क्या बीसीसीआइ बिगाड़ रही है सचिन की छवि?

यूं तो सचिन तेंदुलकर जैसे महान खिलाड़ी की छवि बिगाड़ना किसी के बस की बात नहीं है, जो सम्मान उन्होंने पिछले 24 साल में कमाया है वो उनसे कोई नहीं छीन सकता, लेकिन पिछले एक साल में सचिन तेंदुलकर के करियर में जो तमाम मोड़ और दबाव आए हैं उसमें कहीं ना कहीं बीसीसीआइ की एक बड़ी भूमिका रही है। इसी कड़ी में कहीं ना कही

By Edited By: Publish:Fri, 13 Sep 2013 02:31 PM (IST) Updated:Fri, 13 Sep 2013 09:33 PM (IST)
क्या बीसीसीआइ बिगाड़ रही है सचिन की छवि?

नई दिल्ली। यूं तो सचिन तेंदुलकर जैसे महान खिलाड़ी की छवि बिगाड़ना किसी के बस की बात नहीं है, जो सम्मान उन्होंने पिछले 24 साल में कमाया है वो उनसे कोई नहीं छीन सकता, लेकिन पिछले एक साल में सचिन तेंदुलकर के करियर में जो तमाम मोड़ और दबाव आए हैं उसमें कहीं ना कहीं बीसीसीआइ की एक बड़ी भूमिका रही है। इसी कड़ी में कहीं ना कहीं बोर्ड ने अपने फायदों व अपनी पॉलिसी के चक्कर में सचिन की छवि को भी ताक पर रख दिया।

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अचानक वनडे क्रिकेट से सचिन का संन्यास बेशक उनकी फिटनेस और फॉर्म का नतीजा था लेकिन कहीं ना कहीं उस समय बीसीसीआइ का उन पर दबाव ही था जिसने सचिन को तुरंत पीछे हटने पर मजबूर कर दिया। कुछ ही समय बीता और फिर बीसीसीआइ ने कुछ ऐसी चीजें की जिससे सचिन के टेस्ट करियर पर भी ब्रेक लगने की जिद शुरू हो गई। बिना मास्टर ब्लास्टर के किसी बयान पर, बिना उनके किसी ऐलान के बावजूद बोर्ड ने दक्षिण अफ्रीका दौरे से पहले वेस्टइंडीज को भारत आने का न्योता दे डाला ताकि दो टेस्ट मैच खेलकर सचिन अपने घरेलू फैंस के सामने अपने 200 टेस्ट पूरे कर सकें। बेशक यह फैसला सचिन के फैंस को पसंद आया हो लेकिन इससे भारतीय क्रिकेट टीम को, आइसीसी के एफटीपी (फ्यूचर टूर प्रोग्राम) और दक्षिण अफ्रीका क्रिकेट बोर्ड से अपने रिश्तों को भी ताक पर रख दिया गया..और इसकी वजह बने सचिन रमेश तेंदुलकर।

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इस दौरान सचिन जब भी मीडिया के सामने आए तो उन्होंने यही कहा कि उन्होंने संन्यास का कोई फैसला नहीं लिया है और 200वां टेस्ट भी उनके करियर के आम मैचों की तरह ही होगा क्योंकि वह रिकॉर्डो के पीछे नहीं भागते, लेकिन बोर्ड ने ऐसा माहौल बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी जिससे अचानक टीम के कार्यक्रम में आए बदलाव के लिए लोग सचिन पर उंगली उठाने लगें। बोर्ड को तो इस एक अतिरिक्त सीरीज से तो फायदा हो जाएगा लेकिन एक महान खिलाड़ी के सम्मान और उनकी छवि को ताक में रखने का फैसला कहां तक सही है?

बॉयकॉट ने भी बीसीसीआइ को सचिन मामले में लपेटा:

इंग्लैंड के पूर्व दिग्गज ज्योफ्री बॉयकॉट ने भी इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया दी है और उनको भी यही लगता है कि बीसीसीआइ अपने फैसलों के चक्कर में एक महान खिलाड़ी (सचिन तेंदुलकर) की छवि बिगाड़ने में जुटा है। बॉयकॉट ने कहा, 'इसमें कोई बुराई नहीं है (वेस्टइंडीज के खिलाफ सीरीज) जब कोई खिलाड़ी 200 टेस्ट के महान आंकड़े के करीब पहुंच रहा हो, लेकिन मेरा इसमें एक तर्क है..तेंदुलकर ने खेल से ऊपर कभी इसकी मांग नहीं की, यह सही नहीं है। जब बीसीसीआइ ने दक्षिण अफ्रीका में उनके बोर्ड को तीन टेस्ट खेलने का वादा किया था तो अपने वादे से पीछे हटना बिल्कुल सही नहीं है। इसकी वजह से सचिन की छवि को ताक पर रखना बीसीसीआइ को शोभा नहीं देता। सचिन एक महान इंसान और अद्भुत बल्लेबाज है, और उसको बीच में खींचते हुए दो देशों के बीच झगड़ा पैदा करना व सचिन के खास दिन (200 टेस्ट) को खराबकरना बिल्कुल उचित नहीं है। दक्षिण अफ्रीकी फैंस भारत को खेलते हुए देखने को उत्सुक होंगे, ऐसे में आखिरी मौके पर प्लान में तब्दीली करना बेइमानी होगी, कैसा होता अगर यही चीज भारत के साथ की जाती, क्या उससे भारतीय फैंस आहत ना होते?'

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