अकाउंट होल्डर की मर्जी के बिना बैंक अकाउंट में नहीं जमा होगा कैश

अब तक आप किसी व्यक्ति के बैंक अकाउंट में उसकी जानकारी या सहमति के बिना कैश जमा कर सकते हैं लेकिन अब सरकार इसे रोकने के लिए नई योजना बना रही है।

By Sajan ChauhanEdited By: Publish:Tue, 09 Jul 2019 12:03 PM (IST) Updated:Tue, 09 Jul 2019 12:03 PM (IST)
अकाउंट होल्डर की मर्जी के बिना बैंक अकाउंट में नहीं जमा होगा कैश
अकाउंट होल्डर की मर्जी के बिना बैंक अकाउंट में नहीं जमा होगा कैश

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। सरकार बैंक अकाउंट होल्डर की मर्जी के बिना उसके अकाउंट में कैश जमा करने की प्रक्रिया को रोकने के लिए एक योजना तैयार कर रही है। देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारण ने इसकी घोषणा मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के पहले बजट 2019 को पेश करते हुए की थी। बजट भाषण में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि सरकार मौजूदा स्थिति को सुधारने के लिए अकाउंट होल्डर्स को मजबूत बनाने के लिए कदम उठाएगी, जिसमें उनके अकाउंट में दूसरों की तरफ से कैश जमा करने पर नियंत्रण न हो। पब्लिक सेक्टर के बैंकों में शासन को मजबूत करने के लिए सुधार किए जाएंगे।

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अब तक आप किसी व्यक्ति के बैंक अकाउंट में उसकी जानकारी या सहमति के बिना कैश जमा कर सकते हैं। ऐसा करने के लिए जमा करने वाले को प्राप्तकर्ता का बैंक अकाउंट नंबर पता होना चाहिए। मान लीजिए कि कोई भी व्यक्ति बैंक की कैश डिपॉजिट मशीन के जरिए किसी भी बैंक अकाउंट होल्डर के अकाउंट में अपना 12 अंकों का अकाउंट नंबर डालकर नकद जमा कर सकता है। इसी के साथ आप सिर्फ कैश जमा पर्ची भरकर बैंक ब्रांच में कैश जमा कर सकते हैं। हालांकि कुछ बैंक नॉन-होम ब्रांच में सेविंग अकाउंट में कैश जमा करने पर चार्जलगाते हैं। अब प्रस्तावित परिवर्तनों के साथ अकाउंट होल्डर को अपने अकाउंट में कैश जमा करवाने से पहले उसकी मंजूरी देनी होगी।

ध्यान देने वाली बात यह है कि नोटबंदी के दौरान कई व्यक्तियों के बैंक अकाउंट में कैश जमा होने की कई घटनआएं सामने आई थीं, जो कि अकाउंट होल्डर्स की सहमति या जानकारी के बिना किया गया था। खासतौर पर जन धन अकाउंट में कैश जमा किया गया था। इसकी वजह से कई अकाउंट होल्डर्स को परेशानी का सामना भी करना पड़ा था।

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एक्सपर्ट का कहना है कि इस तरह के बदलावों की बहुत जरूरत थी, क्योंकि आम तौर पर इस प्रकार के डिपॉजिट को अकाउंट होल्डर की इनकम के रूप में देखा जाता है जिससे कर देयता भी बढ़ जाती है। हालांकि अभी तक इस तरह का कोई बैंकिंग सुधार लागू नहीं किया गया है। हमें इंतजार करना होगा और देखना होगा कि बैंकिंग रेगुलेटर क्या कदम उठाता है। 

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