साल 2022 तक अपने सोलर और विंड एनर्जी लक्ष्यों से चूक सकता है भारत

ब्रिज टू इंडिया की ओर से किए गए सर्वे के मुताबिक 77 फीसद उत्तरदाताओं ने माना है कि कि 2022 तक भारत की कुल एकीकृत मॉड्यूल विनिर्माण क्षमता 3 जीडब्ल्यू से कम होगी

By Praveen DwivediEdited By: Publish:Thu, 17 May 2018 12:33 PM (IST) Updated:Thu, 17 May 2018 12:33 PM (IST)
साल 2022 तक अपने सोलर और विंड एनर्जी लक्ष्यों से चूक सकता है भारत

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। भारत 2022 तक 100 GW सौर ऊर्जा (सोलर एनर्जी) और 60 GW पवन ऊर्जा (विंड एनर्जी) के अपने नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों को हासिल करने से चूक सकता है। यह जानकारी एक परामर्श फर्म ब्रिज टू इंडिया की ओर से आयोजित एक सर्वेक्षण के अनुसार सामने आई है।

इस सर्वे में पाया गया है कि इंडस्ट्री के लिए सबसे अहम सेफगार्ड ड्यूटी, समग्र नीति पर्यावरण में अनिश्चितता और डिस्कॉम की कमजोर वित्तीय स्थिति है। इसके मुताबिक 70 फीसद उद्योग (उत्तरदाताओं) का मानना है कि इस क्षेत्र में बोली-प्रक्रिया तर्कहीन रूप से आक्रामक है। हालांकि, इसमें यह भी पता चलता है कि इन तमाम चुनौतियों के बावजूद, उत्तरदाताओं का बड़ा हिस्सा उद्योग और समग्र विकास संभावनाओं को लेकर आशावादी है।

ओपन असेस सोलर और रूफटॉप सोलर के संदर्भ में समग्र क्षेत्र के पसंदीदा राज्यों की सूची में गुजरात, कर्नाटक और महाराष्ट्र का स्थान सबसे ऊपर है। हालांकि इंडस्ट्री घरेलू विनिर्माण की संभावनाओं के बारे में अभी भी असंवेदनशील बनी हुई है,ऐसे में 77 फीसद उत्तरदाताओं ने माना है कि कि 2022 तक भारत की कुल एकीकृत मॉड्यूल विनिर्माण क्षमता 3 जीडब्ल्यू से कम होगी।  

सर्वे रिपोर्ट के बारे में बोलते हुए ब्रिज टू इंडिया के एमडी विनय रस्तोगी ने बताया, “भारत का नवीनीकरण ऊर्जा बाजार वर्तमान समय में 10GW प्रतिसाल का है, जो कि तेजी से बढ़ रहा है और परिपक्वता को प्राप्त कर रहा है। इस सर्वे में बताया गया है कि कुछ प्रमुख नीतिगत मुद्दों, जैसे कि सेफगार्ड ड्यूटी और डिस्कॉम की कमजोर वित्तीय स्थिति, के बावजूद इंडस्ट्री भविष्य की विकास संभावनाओं के बारे में आशावादी बनी हुई है।”

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