बढ़ने लगी एनपीएस की लोकप्रियता

बजट में नेशनल पेंशन सिस्टम में निवेश पर 80सीसीडी के तहत आयकर में अतिरिक्त छूट मिलने के बाद आयकरदाताओं में एनपीएस काफी तेजी से लोकप्रिय होती जा रही है। पेंशन क्षेत्र के नियामक पीएफआरडीए ने साल 2004 में एनपीएस लांच किया था। पहले यह स्कीम केवल केंद्र व राज्य सरकार

By Edited By: Publish:Mon, 06 Jul 2015 12:40 AM (IST) Updated:Mon, 06 Jul 2015 05:34 AM (IST)
बढ़ने लगी एनपीएस की लोकप्रियता

बजट में नेशनल पेंशन सिस्टम में निवेश पर 80सीसीडी के तहत आयकर में अतिरिक्त छूट मिलने के बाद आयकरदाताओं में एनपीएस काफी तेजी से लोकप्रिय होती जा रही है। पेंशन क्षेत्र के नियामक पीएफआरडीए ने साल 2004 में एनपीएस लांच किया था। पहले यह स्कीम केवल केंद्र व राज्य सरकार के कर्मचारियों के लिए थी। साल 2009 में इसे आम जनता के लिए भी खोल दिया गया। लेकिन यह स्कीम आम लोगों में खास लोकप्रिय नहीं हो पा रही थी।

साल 2015 के आम बजट में टैक्स छूट का प्रावधान होने के बाद एनपीएस में निवेश को लेकर लोगों में उत्साह बढ़ रहा है। एनपीएस खाता खुलवाने पर 15,000 रुपये की अतिरिक्त टैक्स छूट और 30 फीसद के टैक्स स्लैब में होने पर सालाना 50,000 रुपये की टैक्स बचत का लाभ इसमें मिलता है।

अब सरकार ने इससे बाहर निकलने के नियमों में बदलाव कर इसे और आकर्षक बनाया है। इन बदलावों से एनपीएस में निवेश करने वालों में ज्यादा अनुशासन आएगा। अभी तक निवेशकों को स्कीम से कभी भी निकलने की छूट तो थी, लेकिन वे केवल अपने फंड का 20 फीसद ही निकाल सकते थे। इस नियम के चलते कई खाताधारक बीच में ही स्कीम से निकल रहे थे और उसका पूरा लाभ नहीं ले रहे थे। इससे साठ वर्ष की सेवानिवृत्ति की आयु में पेंशन की ऊंची दर का लक्ष्य नहीं पाया जा पा रहा था।

इसे देखते हुए सरकार ने निवेशकों में अनुशासन लाने के लिहाज से एनपीएस से निकलने और फंड से पैसा वापस लेने के नियमों में संशोधन किया है। नए नियमों के मुताबिक अब एनपीएस खाता खोलने के दस साल तक इससे निकला नहीं जा सकता। साथ ही साठ वर्ष की आयु होने से पूर्व फंड से केवल 20 फीसद की राशि ही निकाली जा सकती है। फंड की शेष 80 फीसद राशि का इस्तेमाल मासिक पेंशन जैसे सेवानिवृत्ति लाभ के लिए ही किया जा सकता है। साथ ही संशोधित नियमों के तहत एनपीएस खाताधारक को दस वर्ष की अवधि के बाद कुल योगदान का 25 फीसद आंशिक तौर पर निकालने की सुविधा दी गई है, लेकिन इसके साथ एनपीएस में अपना योगदान जारी रखना होगा।

नियमों में किए गए ये बदलाव एनपीएस निवेशकों को अनुशासित करेंगे जिसके चलते केवल गंभीर और दीर्घ अवधि के निवेश में रुचि रखने वाले निवेशक ही इसमें बने रहेंगे। इससे उन्हें रिटायरमेंट के बाद पेंशन के रूप में अच्छी खासी रकम मिल सकेगी।
अनिल चोपड़ा
ग्रुप सीईओ, डायरेक्टर, बजाज कैपिटल

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