Budget 2020: मध्यम आय वर्ग और एमएसएमई के लिए सरकार कर सकती है अहम घोषणा, मिल सकती है राहत

वित्त मंत्रालय ने कहा है कि वे आगामी बजट के लिए सुझावों पर विचार कर रहे हैं और व्यक्तिगत आयकर दरों में ढील देना उनमें से एक है।

By Ramesh MishraEdited By: Publish:Sat, 01 Feb 2020 09:24 AM (IST) Updated:Sat, 01 Feb 2020 09:24 AM (IST)
Budget 2020: मध्यम आय वर्ग और एमएसएमई के लिए सरकार कर सकती है अहम घोषणा, मिल सकती है राहत
Budget 2020: मध्यम आय वर्ग और एमएसएमई के लिए सरकार कर सकती है अहम घोषणा, मिल सकती है राहत

नई दिल्‍ली, अर्चित गुप्‍ता। देश में आर्थिक मंदी के बीच जीडीपी में 11 साल की सबसे कम पांच फीसद की वृद्धि दर्ज की गई है। इसलिए उम्‍मीद की जा रही है कि सरकार घरेलू मांग को बढ़ावा देने के लिए कुछ उपायों की घोषणा कर सकती है। वित्त मंत्रालय वित्त वर्ष 2019-20 के लिए अपने प्रत्यक्ष कर संग्रह के लक्ष्य से पीछे है। ऐसे में सरकार बड़े स्तर पर कर कटौती की मांगों को पूरा करने में सक्षम नहीं है। ऐसी आर्थिक परिस्थितियों के बीच यूनियन बजट 2020 से बहुत उम्‍मीदें हैं। 

व्यक्तिगत आयकर के मोर्चे पर सरकार व्यक्तिगत करदाताओं, विशेष रूप से मध्यम वर्ग के करदाताओं के लिए लाभ की घोषणा कर सकती है। वित्त मंत्रालय ने कहा है कि वे आगामी बजट के लिए सुझावों पर विचार कर रहे हैं और व्यक्तिगत आयकर दरों में ढील देना उनमें से एक है। वेतनभोगियों और छोटे उद्यमियों का प्रतिनिधित्व करने वाले मध्यम वर्ग की आय 5 से 15 लाख रुपये तक की है। वर्तमान में 5 लाख से ऊपर की कर योग्य आय पर 20 फीसद कर  और 10 लाख रुपये से अधिक कर योग्य आय पर 30 फीसद कर लिया जाता है। इस वजह से 10 लाख रुपये तक की कमाई पर कर काफी अधिक है। 10 लाख रुपये तक की आय के लिए कर की दर में 10 फीसद तक की कटौती या 5 से 15 लाख रुपये की सीमा में करदाताओं को 15 फीसद की दर से कर लगाने पर करदाताओं के हाथों में अधिक पैसा बचेगा।  प्रत्यक्ष कर संहिता (Direct Tax Code) पर टास्कफोर्स की सिफारिशों के अनुरूप उच्च-आय वर्ग के संबंध में 20 लाख रुपये से 2 करोड़ रुपये तक की आय पर 30 फीसद की उच्च दर लगाई जा सकती है। 2 करोड़ रुपये से ऊपर की आय पर 35 फसीद कर लगाया जा सकता है। हालांकि, वित्त वर्ष 2019-20 के लिए कर संग्रह लक्ष्य से कम होने के कारण यह एक चुनौती होगी। सरकार सभी स्लैब्स में कटौती देने की स्थिति में नहीं है। गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी), रियल एस्टेट क्षेत्र, बुनियादी ढांचे और पावर डिस्कॉम जैसे क्षेत्र-विशेष प्रोत्साहनों की मांग कर रहे हैं। इस क्षेत्र में भी फंडिंग की कमी है। सरकार भी अपेक्षित कर संग्रह और विनिवेश से मिलने वाली राशि में कमी से राजकोषीय स्थिति कमजोर महसूस कर रही है। ऐसे में सरकार टॉप रेटेड पीएसयू के माध्यम से कॉरपोरेट बॉन्ड जारी करने पर विचार कर सकती है। सरकार आयकर लाभ के लिए बॉन्ड में निवेश को प्रोत्साहित कर सकती है। सार्वजनिक बचत के नजरिए से सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश की सीमा, एलआईसी, म्युचुअल फंड ईएलएसएस के साथ-साथ बच्चों की ट्यूशन फीस और हाउसिंग लोन पर मूल राशि के भुगतान के लिए 1.5 लाख रुपये की समग्र सीमा के साथ धारा 80सी के तहत लाया जा सकता है। धारा 80-सी के तहत सीमा को अंतिम बार 2014 के बजट में बढ़ाया गया था। आवास और शिक्षा की लागत में वृद्धि के साथ सेक्शन बचत के लिए बहुत कम जगह छोड़ता है। इस वजह से सरकार धारा 80-सी के तहत कटौती की सीमा बढ़ाने पर विचार कर सकती है। सरकार की कर नीति का उपयोग विनिर्माण गतिविधि को प्रोत्साहित और बढ़ावा देने के लिए किया जा सकता है। सरकार ने नई विनिर्माण सुविधाओं की स्थापना करने वाली कंपनियों और प्रोत्साहन व्यवस्था से बाहर होने वाली कंपनियों के लिए दर में कटौती की घोषणा की है।  संयंत्र और मशीनरी में निवेश करने वाले एमएसएमई को धारा 32एसी के तहत कटौती से प्रोत्साहित किया जा सकता है। कंपनियों की ओर से नए प्लांट और मशीनरी में निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए 2013 में यूनियन बजट में सेक्शन पेश किया गया था। मूल्यह्रास भत्ते के अलावा कटौती की अनुमति दी गई थी। न्यूनतम निवेश सीमा 25 करोड़ रुपये थी। कम निवेश सीमा के साथ और 1-2 साल की समयसीमा के लिए एमएसएमई को लाभ बढ़ाया जा सकता है। सरकार मध्यम आय वर्ग और एमएसएमई के लिए नगदी प्रवाह और निवेश के अवसर पैदा करने की दिशा में उपरोक्त कुछ कदमों पर विचार कर सकती है।

(लेखक ClearTax के संस्‍थापक और सीईओ हैं। प्रकाशित विचार उनके निजी हैं।)  

यह भी पढ़ें : Union Budget 2020 Live Update: नॉर्थ ब्लॉक पहुंचीं निर्मला सीतारमण, थोड़ी देर में पेश करेंगी बजट

chat bot
आपका साथी