चैंपियंस लीग से संवरे कई करियर
ये खिलाड़ी बहुत दूर से आए हैं, अलग-अलग महाद्वीप से। कुछ को अपने करियर को नई ऊंचाई तक ले जाने की उम्मीद है तो कुछ
(रवि शास्त्री का कॉलम)
ये खिलाड़ी बहुत दूर से आए हैं, अलग-अलग महाद्वीप से। कुछ को अपने करियर को नई ऊंचाई तक ले जाने की उम्मीद है तो कुछ ने उससे भी अधिक के सपने देखे हैं। इन सबके बीच सभी की निगाहें आइपीएल फ्रेंचाइजियों की गुड बुक में अपना नाम लिखवाने पर भी है।
यह क्रिकेट का सुनहरा मंच है, इसलिए जरूरी है कि आप यहां उम्मीदों पर खरे उतरें। कुछ टीमों को शुरुआत में ही बाहर का रास्ता देखना पड़ा। मुंबई इंडियंस क्वालीफाइंग दौर की बाधा पार नहीं कर सकी और श्रीलंकाई टीम सदर्न एक्सप्रेस के साथ भी ऐसा ही हुआ। हालांकि मेजबान भारत की तीन ताकतवर टीमें चेन्नई सुपरकिंग्स, कोलकाता नाइटराइडर्स और किंग्स इलेवन पंजाब अभी भी होड़ में हैं।
गलतियों की गुंजाइश बेहद कम है। हर किसी को अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना होगा। लंबे समय से एकजुट होकर खेल रही टीमें फायदे में रहेंगी। जॉर्ज बेली और ड्वेन ब्रावो इस बात को जानते हैं कि आइपीएल ने उनके करियर को नया मुकाम दिया है। वहीं डग बोलिंगर और बेन हिल्फेनहास ने अपनी घरेलू टीमों से खेलने का विकल्प चुना ताकि उन्हें अधिक से अधिक मौके मिल सकें। चैंपियंस लीग से कई खिलाडिय़ों का करियर चमका है। कीरोन पोलार्ड ने त्रिनिडाड एवं टोबैगो से खेलने का लुत्फ उठाया और उसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। एक और खिलाड़ी का नाम हमारे दिमाग में आता है और वह हैं एरोन फिंच।
न्यूजीलैंड, दक्षिण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, श्रीलंका, पाकिस्तान सहित कैरेबियन टीमें यहां खेल रही हैं। इन सभी और आइपीएल टीमों के खिलाडिय़ों के दिमाग में यह बात जरूर होगी कि क्रिकेट का सबसे बड़ा टूर्नामेंट विश्व कप अधिक दूर नहीं है। भले ही यह दोनों प्रारूप अलग-अलग हैं, लेकिन रॉबिन उथप्पा से पूछिए जिन्होंने सबसे छोटे प्रारूप में किए अपने प्रदर्शन से वनडे क्रिकेट के लिए ढेरों उम्मीदें जगा दी हैं।
(टीसीएम)
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