की परेशानियों से गुजरना पड़ता है। इसलिए संभव हो तो लड़कियों को किशोरावस्था से ही फोलिक एसिड की दवा शुरू कर देनी चाहिए।

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