उज्जवल प्रदेश: एक नए उत्तर प्रदेश का स्वप्न

यहां से कई प्रधानमंत्री आते हैं और प्रदेश की प्रगति में ही भारत की प्रगति है। ऐसा इसलिए क्योंकि यूपी में अभी चुनाव का समय है।

By Manish NegiEdited By: Publish:Fri, 03 Feb 2017 11:11 PM (IST) Updated:Mon, 06 Feb 2017 11:14 AM (IST)
उज्जवल प्रदेश: एक नए उत्तर प्रदेश का स्वप्न
उज्जवल प्रदेश: एक नए उत्तर प्रदेश का स्वप्न

(साकेत मिश्रा)। चुनावी चकाचौंध से वैसे ही लोगों की पहचान करने में मुश्किल हो रही है और इन सबके बीच भाषणों से भी मतदाताओं की नजरें लगातार धूमिल की जा रही है। लगातार ये बताया जा रहा है कि यूपी भारत के लिए कितना महत्वपूर्ण है। यहां से कई प्रधानमंत्री आते हैं और प्रदेश की प्रगति में ही भारत की प्रगति है। ऐसा इसलिए क्योंकि यूपी में अभी चुनाव का समय है।

हालांकि वास्तविकता इस तमाम बातों के विपरीत है। देश में विकास के पैमाने पर यूपी कई मायने में औसत से भी ज्यादा पीछे हो गया है। चाहे बात की जाए विकास दर की या फिर मातृ एवं शिशु मृत्यु दर की या साक्षरता की या फिर जन्म दर इन तमाम मामलों में प्रदेश काफी पीछे छूट गया है। राज्य के मतदाताओं को अराजकता या फिर भ्रष्टाचार में से एक को चुनने की मजबूरी का सामना करना पड़ा है लेकिन अब समय बदल रहा है। सपनों से धूल छटी है और अब भाषणों से स्पष्ट हैं कि चुनावों में विकास एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया है।

पीएम मोदी के नेतृत्व में भाजपा ने 2014 लोकसभा चुनावों में ऐतिहासिक जीत हासिल की। जिसके बाद देश में कई ऐताहासिक सुधार हुए इनमें जीएसटी भी शामिल है। केंद्र सरकार ने नये सुधारों को लागू कर कई आयाम स्थापित किए। इसी प्रकार यूपी का भाजपा नेतृत्व प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य के नेतृत्व में प्रगति के केंद्र में है।

पीएम मोदी द्वारा लखनऊ में हाल ही में दिए गए भाषण में पूरे यूपी में विकास उन्मुख शासन का खाका पेश किया गया। जिस पर सभी लोग राजनीतिक रंग की परवाह किये बिना सहमत हो सकते हैं। यूपी की मौजूदा स्थिति को ध्यान में रखते हुए पीएम द्वारा दिए गए सुझाव पर काम करने की आवश्यकता है। इस सुझाव में चार चीजें शामिल हैं। जिस पर कोई भी सरकार काम कर उत्तर प्रदेश को उज्जवल प्रदेश बना सकती है।

सरकार की विश्वसनीयता को बहाल कर नीतियों को बनाना

यूपी के आम नागरिक से लेकर निवेशकों को ये विश्वास दिलाना कि सभी फैसले पारदर्शी होंगे और अगर सत्ता बदलती है तो नीतियां बदलेंगी नहीं.. जैसा कि पीएम मोदी ने लखनऊ में कहा था कि राज्य के लिए बनाई गईं अच्छी नीतियां कभी राजनीतिक का शिकार नहीं होगी। साथ-साथ कानून का राज होगा। आम नागरिकों, बिजनेस मैन और नौकर शाहों को गुंडों और बिचौलियों से बचाने की जरुरत है। निवेशकों को ये यकीन दिलाना की यूपी काम करने और निवेश करने के लिए एक बेहतरीन जगह है एक विश्वसनीय सरकार की पहली जिम्मेदारी है।

यूपी को एक बेहतर राज्य बनाना

उत्तर प्रदेश के बुनियादी ढांचें में सुधार की आवश्यकता है। राज्य में सिंचाई को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिए। पानी बचाने के लिये, सूक्ष्म सिंचाई के साधनों में निवेश की जरूरत है। दूसरी आवश्यकता अच्छे रोड की है। कस्बों को सड़कों के माध्यम से राज्य से जोड़ना होगा। अच्छी सड़कों से राज्य की उत्पादकता में सुधार होगा। तीसरा तत्व है शहरों के बुनियादी ढांचे को राज्य की उत्पादकता बढ़ाने के लिए दुरुस्त करना। जनगणना के मुताबिक यूपी में बड़ी मात्रा में जनसंख्या शहरों और कस्बों में रहती है। जहां का बुनियादी ढांचा 1970 के मुताबिक बना हुआ है। इसका दोबारा से दुरुस्त होना जरुरी है। जिसके तहत बस स्टॉप को शहरों और कस्बों के बाहर बनाना होगा। पीपीपी माडल के तहत बहुस्तरीय कार पार्किंग का निर्माण करना होगा। जेजे कलस्टर का पुनर्विकास। वैसे तो यूपी के बुनियादी ढांचे में काफी सुधार की जरुरत है। लेकिन अगर इन तीनों बातों पर जोर दिया जाये तो हालात में काफी सुधार हो सकता है।

सामाजिक बुनियादी ढांचे में सुधार

उत्तर प्रदेश के निवासियों के जीवन में सुधार करना होगा। आने वाली सरकार को मानव विकास के पैमाने में ऊंचाई पर ले जाने का प्रयास करना होगा। सबसे जरुरी प्राथमिक स्वास्थय में सुधार होना है। ग्रामीण डिस्पेंसरी में सुधार, बड़े पैमाने पर टीकाकरण और मां और शिशु स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की पहल करनी होगी। जिससे कि नागरिकों को अच्छे स्वास्थ से नवाजा जा सके। दूसरा यूपी में शिक्षा, विशेषकर रोजगार आधारित शिक्षा पर जोर देना होगा। यूपी मानव पूंजी है। ऐसे में रोजागार के लिए प्रशिक्षण की जरूरत है। जिससे चिकित्सा सहायकों और नर्सिंग, कंप्यूटर एडेड डिजाइन और विनिर्णाण के क्षेत्र में रोजगार उपलब्ध हो सकते हैं। अगली सरकार को योग्यता बढ़ाने के लिए व्यवसायिक शिक्षा, डिग्री कोर्स और इंटरनशिप जैसे कार्यक्रमों पर काम करना होगा।

खुद से सतत विकास करना

उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए सरकारी खर्चों में कटौती करनी होगी। अगर ऐसा कर पाना संभव हो गया तो बुनियादी ढांचे के निर्माण में सुधार होगा और अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी। सरकारी संसासनों को पीपीपी की पहल के माध्यम से खाद्य प्रसंस्करण, अनाज भंडारण, कृषि उपज में सुधार लाया जा सकेगा। पीएम मोदी ने विकास के लक्ष्य को बयानबाजी से अलग रखकर यथार्थ में बदला। यूपी की नयी सरकार के पास यूपी को स्थायित्व देने का मौका होगा और केंद्र की तरह विकास के पथ पर चलने का भी। उम्मीद है कि नई सरकार की केंद्र के साथ साझेदारी ज्यादा स्थिर होगी।

(साकेत मिश्रा सिंगापुर में एक इन्वेस्टमेंट बैंकर हैं)

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