क्या टर्म प्लान के साथ पर्सनल एक्सीडेंट पॉलिसी लेना सही है?

कई बार यह देखने में आता है जब कोई पॉलिसीधारक किसी दुर्घटना का शिकार होता है तो टर्म प्लान किसी काम का नहीं होता और हेल्थ बीमा भी उसके सारे खर्चे को पूरा नहीं कर पाता है। ऐसे में एक पर्सनल एक्सीडेंट पॉलिसी सबसे उपयोगी साबित होती है। इससे बड़ी

By Babita KashyapEdited By: Publish:Mon, 28 Mar 2016 02:30 PM (IST) Updated:Mon, 28 Mar 2016 02:36 PM (IST)
क्या टर्म प्लान के साथ पर्सनल एक्सीडेंट पॉलिसी लेना सही है?

कई बार यह देखने में आता है जब कोई पॉलिसीधारक किसी दुर्घटना का शिकार होता है तो टर्म प्लान किसी काम का नहीं होता और हेल्थ बीमा भी उसके सारे खर्चे को पूरा नहीं कर पाता है। ऐसे में एक पर्सनल एक्सीडेंट पॉलिसी सबसे उपयोगी साबित होती है। इससे बड़ी दुर्घटनाओं से पडऩे वाले आर्थिक बोझ से पार पा सकते हैं। छोटी दुर्घटनाओं मसलन साइकिल से गिरना आदि की स्थिति में भी यह खर्चे का ध्यान रखता है। देखिए कि टर्म पॉलिसी को हम डेथ ओनली पॉलिसी के तौर पर भी जानते हैं। दुर्घटना या प्राकृतिक तौर पर मृत्यु होने पर नामित व्यक्ति को बीमा की पूरी राशि मिल जाती है। बोनस भी मिलता है। लेकिन इस पॉलिसी का महत्व तब और बढ़ जाता है जब इसके साथ दुर्घटना में अपंग होने जैसी शर्तों को जोड़ते हुए कुछ अतिरिक्त बातों का भी कवरेज ले लेते हैं। यह बात याद रखनी चाहिए कि टर्म पॉलिसी से भी हर तरह की दुर्घटनाओं और हर तरह के कवरेज या दुर्घटना पर होने वाले हर तरह के खर्चे की भरपाई नहीं होती है। लेकिन इसके साथ पर्सनल एक्सीडेंट पॉलिसी को जोड़ लें तो यह इस तरह के खर्चे में हमारी मदद कर सकता है। पर्सनल एक्सीडेंट पॉलिसी में निम्न तरह

की अपंगता को कवेरज मिलता है।

1. पूरी तरह से स्थायी अपंगता। मसलन, दोनों हाथों या पैर का खत्म होना या पूरी तरह से दृष्टि का चला जाना। यहां आपको बीमा की 100 फीसद राशि से 200 फीसद तक राशि मिल सकती है।

2. कई पॉलिसियां अपंगता के आधार पर बीमित राशि का 10 से 75 फीसद तक भुगतान करती हैं। मसलन, अगर दुर्घटना में हाथ की कुछ अंगुलियां चली जाती हैं तो कुल बीमित राशि का 25 फीसद तक ले सकते हैं।

3. दुर्घटना से आय प्रभावित होती है तो इसकी भरपाई भी की जाती है। मसलन, हड्डी टूटने पर काम पर नहीं जा पाते हैं तो सौ हफ्ते तक कमाई की भरपाई बीमा पॉलिसी से की जा सकती है।

4. इसके अलावा पर्सनल एक्सीडेंट बीमा के तहत बीमित व्यक्ति के बच्चों को शिक्षा के लिए या अन्य आश्रितों को उनके जीवन यापन के कवरेज देने का भी प्रावधान होता है। आप एक महीने तक अस्पताल में भर्ती होने पर रोजाना के खर्चे भी इस बीमा पॉलिसी से हासिल कर सकते हैं।

प्रीमियम : टर्म पॉलिसी के तहत बीमा प्रीमियम की राशि आपकी उम्र, अवधि, बीमा की राशि आदि पर निर्भर करती है। जबकि पर्सनल एक्सीडेंट पॉलिसी के लिए प्रीमियम आपकी आय और आपके कारोबार में जोखिम की संभावना से तय होती है। अगर बीमित व्यक्ति का पति या पत्नी काम करती है या बच्चे अपने पैरों पर खड़े हैं और आप एक प्रोफेशनल हैं तो आपको कम जोखिम वाली श्रेणी में रखा जाता है। अपना कारोबार करने वाले या खतरनाक परिस्थितियों में काम करने वालों को ज्यादा जोखिम वाली श्रेणी में रखा जाता है और उन्हें ज्यादा प्रीमियम देना पड़ता है। मोटे तौर पर आप एक लाख रुपये की पर्सनल एक्सीडेंट की पॉलिसी पांच सौ रुपये प्रीमियम पर भी हासिल कर सकते हैं।

उदाहरण के तौर पर एक 30 वर्ष का युवा आइटी प्रोफेशनल जिसकी मासिक आय एक लाख रुपये है और उसने एक करोड़ रुपये की टर्म पॉलिसी ले रखी हो तो उसकी प्रीमियम की राशि तकरीबन 13 हजार रुपये होगी।

अगर वह पर्सनल एक्सीडेंट पॉलिसी 50 लाख रुपये की कवरेज वाली ले ले तो उसे तकरीबन 5,500 रुपये का प्रीमियम देना होगा। लेकिन इससे वह स्थायी अपंगता की स्थिति में 62.50 लाख रुपये और आंशिक अपंगता की स्थिति में 37.50 लाख रुपये हासिल करेगा। वह 800 रुपये का अतिरिक्त भुगतान कर बीमारी की हालत में 5000 रुपये प्रति सप्ताह का बीमा कवरेज भी ले सकता है।

सुरेश सुगठन

हेड (हेल्थ इंश्योरेंस)

बजाज एलायंज जनरल इंश्योरेंस

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