क्यों खारिज होते हैं मोटर बीमा के दावे

भारत में विश्व के मात्र एक प्रतिशत वाहन हैं, जबकि दुनिया की 10 प्रतिशत सड़क दुर्घटनाएं यहां होती हैं। यहां 54 प्रतिशत दुर्घटनाओं में ड्राइवर के पास वैध ड्राइविंग लाइसेंस नहीं था। मोटर वाहन कानून 1980 की धारा 18 के तहत बीमा कंपनियों के पास यह अधिकार है कि किसी

By Babita KashyapEdited By: Publish:Mon, 08 Feb 2016 03:09 PM (IST) Updated:Mon, 08 Feb 2016 03:28 PM (IST)
क्यों खारिज होते हैं मोटर बीमा के दावे

भारत में विश्व के मात्र एक प्रतिशत वाहन हैं, जबकि दुनिया की 10 प्रतिशत सड़क दुर्घटनाएं यहां होती हैं। यहां 54 प्रतिशत दुर्घटनाओं में ड्राइवर के पास वैध ड्राइविंग लाइसेंस नहीं था। मोटर वाहन कानून 1980 की धारा 18 के तहत बीमा कंपनियों के पास यह अधिकार है कि किसी भी वाहन के दावे में अगर यह साबित हो जाता है कि वाहन चालक की उम्र कम थी, वह नशे में धुत था या उसके पास वैध लाइसेंस नहीं था तो वे दावा खारिज कर सकती हैं। इन कारणों से बीमा कंपनी आपके मोटर बीमा के दावे को ठुकरा सकती है:

1. बीमा कंपनी को सूचित किए बगैर मरम्मत कराना : अधिकांश वाहन मालिक किसी दुर्घटना के बाद अपने वाहन की मरम्मत कराने की गलती कर बैठते हैं। उसके बाद वे बीमा कंपनी को मरम्मत पर खर्च की गई धनराशि का भुगतान कराने का दावा करते हैं। एक ग्राहक को अपनी गाड़ी में नुकसान हुआ है उसकी सूचना बीमा कंपनी को देनी चाहिए और एक सर्वेयर के माध्यम से हानि की जांच करानी चाहिए। सर्वेयर की रिपोर्ट के आधार पर बीमा कंपनी पॉलिसी के अनुसार धनराशि मंजूर कर देगी।

2. वैकल्पिक फ्यूल किट लगवाना : ईंधन के दाम बढ़ने से ग्राहक अपना वाहन चलाने के लिए सस्ते और वैकल्पिक ईंधन का सहारा लेते हैं। बीमा कंपनियां उन वाहनों के दावे को मंजूर नहीं करतीं जिन्होंने सीएनजी या एलपीजी किट लगवाया हुआ है या इस किट को बीमा कंपनी से मंजूरी नहीं मिली है।

3. निजी वाहनों का गलत ढंग से व्यावसायिक उपयोग करना : अपने निजी वाहन का इस्तेमाल व्यावसायिक उद्देश्य के लिए माल ढुलाई में करना गलत है। किसी वाहन के गलत उपयोग के दौरान दुर्घटना होती है तो बीमा का दावा नहीं मिलेगा।

4. क्षमता से अधिक यात्रियों का बैठना : हर जगह एक ही तरीका काम नहीं आता। जब आप अपने वाहन में क्षमता से अधिक लोगों को बिठा लेंगे तो यह बात बिल्कुल सही साबित होगी। बीमा कंपनियां उन मामलों में दावा स्वीकार नहीं करेंगी जहां क्षमता से अधिक यात्री बैठने से दुर्घटना हुई है।

5. नशे में गाड़ी चलाना : भारत में सड़क दुर्घटनाओं में वृद्धि की वजह ड्राइवरों का शराब या प्रतिबंधित ड्रग्स का सेवन कर गाड़ी चलाना भी है। इसके चलते थर्ड पार्टी की मौत या घायल का खतरा होता है। बीमा

कंपनियां ऐसे दावे को स्वीकार नहीं करती हैं।

6. गैर-दुर्घटना के अलावा नुकसान : अक्सर लोग बाढ़ में फंसे वाहन को निकालने की कोशिश करते हैं। इस कोशिश में अगर गाड़ी का इंजन फेल हो जाता है, तो उसका बीमा नहीं मिल सकता।

7. गलत सूचना : कई बार ड्राइवर को लगता है कि उनके वाहन को कवर प्राप्त है। लेकिन जानकारी गलत होने पर पर भी बीमा का दावा नहीं मिल सकता।

राजीव कुमार

हेड, प्रोडक्ट डेवलपमेंट,

कस्टमर सर्विस, ऑपरेशन और कॉरपोरेट प्लानिंग, यूनिवर्सल

सोम्पो जनरल इंश्योरेंस

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