नेता और अधिकारियों के संरक्षण में अवैध रूप से चल रहीं फैक्ट्रियां

जागरण संवाददाता, बाहरी दिल्ली : जिस रिहायशी इलाके राज पार्क में आग ने चार लोगों को लील लिया।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 10 Apr 2018 03:00 AM (IST) Updated:Tue, 10 Apr 2018 03:00 AM (IST)
नेता और अधिकारियों के संरक्षण में अवैध रूप से चल रहीं फैक्ट्रियां
नेता और अधिकारियों के संरक्षण में अवैध रूप से चल रहीं फैक्ट्रियां

जागरण संवाददाता, बाहरी दिल्ली : जिस रिहायशी इलाके राज पार्क में आग ने चार लोगों को लील लिया, उसी राज पार्क में बड़े पैमाने पर जूते, प्लास्टिक, जींस बनाने के कारखाने अवैध रूप से चल रहे हैं, लेकिन नगर निगम के अधिकारी एक बार भी इस इलाके में सी¨लग के लिए नहीं पहुंचे। निगम के कुछ अधिकारियों, पुलिस एवं स्थानीय नेताओं ने ही इन अवैध कारखानों को संरक्षण प्रदान किया है। कुछ माह के दौरान आग लगने के मामले बढ़े फिर भी प्रशासन की नींद नहीं खुल रही है।

सुल्तानपुर माजरा विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाला राज पार्क पूरी तरह से रिहायशी कॉलोनी है। यह कॉलोनी सुल्तानपुर माजरा गांव की जमीन पर बसी है। यहां बड़ी संख्या में ऐसे मकान भी हैं, जिनके मालिक रहते तो दूसरे क्षेत्रों में हैं और इन्हें कारखाने वालों को किराये पर दे रखा है। कुछ ऐसे भी मकान हैं, जिनमें ऊपर लोग रहते हैं और नीचे फैक्ट्री चल रहीं हैं। ज्यादातर फैक्ट्रियों में जूता, प्लास्टिक दाना और जींस बनाने का काम होता है, जहां बड़ी संख्या में नाबालिग काम करते हैं। यह है बड़ी वजह

राज पार्क के पास में ही शहरीकृत सुल्तानपुर माजरा है, जो करीब-करीब औद्योगिक क्षेत्र में तब्दील हो चुका है। यहां भी ऐसे ही कारखाने चल रहे हैं। उद्योग नगर और मंगोलपुरी औद्योगिक क्षेत्र पास हैं, जहां जूता फैक्ट्री के साथ-साथ प्लास्टिक के दाने का कारोबार बड़े पैमाने पर होता है। इसलिए जिन लोगों को मंगोलपुरी या उद्योग नगर औद्योगिक क्षेत्र में जगह नहीं मिली या वहां के खर्चो से बचने के लिए उन्होंने राज पार्क आदि इलाके में जूते, प्लास्टिक का दाना एवं जींस रंगाई आदि का काम शुरू कर दिया। नहीं हो रही कार्रवाई

अवैध रूप से चल रहे इन कारखानों की तरफ स्थानीय पुलिस, निगम अधिकारियों, प्रदूषण नियंत्रण समिति ने पूरी तरह से आंखें बंद कर रखीं हैं। नेता इसलिए कुछ नहीं बोलते क्योंकि चुनाव के दौरान व अन्य राजनीतिक कार्यक्रमों के लिए इन कारखानों के मालिक चंदा जुटाने से लेकर भीड़ जुटाने में सहयोग करते हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर तमाम रिहायशी इलाकों में सी¨लग की कार्रवाई चल रही है, लेकिन राज पार्क में सी¨लग के लिए एक भी बार निगम के कर्मी नहीं आए। इन कारखानों की वजह से क्षेत्र का माहौल प्रदूषित हो रहा है।

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बवाना में हुई थी 17 लोगों की मौत, नहीं दिया गया ध्यान

इसी वर्ष बवाना औद्योगिक क्षेत्र के सेक्टर पांच में अवैध रूप से चल रही पटाखे की फैक्ट्री में आग लगने से 17 लोगों की मौत हो गई थी। तब कई नेता और अधिकारी मौके पर पहुंचे, लेकिन खानापूर्ति के सिवाय कुछ नहीं हुआ। आग के पीछे बड़ी लापरवाही सामने आई थी। गोदाम के नाम पर बिना लाइसेंस के पटाखे की फैक्ट्री चलाई जा रही थी। सुरक्षा के मानकों को ताक पर रखा गया था। यह बात भी समाने आई थी कि बवाना के अलावा नरेला, मंगोलपुरी, वजीरपुर, सुल्तानपुरी आदि औद्योगिक क्षेत्रों में ऐसी कई फैक्ट्रियां चल रहीं हैं, जिनका लाइसेंस किसी और काम के लिए जारी हुआ है और वहां चल कुछ और रहा है। यही कारण था कि बवाना में दमकल विभाग को शुरुआत में प्लास्टिक फैक्ट्री में आग लगने की सूचना मिली थी, लेकिन बाद में पता चला कि वहां अवैध रुप से पटाखे बनाए जा रहे थे। इतनी खामियां सामने आने के बावजूद प्रशासन की नींद नहीं टूटी। इसके बाद 12 फरवरी को मंगोलपुरी औद्योगिक क्षेत्र में एक फैक्ट्री में आग लगी, जिसमें समय रहते ही लोग बाहर आ गए थे लेकिन आग को काबू करने में फायर ब्रिगेड को काफी मशक्कत करनी पड़ी थी। इसके पश्चात मुंडका, रानी खेड़ा में भी आग लगी, लेकिन प्रशासन ने फिर लीपापोती की। यही वजह है कि सोमवार को एक बार फिर अवैध फैक्ट्री के अग्निकांड ने चार लोगों को मौत के मुंह में पहुंचा दिया।

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