फसल बीमा दे आपदाओं से सुरक्षा

बहुत कम लोग जानते हैं कि बाढ़ और सूखे जैसी प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षा देने के लिए अब कई बीमा योजनाओं को हरी झंडी दी गई है। मौसम की मार झेल रहे किसानों को राहत पहुंचाने के लिए सरकार ने बीमा सुरक्षा देने की कोशिश 1

By Edited By: Publish:Mon, 24 Jun 2013 11:54 AM (IST) Updated:Mon, 30 Mar 2015 06:40 PM (IST)
फसल बीमा दे आपदाओं से सुरक्षा

बहुत कम लोग जानते हैं कि बाढ़ और सूखे जैसी प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षा देने के लिए अब कई बीमा योजनाओं को हरी झंडी दी गई है। मौसम की मार झेल रहे किसानों को राहत पहुंचाने के लिए सरकार ने बीमा सुरक्षा देने की कोशिश 1985 से ही शुरू कर दी थी, लेकिन जोखिम ज्यादा होने की वजह से ये योजनाएं लांच होते ही दम तोड़ गईं (देखें टेबल 1)। सरकारी कंपनी भारतीय कृषि बीमा निगम पर फसल बीमा के संचालन की जिम्मेदारी है। 2010 के बाद निजी क्षेत्र की साधारण बीमा कंपनियां भी फसल बीमा के क्षेत्र में उतर आई हैं। लेकिन इनकी योजनाओं को अभी पंख नहीं लग पाए हैं।

क्या-क्या होता है कवर :-

प्राकृतिक रूप से आग लगने, बिजली गिरने, तूफान, बाढ़, सूखा, भूस्खलन, कीड़े आदि लगने की स्थिति में फसल को होने वाले नुकसान के प्रति सुरक्षा कवच प्रदान किया जाता है। बीमा कवर का क्षेत्र यानी कितने एरिया में फसल बोई गई है और अवधि यानी कितने वक्त के लिए फसल बोई गई है, दोनों को ध्यान में रखकर ही तय किया जाता है।

क्या नहीं होता कवर :-

कटाई के दौरान अगर ट्रैक्टर, हारवेस्टर आदि की चिंगारी के कारण आग लगने से फसल को नुकसान होता है तो बीमा कवर नहीं मिलता। अगर आपने खेती के सामान्य नियमों का पालन नही किया और ठीक ढंग से खेती न करने की वजह से नुकसान झेला तो बीमा सुरक्षा भूल ही जाइए। जिन बीमारियों पर आसानी से काबू पाया जा सकता है अगर समय रहते उपाय न किए जाने से फसल को नुकसान होता है तो उसे कवर नहीं मिलता।

चोरी या जानबूझ कर फसल खराब किए जाने की स्थिति या फिर आपसी दुर्भावना की वजह से अगर किसी की फसल को नुकसान पहुंचाया जाता है तो कई बीमा कंपनियां इसे कवर प्रदान नहीं करती। पक्षियों अथवा पशुओं द्वारा किए गए नुकसान को भी बीमा कवर में शामिल नहीं किया जाता है। फिलहाल 11 कंपनियां फसल बीमा योजनाएं लेकर आई हैं जिनका लाभ किसानों द्वारा उठाया जा सकता है।

प्रीमियम की दर :-

इस वक्त लागू फसल बीमा योजना में कंपनियों को बीमा का प्रीमियम निर्धारित करने की छूट दी गई है। प्रीमियम की दर कुल सम एश्योर्ड का 2 से 15 फीसद तक हो सकता है। ज्यादा जोखिम वाली फसलों पर प्रीमियम ज्यादा होता है। लेकिन योजना की खास बात यह है कि सरकार द्वारा प्रीमियम पर 40 से 75 फीसद तक की सब्सिडी मिलती है। प्रीमियम का बोझ राच्य सरकारों और केंद्र सरकार में बराबर बंट जाता है।

मोटे तौर पर देखें तो फसल की लागत के बराबर बीमा कवर यानी सम एश्योर्ड होता है। अगर प्रीमियम सम एश्योर्ड का 2 फीसद तक है तो किसान को सब्सिडी नहीं मिलती, लेकिन उसके ऊपर सरकार अपनी ओर से सब्सिडी देती है।

कौन है बीमा के पात्र :-

किसान क्रेडिट कार्ड धारक या फिर ऐसे किसान जिनको नोटिफाइड फसलों के लिए बैंकों से लोन दिया गया है, उनके लिए बीमा कवर अनिवार्य है। कम से कम लोन अमाउंट के बराबर सम एश्योर्ड होना जरूरी है। किसान अगर चाहे तो औसत उत्पादन की कीमत का 150 फीसद तक सम एश्योर्ड के लिए आवेदन कर सकता है। जिन किसानों ने कर्ज नहीं लिया है, ऐसे किसान बीमा का आवेदन फार्म भर वे एजेंट अथवा पार्टनर बैंक के जरिये योजना का लाभ उठा सकते हैं।

अच्छी खबर यह है कि बाढ़ अथवा सूखे की स्थिति में किसानों को फौरी राहत पहुंचाने के लिए क्लेम का 25 फीसद हिस्सा तुरंत जारी कर दिया जाता है।

फसल बीमा जो दे रहीं कंपनियां :-

1. मौसम आधारित फसल बीमा योजना (भारतीय कृषि बीमा निगम )

2. एचडीएफसी एर्गो फसल बीमा योजना

3. इफको टोक्यो फसल बीमा योजना

4. आइसीआइसीआइ फसल बीमा योजना

5. एसबीआइ कृषि मौसम बीमा योजना

6. रॉयल सुंदरम कृषि मौसम बीमा योजना

7. यूनिवर्सल शैम्पो कृषि मौसम बीमा योजना

8. फ्यूचर जेनेरली कृषि मौसम बीमा योजना

9. रिलायंस साधारण कृषि मौसम बीमा योजना

10. एलएंडटी माई जीविका कृषि मौसम बीमा योजना

11. चोलामंडलम कृषि मौसम बीमा योजना

टेबल :-

फसल बीमा योजनाएं : एक नजर :-

बीमा योजना / शुरुआत / मौजूदा स्थिति

समग्र फसल बीमा योजना / 1985-86 / 1999 में बंद कर दी गई

प्रायोगिक फसल बीमा योजना / 1997-98 / उसी साल बंद कर दी गई

कृषि आमदनी बीमा योजना / 2003-04 / उसी साल बंद कर दी गई

राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना / 1999-00 / 2010 में संशोधित

संशोधित कृषि बीमा योजना / 2010-11 / निजी कंपनियां शामिल

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