पूर्व जजों के निजी प्रैक्टिस पर अंकुश लगाने को बिल लंबित
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट में दिए जवाब में केंद्र सरकार ने कहा कि विभिन्न न्यायालयों, न्यायाधिकरण व अपीलीय न्यायाधिकरण के सदस्य सेवानिवृत पूर्व जजों के प्राइवेट प्रैक्टिस व किसी उपक्रम मध्यस्थता कार्य पर अंकुश लगाने व एक सामान सेवा शर्तो को लागू करने के लिए राज्यसभा में बिल लंबित है। केंद्र सरकार ने यह जवाब जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान दायर किया है। इस जनहित याचिका में सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट के सेवानिवृत जज जो न्यायाधिकरणों में सदस्य व पीठासीन अधिकारी के रूप में कार्यरत हैं, उन्हें मध्यस्थ कार्य करने पर रोक लगाने की मांग की गई है। याचिका को खारिज करने की मांग करते हुए केंद्र सरकारी की ओर से हाईकोर्ट में अतिरिक्त महाधिवक्ता संजय जैन ने कहा कि न्यायाधिकरण, अपीलीय न्यायाधिकरण व अन्य अधिकारियों के साथ संबंधित (सेवा की शर्ते) बिल 2014 में जनहित में उठाए गए मामले को शामिल गया है। जो कि संसद में लंबित है और यह वर्तमान में स्थायी समिति में है।
इस पर गैर सरकारी संगठन कॉमन काउज की ओर से वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि अंतहीन इंतजार नहीं कर सकते। यह प्रावधान एक कार्यकारी आदेश पारित करके किया जा सकता है। जहां तक याचिका में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज द्वारा विचार देने का मामला है तो इसका पहले ही सुप्रीम कोर्ट निपटारा कर चुका है। कोर्ट में सरकार ने कहा कि यूपीए सरकार दो के कार्यकाल के दौरान जनवरी में बिल लाया गया था, जो एक समान सेवा शर्तो को लागू करना चाहता है।