Ind vs NZ: लगभग खत्म ही हो गया था इस भारतीय दिग्गज़ का करियर, अब ऐसे बना 'चैंपियन'

Ind vs NZ: लगभग एक साल पहले तक सभी इस भारतीय खिलाड़ी के करियर को खत्म मान रहे थे। ये खिलाड़ी मुश्किलों से घिरा हुआ था, तनाव में था, लेकिन इस चैंपियन ने हार नहीं मानी और सभी परेशानियों को पीछे छोड़ खुद को चैंपियन साबित किया।

By Pradeep SehgalEdited By: Publish:Mon, 04 Feb 2019 12:58 PM (IST) Updated:Mon, 04 Feb 2019 01:02 PM (IST)
Ind vs NZ: लगभग खत्म ही हो गया था इस भारतीय दिग्गज़ का करियर, अब ऐसे बना 'चैंपियन'
Ind vs NZ: लगभग खत्म ही हो गया था इस भारतीय दिग्गज़ का करियर, अब ऐसे बना 'चैंपियन'

नई दिल्ली, वरुण आनंद। करीब एक साल पहले भी भारतीय पेसर मोहम्मद शमी का नाम राष्ट्रीय मीडिया में सुर्खियों में था और अब भी है। कारण एकदम अलग हैं। तब बदनामी उनका पीछा कर रही थी और अब तारीफ के शब्दों की बारिश हो रही है। पिछले मार्च में देवधर ट्रॉफी के एक मुकाबले में जब वह धर्मशाला के खूबसूरत स्टेडियम में गेंदबाजी कर रहे थे तो हर कोई उन्हें देखकर यह कह सकता था कि एक बड़े घरेलू विवाद की आंच उनके खेल को ले डूबी है। शमी इस कदर भटके हुए थे कि उन्होंने दस ओवरों में 96 रन लुटा डाले।

एक दिन पहले ही उनकी पत्नी हसीन जहां ने शमी पर गंभीर आरोप लगाए थे। हसीन जहां ने एक पाकिस्तानी महिला के साथ शमी के वाट्सएप चैट भी सार्वजनिक कर दिए थे। इससे भी बुरा यह हुआ कि क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआइ) ने उन्हें केंद्रीय अनुबंध से वंचित कर दिया। उनके खिलाफ जांच बिठाई गई। भारत टीम में शामिल होने की एक अनिवार्य शर्त-यो यो टेस्ट में भी वह फेल हो गए। यह उस क्रिकेटर के लिए कॅरियर पर गहरा संकट था, जिसने दक्षिण अफ्रीका में जोहानिसबर्ग टेस्ट में अपनी यादगार गेंदबाजी (28 रन पर पांच विकेट) से भारत को सनसनीखेज जीत दिलाई थी।

एक साल में बदले हालात

दिन बदले, हालात बदले शमी कथित भ्रष्टाचार के आरोपों से मुक्त हुए, यो-यो टेस्ट पास किया, केंद्रीय अनुबंध भी मिला। ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड का हाल का दौरा उनके कॅरियर का चरम बिंदु है। इस दौरे में शमी, जसप्रीत बुमराह और इशांत शर्मा ने जो तेज गेंदबाजी दिखाई है वह भारतीय क्रिकेट के इतिहास में एक मिसाल ही है। चार टेस्ट में शमी ने 26.18 की औसत से 16 विकेट लिए। इन विकेटों से ज्यादा शमी ने अपनी पेस और स्विंग से असर डाला। वह किसी भी कप्तान की पसंद हो सकते हैं। लंबे समय बाद उन्हें वन-डे में भी खेलने का मौका मिला तो उनकी फार्म और फिटनेस ने भी यहां भी कमाल किया।

 

न्यूजीलैंड के साथ वनडे सीरीज के चार वन-डे में उन्होंने मात्र 15.33 के औसत से नौ विकेट लिए। वह पहले और तीसरे वन डे में मैन ऑफ द मैच रहे, जबकि सीरीज का एक मैच खेले बिना भी वो मैन ऑफ द सीरीज रहे। शमी का नाता उत्तर प्रदेश से है, लेकिन रणजी ट्रॉफी में बंगाल की तरफ से खेलते हैं। वह आक्रामक गेंदबाज हैं और अपने कप्तान को भरोसा दिलाते हैं कि उनके रहते मैच में 20 विकेट लिए जा सकते हैं। यही भारतीय टीम अब लगातार कर रही है। कप्तान विराट कोहली कहते हैं, ऑस्ट्रेलिया में शमी ही भारत और मेजबानों के बीच मुख्य अंतर थे। यह बहुत अच्छी बात है कि वह इस समय जो कर रहे हैं वह पूरी तरह उनके नियंत्रण में है। शमी को फिट रखने में बहुत लोगों का योगदान है-गेंदबाजी कोच भरत अरुण से लेकर टीम इंडिया के ट्रेनर शंकर बसु तक। उससे भी ऊपर अब टीम मैनेजमेंट ने वर्कलोड मैनेजमेंट सीख लिया है।

क्यों हैं इतने खतरनाक?

शमी इतने इफेक्टिव क्यों हैं, इसका जवाब चीफ सेलेक्टर एमएसके प्रसाद देते हैं- बायोमेकेनिक्स के अनुसार पूरा मोमेंटम लक्ष्य की ओर केंद्रित होना चाहिए। शमी के मामले में हम देख सकते हैं कि उनका लक्ष्य स्टंप है।इसीलिए उनके ज्यादातर विकेट बोल्ड या एलबीडब्ल्यू के रूप में सामने आते हैं। अगर आप उनके शरीर और लय को देखें तो सभी कुछ लक्ष्य की ओर केंद्रित नजर आता है। उनका यह गुण एक तेज गेंदबाज के लिए वरदान है। पूर्व भारतीय बल्लेबाज और चीफ सेलेक्टर रह चुके संदीप पाटिल ने 2013 में पहली बार शमी का चयन राष्ट्रीय टीम में किया था। पाटिल बताते हैं कि करीब आठ साल पहले जब मैं नेशनल क्रिकेट एकेडमी में डायरेक्टर था तब भरत अरुण ने मुझसे कहा था- इस लड़के (शमी) को देखिए। मुझे तभी वह खास लगे थे। आश्चर्य नहीं कि जब यो-यो टेस्ट में फेल होने के बाद शमी को टीम से बाहर किया गया तो पाटिल ने ही उनके पक्ष में आवाज बुलंद की थी।

मानसिक मजबूती का जोड़ नहीं 

शमी की शख्सियत क्या है, यह जानना हो तो बंगाल के रणजी कप्तान मनोज तिवारी से पूछिए। वह बताते हैं कि शमी की मानसिक मजबूती का कोई जवाब नहीं है। आप उनके चेहरे और बाडी लैंग्वेज से आप यह जान नहीं सकते कि वह किस तरह की परेशानी से गुजर रहे हैं।लोग घरेलू परेशानी का असर अपने मूल काम में डाल बैठते हैं, लेकिन यह शमी हैं जो अपने मूल काम यानी क्रिकेट के सहारे घरेलू परेशानियों से उबर गए।

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